गलवान घाटी में जून 2020 में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में लांस नायक दीपक सिंह शहीद हो गए थे. अब दीपक की पत्नी रेखा सिंह अधूरे सपनों को पूरा करेंगी. लेफ्टिनेंट रेखा सिंह को शनिवार को सेना में एक अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है और उन्हें पूर्वी लद्दाख में फ्रंट लाइन यूनिट में तैनाती मिली है.
रेखा सिंह के पति दीपक सिंह आर्मी मेडिकल कोर में तैनात थे और बाद में उन्हें बिहार रेजिमेंट की 16वीं बटालियन से अटैच कर दिया गया था. गलवान घाटी में संघर्ष के दौरान घायल सैनिकों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने में दीपक सिंह ने अदम्य साहस दिखाया था, जिसके लिए लांस नायक दीपक सिंह को मरणोपरांत 2021 में वीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
गलवान संघर्ष में 20 जवान हो गए थे शहीद
वीर चक्र, परमवीर चक्र और महावीर चक्र के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा युद्ध वीरता पुरस्कार है. बता दें कि 15 जून, 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुए जबरदस्त संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. यह एक ऐसी घटना थी, जो दशकों बाद दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष के तौर पर मानी गई.
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प्रतिकूल परिस्थितियों में निभाई ड्यूटी
दीपक सिंह के वीर चक्र प्रशस्ति पत्र के अनुसार, उन्होंने 30 से ज्यादा भारतीय सैनिकों के उपचार और जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नायक दीपक सिंह ने प्रतिकूल परिस्थितियों में अपनी बेहतरीन कार्यकुशलता और जबरदस्त देशभक्ति का परिचय किया. दीपक अपना कर्तव्य निभाते हुए घायल हो गए थे. दुश्मन द्वारा गंभीर घावों के बावजूद उन्होंने घायल सैनिकों को चिकित्सा सहायता प्रदान करना जारी रखा और कई लोगों की जान बचाई, हालांकि नाइक दीपक सिंह ने दम तोड़ दिया था.
लेफ्टिनेंट रेखा की पहली पोस्टिंग लद्दाख में
बता दें कि लेफ्टिनेंट रेखा सिंह की पहली पोस्टिंग पूर्वी लद्दाख में रहेगी. मध्य प्रदेश के रीवा जिले की रहने वाली रेखा ने अपनी शादी के एक साल के भीतर अपने पति लांस नायक दीपक को खो दिया था. उन्होंने गलवान संघर्ष के दौरान 16 बिहार रेजिमेंट में सेवा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था. अब रेखा को भी लद्दाख में पहली पोस्टिंग मिली है, जहां वो सेवाएं देंगी. लेफ्टिनेंट रेखा सिंह ने अपने कंधों पर सुनहरे सितारों को गर्व से धारण किया.
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बहू के कमीशन समारोह में पहुंचे परिजन
ओटीए में पासिंग आउट परेड के दौरान स्व. नायक दीपक सिंह के पिता और भाई भी अपनी बहू के कमीशन समारोह में शामिल हुए. वह अकादमी में अपना कोर्स पूरा करने के बाद चेन्नई में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से बाहर निकलीं. रेखा सिंह से लेफ्टिनेंट रेखा सिंह की यात्रा के पीछे दिवंगत पति नाइक दीपक सिंह की प्रेरणा है. वो खुद कहती हैं कि पति के कार्यों ने उन्हें सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया.
कैसे घायल हो गए थे नायक दीपक सिंह? सर्वोच्च बलिदान की कहानी...
गलवान संघर्ष के दौरान नायक दीपक सिंह 16 बिहार रेजिमेंट के साथ बटालियन नर्सिंग सहायक की ड्यूटी का पालन कर रहे थे. ऑपरेशन स्नो लेपर्ड के दौरान उन्होंने गलवान घाटी (पूर्वी लद्दाख) में हुई झड़प में हताहत हुए जवानों का उपचार किया. युद्ध की स्थिति का आकलन करने के बाद वे तत्काल चिकित्सा सहायता के लिए ऊपर चले गए. जैसे-जैसे झड़प शुरू हुई और घायलों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई तो वे घायल सैनिकों को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने के लिए फ्रंट लाइन में चले गए.
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भारी पथराव के साथ-साथ हुई झड़प में उन्हें गंभीर चोटें आईं, लेकिन उन्होंने बिना थके और अथक रूप से चिकित्सा सहायता प्रदान करना जारी रखा. दुश्मन की संख्या भारतीय सैनिकों से ज्यादा थी और वे अपना कर्तव्य निभाते हुए घायल हो गए थे. दुश्मन द्वारा गंभीर रूप से घायल किए जाने के बावजूद उन्होंने घायल सैनिकों को चिकित्सा सहायता देना जारी रखा और कई लोगों की जान बचाई. अंत में उन्होंने अपनी चोटों के कारण दम तोड़ दिया. उन्होंने 30 से ज्यादा भारतीय सैनिकों का इलाज करने और उनकी जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.