वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले अभी तक NDA शासित राज्यों असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र ने संशोधन कानून का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. इन राज्यों ने वक्फ अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की इस दलील का विरोध किया है कि वक्फ संशोधन अधिनियम संविधान में दिए मौलिक अधिकारों के साथ अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन और हनन करता है.
याचिकाओं में इन राज्यों ने कहा है कि इसमें संशोधन के जरिए वक्फ में सुधार और सुरक्षा के उपाय शामिल किए गए हैं. राज्यों ने कहा है कि संसदीय समितियों, अंतर-मंत्रालयी चर्चाओं और स्टेकहोल्डर्स यानी सभी हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा और साझा संसदीय समिति में विस्तृत विचार विमर्श के बाद ही ये विधेयक पारित होकर अधिनियम बनाया गया है.
अब लिमिटेशन एक्ट के दायरे में वक्फ
वक्फ संशोधन विधेयक में सरकार ने पुराने कानून की धारा 107 को समाप्त कर दिया है. इसका सीधा मतलब है कि वक्फ बोर्ड भी अब लिमिटेशन एक्ट 1963 के दायरे में आएगा. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद के दोनों सदनों में वक्फ संशोधन बिल पेश करते हुए स्पष्ट कहा कि अब वक्फ पर लिमिटेशन एक्ट भी लागू होगा.
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सरकार का तर्क है कि इस एक्ट के लागू नहीं होने की वजह से वक्फ बोर्ड कभी भी किसी भी जमीन पर दावा कर दे रहा था जिससे विवाद बढ़ रहे थे. लिमिटेशन एक्ट लागू हो जाने के बाद यह तय हो जाएगा कि दावा एक निश्चित समय तक ही किए जा सकेंगे और वक्फ बोर्ड की मनमानी पर लगाम लगेगी. आम लोगों को यह भरोसा होगा कि अब उनकी जमीन अचानक वक्फ के नाम पर नहीं छिनी जाएगी और वक्फ संपत्तियां भी सामान्य कानून के दायरे में आएंगी.