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संविधान की आत्मा पर बहस, 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्षता' पर क्यों छिड़ी जंग?

संविधान की आत्मा पर बहस, 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्षता' पर क्यों छिड़ी जंग?

संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्षता' शब्दों को लेकर बहस जारी है। ये शब्द 1976 में 42वें संविधान संशोधन के दौरान आपातकाल में जोड़े गए थे, जब विपक्ष जेल में था और मानवाधिकार निलंबित थे। उस दौर में कहा गया था कि "अगर गोली भी मार दी जाए तो आप सिर्फ देखते रह सकते हैं क्योंकि आर्टिकल 21 सस्पेंडेड है। यानी जीने का भी हक नहीं है।"

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