कोविड संकट के बाद शुरू हुए कोरोना टीकाकरण अभियान के बीच एक विवाद वैक्सीन सर्टिफिकेट को लेकर भी हुआ था. विपक्ष के साथ कई लोगों ने इसपर आपत्ति जताई थी कि कोविड वैक्सीन के सर्टिफिकेट पर पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर क्यों है. मामला कोर्ट तक भी पहुंचा. संसद में भी सरकार को सफाई देनी पड़ी थी.
इंडिया टुडे ने भी इसके संबंध में RTI दायर की. स्वास्थ्य मंत्रालय के पास दायर की गई इस RTI के जरिए यह जानने की कोशिश हुई कि कोविड वैक्सीन के सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की तस्वीर छपेगी, यह किसने तय किया था? साथ ही टीकाकरण अभियान के दौरान जिन राज्यों में चुनाव हुआ, वहां क्या रणनीति अपनाई गई थी.
क्या आया RTI का जवाब
पहले सवाल का जवाब 10 जून 2021 को आया. इसमें सरकार ने कहा कि वैक्सीन सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की तस्वीर जाएगी यह भारत सरकार द्वारा तय किया गया था और यह फैसला कोविड टीकाकरण अभियान के शुरू होने से पहले ही ले लिया गया था.
चुनावी राज्यों में क्या नीति अपनाई गई थी? इसको लेकर RTI में बताया गया कि माडल कोड ऑफ कंडक्ट को ध्यान में रखते हुए हेल्थ मिनिस्ट्री ने उन राज्यों के सर्टिफिकेट्स पर फिल्टर्स लगाए थे, जिससे पीएम की तस्वीर सर्टिफिकेट पर नहीं आती थी. फिर चुनाव के बाद पहले जैसी व्यवस्था कर दी गई, जिसमें पीएम का फोटो आता था.
सरकार ने ऐसा दावा जरूर किया है, लेकिन असल में 6 मार्च 2021 को चुनाव आयोग के कहने के बाद ऐसा किया गया था. जबकि आचार संहिता 26 फरवरी से लागू हो चुकी थी. चुनाव आयोग को इसकी शिकायत TMC ने दर्ज कराई थी.
दायर की गई दूसरी RTI
पहली RTI में हमें साफ जानकारी नहीं मिली थी. इसलिए दूसरी RTI दायर की गई. इसमें पूछा गया कि पीएम की तस्वीर लगाने का आदेश जिस शख्स ने दिया था, वह सरकार में किस पोस्ट पर है या था. अब 18 अगस्त 2021 को सरकार का जवाब आया. इसमें कहा गया कि सरकार की यह जिम्मेदारी होती है कि जनहित के संदेशों को ठीक तरह से लोगों तक पहुंचाया जाए, जिसका ज्यादा से ज्यादा असर हो. किसी सर्टिफिकेट पर क्या तस्वीर लगनी है इसका फैसला वह सरकारी विभाग लेता है, जिसका वह कार्यक्षेत्र होता है.
RTI में यह भी पूछा गया था कि क्या देश में कभी पहले पीएम की तस्वीर किसी वैक्सीन सर्टिफिकेट का हिस्सा रही है? इस RTI को टीकाकरण अनुभाग को बढ़ाया गया था. लेकिन वहां से कहा गया कि इसका जवाब उनके विभाग से संबंधित नहीं है.