26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा अब कानून के शिकंजे में आ गया है. देश की जांच एजेंसी NIA वो तमाम सवालों के जवाब जानना चाहती है, जिसका करीब 17 साल से लंबा इंतजार किया जा रहा था. शुक्रवार को पहली बार आतंकी तहव्वुर राणा का NIA से आमना-सामना हुआ और सवालों की झड़ी लग गई.
सूत्रों के मुताबिक, एनआईए ने तहव्वुर से सवाल दागा कि जब वो भारत में आया और यहां रहा, तब उसने किन-किन से मुलाकातें कीं और ये मुलाकातें कहां-कहां हुईं. हालांकि, तहव्वुर राणा ने पूछताछ में सहयोग नहीं किया और NIA के सवालों को यह कहकर टालता रहा कि उसे कुछ याद नहीं है.
तहव्वुर राणा को दिल्ली में एनआईए के हेड क्वार्टर में रखा गया है. NIA कोर्ट ने उसे 18 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया है. जांच एजेंसी की जिस सेल में राणा बंद है, वहां सिर्फ 12 लोगों को ही जाने का एक्सेस दिया गया है. शुक्रवार को राणा से सिर्फ 3 घंटे ही पूछताछ हो पाई. सूत्रों का कहना है कि तहव्वुर राणा किसी सवाल के संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा है. वो ज्यादातर सवालों के जवाब 'याद नहीं और पता नही' बोल रहा है. जांच अधिकारियों ने तहव्वुर राणा से उसके परिवार और दोस्तों के बारे में भी पूछा, लेकिन वो जवाब नहीं दे रहा है.
सवालों की लंबी लिस्ट...
सूत्रों का कहना है कि एनआईए राणा से मुंबई हमले से जुड़े तमाम पहलुओं पर पूछताछ करने जा रही है. सवालों की लिस्ट लंबी है. अब पूछताछ की अगली कड़ी में स्लीपर सेल के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की जाएगी, जो तहव्वुर हुसैन राणा और उसके ऑन ग्राउंड ऑपरेटिव डेविड कोलोमेन हेडली के भारत दौरे के दौरान उसके संपर्क में थे.
हमले से पहले भारत आया है तहव्वुर राणा?
हालांकि राणा, हेडली के साथ ज्यादातर जगहों पर नहीं गया था, लेकिन उसने मुंबई में इमिग्रेशन लॉ सेंटर की स्थापना और अन्य कवर व्यवस्थाओं में मदद करके हेडली की यात्रा को सुविधाजनक बनाया था. वो 8 नवंबर 2008 और 21 नवंबर 2008 के बीच कम से कम एक बार भारत आया और हेडली के साथ गया. इतना ही नहीं, हेडली को विश्वसनीयता देने के लिए खुद को एक वैध व्यवसायी के रूप में पेश किया.
राणा के इनपुट के आधार पर संभावित कार्रवाई के लिए एनआईए की टीमें विभिन्न एटीएस टीमों के संपर्क में हैं. राणा से पूछा गया कि भारत में रहने के दौरान वो किससे और कहां मिला था?
हेडली ने विशेष रूप से व्यापक निगरानी अभियान चलाए और राणा पर आरोप है कि उसने व्यापारिक गतिविधियों की आड़ में उसकी कुछ गतिविधियों में मदद की. मुख्य ध्यान स्लीपर मॉड्यूल का पता लगाने पर होगा जिसने महाराष्ट्र के मुंबई में हेडली की मदद की.
हेडली जब भारत आया तो उसने ताज महल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी), नरीमन हाउस (यहूदी चबाड सेंटर) और लियोपोल्ड कैफे आदि का सर्वे किया था. हेडली यहां लोकेशन देखकर गया था. राणा ने ही हेडली को भारत भेजने की व्यवस्था की थी.
एनआईए उन लोगों के बारे में जानकारी निकालने की कोशिश करेगी, जिन्होंने हेडली की मदद की. राणा के साथ कोऑर्डिनेशन में उसने कई जगहों पर रेकी की थी, जिसके बाद उसने वीडियो रिकॉर्डिंग और फोटोग्राफी की. उसने 2006 और 2008 के बीच कई बार इन स्थानों का दौरा किया.
दिल्ली से स्लीपर मॉड्यूल
हेडली ने व्यवसायी बनकर दिल्ली का दौरा किया था. उस पर दिल्ली में भविष्य के हमलों की योजना बनाने का भी संदेह था और उसने संभावित टारगेट की मॉनिटरिंग भी की थी. पर्यटन स्थलों का पता लगाने के लिए संभवतः गोवा की भी यात्रा की थी. गोवा से निगरानी विवरण पाकिस्तान में उसके संचालकों के साथ साझा किए गए थे. इस बात के सबूत हैं कि हेडली ने पुणे के ओशो आश्रम और संभवतः पुणे के चबाड हाउस समेत पुणे के इलाकों का सर्वे किया था.
हेडली ने कथित तौर पर पर्यटन या व्यवसाय की आड़ में पुष्कर (राजस्थान) और अन्य शहरों का दौरा किया. सामान्य खुफिया जानकारी एकत्र की और विदेशी पर्यटकों द्वारा अक्सर देखी जाने वाली जगहों की पहचान की.