केरल के वायनाड में मूसलाधार बारिश के कारण बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है, इसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई. इस दुखद घटना ने भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा की गई मौसम संबंधी भविष्यवाणियों की सटीकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
आजतक ने IMD द्वारा किए गए विभिन्न पूर्वानुमानों की सटीकता की जांच की. इसमें सामने आया कि विभाग सामान्यतः आगामी 5 दिनों के लिए मौसम का पूर्वानुमान बताता है. इसके साथ ही डेली फॉरकास्ट और हर घंटे की अपडेट भी आईएमडी की ओर से शेयर की जाती है. आमतौर पर पूर्वानुमान की अवधि जितनी कम होती है, वह उतना ही सटीक होती है.ॉ
IMD ने 29 जुलाई की रात जारी किया था रेड अलर्ट
IMD ने 29 जुलाई को रात 11:30 बजे के आसपास केरल के लिए रेड अलर्ट जारी किया था, इस अलर्ट के जरिए आधी रात के आसपास भारी बारिश की सटीक भविष्यवाणी की गई थी, जो अल्पकालिक मौसम पूर्वानुमान बताने में IMD की क्षमता को बताता है. लैंडस्लाइड से कुछ दिन पहले IMD ने रविवार और सोमवार दोपहर को अपने डेली बुलेटिन में केरल के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया था, जिसमें भारी बारिश की संभावना का संकेत दिया गया था. आजतक ने जब इन बुलेटिनों की जांच की तो ये पता चला कि IMD ने वास्तव में गंभीर मौसम की स्थिति का अनुमान लगाया था.
लंबी अवधि के पूर्वानुमान भी सटीक होने चाहिए
ये निष्कर्ष सटीक पूर्वानुमान बताने की IMD की क्षमता को उजागर करते हैं, जो कि तत्काल आपदा प्रतिक्रिया के लिए काफी जरूरी हैं. हालांकि वायनाड में हुई भयावह त्रासदी इस बात पर जोर देती है कि इस तरह की घटनाओं को लेकर लंबी अवधि के पूर्वानुमान भी सटीक रहें. इस तरह की घटनाओं के संबंध में काफी पहले अलर्ट जारी होने पर एजेंसियों और स्थानीय अधिकारियों को जरूरी उपाय करने का समय मिल सके. जिससे संभावित रूप से कई लोगों की जान बच सकती है और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान नुकसान कम हो सकता है.
कम अवधि के पूर्वानुमान काफी सटीक
हालांकि IMD अपने कम अवधि के पूर्वानुमानों में काफी सटीक रहा है. वायनाड की घटना लंबी अवधि के पूर्वानुमान क्षमताओं में सुधार की बात पर जोर देती है. लंबी अवधि के पूर्वानुमान में सटीकता होने पर आपदा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण समय मिल सकता है, जो लोगों को मौसम के विनाशकारी प्रभावों से बचा सकती है.