
कृषि कानून के खिलाफ पिछले करीब दो महीने से दिल्ली के आसपास किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा था. लेकिन गणतंत्र दिवस के मौके पर निकाली गए ट्रैक्टर मार्च में राजधानी में जो हिंसा हुई उसने सारा माहौल बिगाड़ दिया. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हिंसक झड़प हुई, सैकड़ों पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और लाल किले में घुसकर भी तोड़फोड़ कर दी गई है.
इस किसान आंदोलन के बीच बार-बार एक नाम सुनाई दिया जो कि सिख ऑफ जस्टिस (SFJ) ग्रुप का रहा. ये संगठन भारत में प्रतिबंधित है. बीते दिनों SFJ ने ही एक बयान जारी कर रहा था कि भारत सरकार को किसानों को ट्रैक्टर रैली निकालने दी जाने चाहिए, वरना गणतंत्र दिवस के दिन अगर दिल्ली में हिंसा हुई तो उसके लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी. अब जब ये संगठन फिर चर्चा में है, तो एक बार जानिए सिख फॉर जस्टिस आखिर है क्या?
क्या है सिख फॉर जस्टिस संगठन?
अमेरिका में बने सिख फॉर जस्टिस की शुरुआत साल 2007 में हुई थी. इस संगठन का मुख्यरूप से एजेंडा पंजाब में अलग से खालिस्तान बनाने का है. अमेरिका में वकील और पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ले चुका गुरपतवंत सिंह पन्नू SFJ का चेहरा है, जो लगातार सुर्खियों में बना रहता है. गणतंत्र दिवस से पहले गुरपतवंत सिंह ने ही हिंसा को लेकर धमकी दी थी.
सिख फॉर जस्टिस संगठन ने ही पिछले साल रेफरेंडम 2020 का आयोजन करने की कोशिश की थी, जिसमें दुनियाभर में सिखों से शामिल होने को कहा गया और खालिस्तान बनाने के कैंपेन को बढ़ावा देने की कोशिश की गई.

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भारत में लगा है प्रतिबंध
साल 2019 में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सिख फॉर जस्टिस पर बैन लगाया गया और इस संगठन पर भारत में देशविरोधी कैंपेन चलाने का आरोप लगाया गया. UAPA एक्ट के तहत इस संगठन पर बैन लगा था. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक, सिख फॉर जस्टिस संगठन पंजाब में लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहा है. साथ ही दुनिया के कई स्थानों में खालिस्तान की मांग को लेकर प्रदर्शन किए गए जिससे भारत की छवि धूमिल हुई है.
किसान आंदोलन के बीच चर्चा
कृषि कानून के खिलाफ पिछले साल जो आंदोलन शुरू हुआ, वो कई बार सत्ताधारी दल के निशाने पर रहा. भारतीय जनता पार्टी ने कई बार आरोप लगाया कि किसान आंदोलन में कई ऐसे संगठन शामिल हो चुके हैं, जो खालिस्तान का समर्थन करते हैं. इस दौरान सिख फॉर जस्टिस का नाम भी आया.
हाल ही में दिल्ली में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने पंजाब के कई किसान नेताओं, संगठनों को नोटिस दिया था. इन सभी पर सिख फॉर जस्टिस संगठन के साथ संपर्क करने, किसान आंदोलन को भड़काने का आरोप लगाया था जिसपर काफी बवाल हुआ था.