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'कुछ लोग साजिश के तहत चला रहे नैरेटिव...', बांग्लादेश जैसी हालत वाली टिप्पणी पर बरसे धनखड़

उपराष्ट्रपति ने आगाह किया कि कुछ राष्ट्रविरोधी लोग एक साजिश के तहत नैरेटिव चला रहे हैं कि भारत में भी पड़ोसी देश जैसी घटना की जा सकती है. घटनाक्रम दोहराया जाएगा. उन्होंने कहा, ये लोग जिम्मेदारी वाले पदों पर रहे हैं, फिर ऐसा गैरजिम्मेदाराना बयान कैसे दे सकते हैं

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को राजस्थान हाई कोर्ट के प्लैटिनम जुबली समारोह को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश के हालात और देश में लगे आपातकाल का जिक्र किया. इसके साथ ही उपराष्ट्रपति ने इस दौरान देश की मजबूत न्याय व्यवस्था की तारीफ की.

उपराष्ट्रपति ने आगाह किया कि कुछ राष्ट्रविरोधी लोग एक साजिश के तहत नैरेटिव चला रहे हैं कि भारत में भी पड़ोसी देश जैसी घटना की जा सकती है. उन्होंने कहा, ये लोग जिम्मेदारी वाले पदों पर रहे हैं, फिर भी ऐसा गैरजिम्मेदाराना बयान कैसे दे सकते हैं? ऐसी राष्ट्र विरोधी ताकतें देश तोड़ने को तत्पर हैं, राष्ट्र के विकास को पटरी से उतारना चाहती हैं."

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है और इससे समझौता नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था में राज्यों के हाई कोर्ट और चीफ जस्टिस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है.

उपराष्ट्रपति ने आपातकाल के युग को आजादी के बाद का "सबसे क्रूर काल" बताया है.  उन्होंने कहा कि, आपातकाल के दौरान न्यायपालिका ने ''तानाशाही शासन'' के सामने घुटने टेक दिए थे. आपातकाल के क्रूर दौर को याद करते हुए धनखड़ ने कहा कि, ''एक व्यक्ति ने आजादी की फिरौती ले रखी थी.'' धनखड़ ने उन ताकतों की उपस्थिति को रेखांकित किया जो देश को भीतर से कमजोर करने के उद्देश्य से हानिकारक एजेंडे को बढ़ावा देते हैं.

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 'बांग्लादेश जैसे हालात भारत में भी हो सकते हैं' वाले बयान के लिए कांग्रेस नेताओं की आलोचना की. उपराष्ट्रपति ने ऐसी अफवाह फैलाने के प्रयासों पर गहरी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि, कुछ लोग ऐसे नैरेटिव फैला रहे हैं, कि पड़ोसी देश में जो हुआ वह जल्द ही भारत में सामने आ सकता है. ऐसे दावे करने वाले लोगों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने लोगों से से ऐसी अफवाहों के प्रति सतर्क रहने का अनुरोध किया.

उपराष्ट्रपति ने आपातकाल के युग को आजादी के बाद का "सबसे क्रूर काल" बताया है. उपराष्ट्रपति ने नागरिकों की स्वतंत्रता पर इस फैसले के गंभीर प्रभावों की ओर इशारा करते हुए कहा, "सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाया कि जब तक आपातकाल रहेगा तब तक कोई भी अधिकारों को लागू करने के लिए किसी भी अदालत में नहीं जा सकता." उन्होंने कहा, "एक व्यक्ति द्वारा स्वतंत्रता की कीमत चुकाई गई और देश भर में हजारों लोगों को बिना किसी गलती के गिरफ्तार कर लिया गया.'
 

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