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गणतंत्र दिवस पर भारत ने जब पाकिस्तान से बुलाया चीफ गेस्ट, 3 महीने बाद ही छिड़ गई थी जंग

देश 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस बार भारत ने इस कार्यक्रम के लिए बतौर चीफ गेस्ट इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो को आमंत्रित किया है. दरअसल, भारत के गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) समारोह में हर साल एक मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया जाता है. यह परंपरा 1950 में शुरू हुई थी और अब तक यह जारी है.

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1965 में हुआ था भारत-पाकिस्तान युद्ध (सांकेतिक तस्वीर)
1965 में हुआ था भारत-पाकिस्तान युद्ध (सांकेतिक तस्वीर)

देश 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस बार भारत ने इस कार्यक्रम के लिए बतौर चीफ गेस्ट इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो को आमंत्रित किया है. दरअसल, भारत के गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) समारोह में हर साल एक मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया जाता है. यह परंपरा 1950 में शुरू हुई थी और अब तक यह जारी है. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत ने दो बार पाकिस्तान को भी गणतंत्र दिवस के लिए बतौर मुख्य अतिथि बुलाया है. लेकिन इस सम्मान के बाद भी पाकिस्तान ने एक नापाक हरकत की थी और भारत के साथ युद्ध की शुरुआत की थी. आइए जानते हैं ये किस्सा...

पाकिस्तान को दो बार मिला मुख्य अतिथि बनने का मौका

भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा ही जटिल रहे हैं. लेकिन तनाव और संघर्ष के बावजूद गणतंत्र दिवस समारोह में पाकिस्तान के नेताओं को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया है. पाकिस्तान को 1955 और 1965 में भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनाया गया था. 1955 में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद को गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि बनाया गया था. वहीं, साल 1965 में पाकिस्तान के कृषि मंत्री राना अब्दुल हामिद भारत के मुख्य अतिथि के रूप में गणतंत्र दिवस में शामिल हुए थे.

बता दें कि जनवरी में हुए इस कार्यक्रम में पाकिस्तान को मिले सम्मान के बाद भी पड़ोसी देश ने नापाक हरकत की थी और 6 महीने बाद ही भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था. भारत-पाकिस्तान के बीच 5 अगस्त 1965 से युद्ध शुरू हुआ था, जो सिंतबर आखिर तक चला था.

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जब शुरू हुआ भारत-पाकिस्तान युद्ध

भारत ने भले ही गणतंत्र दिवस पर पाकिस्तान को बुलाकर दोस्ती और भरोसे का हाथ बढ़ाया था, लेकिन पाकिस्तान ने एक बार फिर पीठ में छूरा घोपने का इरादा किया था. दो महीने भी नहीं बीते थे, जब 1965 में मार्च के आखिरी महीनों में पाकिस्तान ने जानबूझकर कच्छ के रण में झडपें शुरू कर दी थीं. कुछ समझौतों के बाद मामला थोड़ा शांत जरूर हुआ लेकिन पाकिस्तान अंदरखाने एक बड़े हमले की तैयारी में जुटा रहा. आखिरकार अगस्त की शुरुआत में पाकिस्तानी सैनिकों ने हजारों की संख्या में कश्मीर की स्थानीय आबादी की वेषभूषा में नियंत्रण रेखा को पार कर भारतीय कश्मीर में प्रवेश कर लिया. ये युद्ध 23 सितंबर तक चला. इस हमले में भारतीय जांबाजों ने पाकिस्तान के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया था. हालांकि, बाद में संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद युद्धविराम हुआ. इस हमले के बाद जब जनवरी में दोनों देशों के बीच समझौते के लिए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ताशकंद गए तो वहां उनका रहस्यमयी परिस्थितियों में निधन हो गया.

गणतंत्र दिवस पर सबसे ज्यादा मौका किसे मिला?

अब तक गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में सबसे ज्यादा बार फ्रांस के नेताओं को आमंत्रित किया गया है. फ्रांस के नेताओं को  1976, 1980, 1998, 2008, 2016 और 2024 में गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया. यह भारत और फ्रांस के बीच विशेष द्विपक्षीय रिश्तों को दर्शाता है, जो रक्षा, परमाणु ऊर्जा, आतंकवाद, और तकनीकी सहयोग जैसे क्षेत्रों में मजबूत हैं. 

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मुख्य अतिथि को बुलाने की योजना कैसे बनती है?

गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि को बुलाने की प्रक्रिया एक जटिल और सोच-समझकर बनाई गई रणनीति होती है. यह निर्णय कई कारकों पर निर्भर करता है:

1. राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध: मुख्य अतिथि के चयन में सबसे पहला और महत्वपूर्ण कारक दोनों देशों के बीच के राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध होते हैं. यदि दोनों देशों के बीच अच्छे द्विपक्षीय रिश्ते हैं तो उस देश के प्रमुख को आमंत्रित किया जाता है. यह न केवल दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है, बल्कि वैश्विक मंच पर एक सकारात्मक संदेश भी भेजता है.

2. आर्थिक और रक्षा सहयोग: आर्थिक और रक्षा क्षेत्रों में सहयोग भी एक महत्वपूर्ण विचार होता है. भारत और जिस देश के प्रमुख को आमंत्रित करने का विचार कर रहा है, उस देश के साथ व्यापारिक, रक्षा या अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साझेदारी होनी चाहिए. 

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3. वैश्विक संदर्भ: अंतरराष्ट्रीय राजनीति और वैश्विक संदर्भ भी मुख्य अतिथि को बुलाने में भूमिका निभाते हैं. उदाहरण के लिए, भारत अपने रणनीतिक साझेदारों के साथ अपने रिश्ते को और मजबूत करने के लिए गणतंत्र दिवस पर उन्हें आमंत्रित कर सकता है, जैसे कि 2015 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को आमंत्रित किया गया था. 

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4. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध: कभी-कभी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्तों का भी ध्यान रखा जाता है. भारत और किसी देश के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ते गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के चयन में अहम भूमिका निभाते हैं.

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