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क्या है जन विश्वास बिल 2022... जिसके जरिए छोटे अपराधों में सजा खत्म कर जुर्माने का प्रस्ताव, 42 कानूनों में होगा बदलाव

मोदी सरकार ने 22 दिसंबर, 2022 को लोकसभा में जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2022 को पेश किया था. इसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया था. अब इसे कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. बिल में छोटे अपराधों को अपराधमुक्त बनाकर सिर्फ जुर्माने का प्रावधान करने की सिफारिश की गई है.

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जन विश्वास बिल 2022 को मिली मंजूरी
जन विश्वास बिल 2022 को मिली मंजूरी

जन विश्वास (संशोधन) बिल, 2022 (The Jan Vishwas Amendment of provision Bill 2022) को केंद्रीय कैबिनेट से बुधवार को संभवता मंजूरी मिल गई है. यह बिल कारोबार में सुगमता लाने के लिए लाया गया है. बिल में 42 अधिनियमों में 183 प्रावधानों में संशोधन कर छोटी मोटी गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रावधान है. यानी विधेयक के तहत कुछ अधिनियमों में कारावास की सजा को हटाकर अर्थ दंड लगाकर सजा से मुक्त करने के प्रावधान को जोड़ा गया है. जन विश्वास विधेयक 2022 से Ease of doing Business और Ease of Living आसान होगी.आइए जानते हैं कि आखिर ये बिल क्या है और इसमें क्या क्या प्रावधान हैं? 

मोदी सरकार ने 22 दिसंबर, 2022 को लोकसभा में जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2022 को पेश किया था. इसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया था. समिति ने 19 मंत्रालयों, विधायी और विधि मामलों के विभागों के साथ चर्चा की. इसके बाद इस साल मार्च में इस रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया था. मार्च में इसे दोनों सदनों में भी पेश किया गया था.

संसदीय समिति ने दिए थे ये सुझाव

- संसदीय समिति ने सरकार को कारोबार और जीवनयापन को सरल बनाने को बढ़ावा देने के लिए छोटे मामलों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया था.

- समिति ने कहा था, सरकार को पिछली तिथि से प्रावधानों में संशोधन करना चाहिए, ताकि कोर्ट में लंबित पड़े मामलों का निपटारा हो सके. 
 
- समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मुकदमों में वृद्धि से बचने के लिये जहां भी संभव हो कारावास के साथ जुर्माने को हटाकर नियम का उल्लंघन करने पर मौद्रिक दंड लगाया जाए. छोटे मोटे अपराधों को अपराधमुक्त किया जाए और गंभीरता के आधार पर मौद्रिक दंड को तर्कसंगत बनाया जाए.

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19 मंत्रालयों से जुड़े 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों में होगा संशोधन

- संसदीय समिति ने 19 मंत्रालयों से जुड़े 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों में संसोधन का प्रस्ताव दिया है. इन मंत्रालयों में वित्त, वित्तीय सेवाएं, कृषि, वाणिज्य, पर्यावरण, सड़क परिवहन और राजमार्ग, डाक, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी शामिल हैं. 

इन अधिनियमों में संसोधन का प्रस्ताव

- रिपोर्ट में सार्वजनिक ऋण अधिनियम1944, फार्मेसी अधिनियम 1948, सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952, कॉपीराइट अधिनियम 1957, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940, मोटर वाहन अधिनियम 1988, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006, मनी लांड्रिंग निरोधक अधिनियम 2002, ट्रेड मार्क्स अधिनियम 1999, रेलवे अधिनियम 1989, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000, पेटेंट अधिनियम 1970, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986, मोटर वाहन अधिनियम 1988 समेत 42 अधिनियम शामिल हैं. 

क्या ईडी की ताकत होगी कम?

दिलचस्प है कि एक सुधार पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act ) में भी है, जिसका ईडी विरोध कर रहा है. पीएमएलए के प्रावधानों को डिक्रिमिनेलाइज करने का प्रस्ताव है जिसका ईडी ने यह कह कर विरोध किया कि इससे जांच एजेंसी की ताकत कम होगी. जनविश्वास बिल में कई अपराधों में सजा के बजाए जुर्माने का प्रावधान है. इससे आम लोगों और कारोबारियों को अपने काम में आसानी होगी. 

जन विश्वास (संशोधन) बिल के क्या होंगे फायदे?

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- केंद्र सरकार के मुताबिक, जन विश्वास (संशोधन) 2022 में  कारोबार की सुगमता के लिए छोटे अपराधों से जुड़े प्रावधानों में संशोधन की व्यवस्था है.
- इससे Ease of doing Business और Ease of Living आसान होगी.
- कई अपराधों को अपराधमुक्त बनाने से अदालतों का बोझ कम होगा. 
- इसके अलावा जेलों में कैदियों की संख्या कम होगी. NCRB 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, कुल 4.25 लाख की क्षमता वाली जेलों में 5.54 लाख कैदी थे. 

इस बिल के पास होने के बाद क्या क्या बदल जाएगा, कुछ उदाहरण से समझिए... 

- इस बिल में कृषि उत्पाद (ग्रेडिंग और मार्किंग) एक्ट, 1937 में भी बदलाव की सिफारिश है. अभी जाली ग्रेड डेजिग्नेशन मार्क बनाने पर तीन साल तक की सजा और 5 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. लेकिन बिल में सजा का प्रावधान हटाकर आठ लाख रुपए तक फाइन का प्रस्ताव है. 

- इसी तरह से सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट, 2000 के तहत कानूनी अनुबंध का उल्लंघन करते हुए व्यक्तिगत सूचना का खुलासा करने पर 3 साल तक की कैद, या पांच लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं. लेकिन जन विश्वास बिल में इसे 25 लाख रुपए तक फाइन में बदलने का प्रावधान है. 

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- इसी तरह से पेटेंट्स एक्ट, 1970 में भी जुर्माना बढ़ाकर अपराधमुक्त मनाने का प्रावधान है. पेटेंट्स एक्ट के उल्लंघन के मामले में अब 10 लाख रुपये तक जुर्माना बढ़ाने का प्रस्ताव है. 

- ऐसे ही रेलवे प्लेटफॉर्म पर भीख मांगना अपराध है, इसके लिए छह महीने तक सजा हो सकती है. लेकिन अब इसमें सिर्फ जुर्माना लगाकर छोड़ने की सिफारिश की गई है. 

- पोस्ट ऑफिस एक्ट 1898 में भी बदलाव कर सजा का प्रावधान खत्म कर जुर्माने की सिफारिश की गई है. 

 

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