केरल में कोरोना वायरस (Coronavirus) के साथ-साथ अब जीका वायरस (Zika Virus) का खतरा भी मंडराने लगा है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज (Veena George) ने सोमवार को बताया कि एक 73 साल की महिला में भी जीका वायरस की पुष्टि हुई है. इसके बाद प्रदेश में जीका वायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 19 पहुंच गई है.
इसी बीच केंद्र की टीम भी केरल पहुंच गई है और हालात पर नजर बनाए हुए है. केंद्र की टीम ने तिरुवनंतपुरम (Thiruvanathapuram) के उस प्राइवेट अस्पताल का भी दौरा किया जहां जीका वायरस का पहला मामला सामने आया था. हालांकि, अभी तक वायरस के एपिसेंटर (Epicenter) का पता नहीं चल सका है. हालांकि, ऐसा अंदेशा जताया जा रहा है कि अस्पताल के पास ही एक बिल्डिंग के कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है और हो सकता है कि पहला मरीज यहीं से संक्रमित हुआ हो.
केंद्र ने 7 विशेषज्ञों की टीम भेजी
तिरुवनंतपुरम के डीएमओ डॉ. शीनू केएस ने बताया कि केरल के लिए जीका वायरस एक नई बीमारी है और इस बीमारी से निपटने के लिए ज्यादा अनुभव भी नहीं है. केंद्र की ओर से 7 विशेषज्ञों की एक टीम भेजी गई है. उन्होंने कहा कि जीका भी संक्रामक बीमारी है और इसलिए हमें सतर्क रहने की जरूरत है.
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डॉ. शीनू ने बताया कि संक्रमण के फैलने का सोर्स क्या था, इसका अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में कैद हैं और उनके बगीचों की हालत भी ऐसी है, जैसे पहले कभी नहीं थी. इसके अलावा खेतों और आसपास के इलाकों की भी ठीक तरह से सफाई नहीं हुई है. ऑफिस और दूसरे संस्थान भी लॉकडाउन की वजह से बंद पड़े हैं. उन्होंने बताया कि जागरूकता फैलाने के लिए कैंपेन शुरू कर दिया गया है.
सोर्स का पता लगाने की कोशिश जारी
डॉ. शीनू ने बताया कि केंद्र की टीम ने संक्रमण के सोर्स का पता लगाने की कोशिश शुरू कर दी है. उन्होंने बताया कि अभी तक ज्यादातर मामले एक ही अस्पताल से सामने आए हैं. उसके आसपास 2-3 कंस्ट्रक्शन साइट हैं. उन्होंने कहा कि हम किसी को दोष नहीं दे रहे हैं. ये एक टीम वर्क है. उन्होंने बताया कि दूसरे अस्पतालों से भी मरीज मिले हैं. उनकी पहचान की जा रही है. उन्हें आइसोलेट कर इलाज किया जा रहा है.