हरिशंकर परसाई ने कहा था कि पुरुष रोते नहीं हैं, मगर जब रोते हैं, तो रोम-रोम से रोते हैं. उनकी व्यथा इतनी गहरी होती है कि पत्थरों में भी दरार डाल दे. अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के मौके पर, भारतीय पुरुषों की व्यथा और उनकी वास्तविकताओं की चर्चा महत्वपूर्ण हो जाती है. देखिए VIDEO