राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 साल पूरे होने पर संगठन की संरचना और इतिहास पर सवाल उठाए गए हैं. यह पूछा गया है कि "100 वर्षों में इस देश की 85% लोगों की हिस्सेदारी आरएसएस में क्यों नहीं हुई?" संगठन में एक भी दलित, आदिवासी या पिछड़े वर्ग का व्यक्ति प्रमुख क्यों नहीं हुआ, इस पर भी प्रश्नचिह्न लगाया गया है.