मूसेवाला की यादों का गुलशन आबाद रहेगा, जो भावनाओं के बीज इस गांव में रोपे जा रहे हैं, वो पेड़ भी बनेंगे, उनमें फूल भी आएंगे, फल भी. यही तो है जो इस धरा-धाम पर रह जाना है हमेशा-हमेशा के लिए. मूसेवाला का असमय जाना उनके लाखों लाख प्रशंसकों के अरमानों के लुट जाने जैसा है. ये जख्म शायद कभी नहीं भरेंगे. लेकिन अफसोस कि इंसाफ का इंतजार अब भी है. हत्याकांड के दस दिन बाद भी पुलिस खाली हाथ है, हत्यारे आजाद हैं. पुलिस अब तक कई शूटरों और क़ातिलों के साथ साथ कई गैंगस्टरों को भी दबोच चुकी है. लॉरेंस बिश्नोई जैसे शातिर और धाकड़ गैंगस्टरों का मुंह भी खुलवा चुकी है और अभी सबसे ताज़ा एक और सिंगर ने सामने आकर अपना मुंह खोला मगर कत्ल के किस्से से हाथ खींचते हुए. सवाल यही उठता है तो फिर सिद्धू मूसेवाला का क़ातिल है कौन.