देश में एक बार फिर छोटे राज्यों के गठन की मांग जोर पकड़ती जा रही है. अगर पूर्वोत्तर भारत की ओर नजर डाली जाए, तो वहां 'बोडोलैंड' की मांग लंबे समय से उठती रही है. इसे असम से अलग राज्य बनाए जाने की मांग की जा रही है.
असम में 'बोडो' जनजाति के उत्थान के लिए 'बोडोलैंड' की मांग की जाती रही है. 'बोडो' ब्रह्मपुत्र घाटी के सबसे बड़े जनजातीय समूहों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है.
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ जिलों को मिलाकर 'बुंदेलखंड' के गठन की मांग की जाती रही है. भौगोलिक दृष्टि से 'बुंदेलखंड' कृषि के मामले में लगातार पिछड़ता जा रहा है, क्योंकि पिछले कुछ साल से यह इलाका सूखे की समस्या से जूझ रहा है.
'बुंदेलखंड' का दौरा करते मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. वैसे 'बुंदेलखंड' के गठन के मसले पर बीजेपी समेत अन्य पार्टियों का नजरिया बिलकुल स्पष्ट नहीं है, लेकिन इस मसले के राजनीतिकरण में कोई भी पीछे नहीं है.
कर्नाटक में फिलहाल बीजेपी सत्तारूढ़ है, जिसके मुखिया बी. एस. येदियुरप्पा हैं. प्रदेश में बीजेपी फिलहाल आंतरिक कलह से जूझ रही है, इस वजह से पार्टी 'कुर्ग' के गठन के लिए कोई ठोस कदम उठाने की स्थिति में नहीं है.
'हरित प्रदेश' के गठन के सबसे बड़े पैरोकार चौधरी अजित सिंह समझे जाते हैं. उत्तर प्रदेश के पश्चिमोत्तर हिस्से से हरित प्रदेश के गठन की मांग की जा रही है.
उत्तराखंड के गठन के बाद भी उत्तर प्रदेश का आकार बड़ा ही है. बेहतर प्रशासन को आधार बनाकर यूपी के पूर्वी हिस्से से 'पूर्वांचल' के गठन की मांग उठती रही है.
गुजरात के एक बड़े तटीय भाग से 'सौराष्ट्र' के गठन की मांग उठती रही है. इन इलाकों में अभी कई उद्योग फैले हैं. समुद्री परिवहन का यह एक बड़ा केंद्र है.