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सावरकर की याचिका को लेकर क्या बोले विक्रम संपत और एस इरफान हबीब?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि महात्मा गांधी ने वीर सावरकर को दया याचिका फाइल करने के लिए कहा था. इंडिया टुडे टीवी के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने इस मुद्दे पर लेखक डॉ विक्रम संपत और इतिहासकार प्रो एस इरफान हबीब से बात की.

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 इतिहासकार प्रो एस इरफान हबीब और लेखक डॉ विक्रम संपत (फाइल फोटो)
इतिहासकार प्रो एस इरफान हबीब और लेखक डॉ विक्रम संपत (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राजनाथ सिंह का दावा- गांधी ने सावरकर से माफीनामा दायर करने के लिए कहा
  • राजनाथ सिंह के बयान पर छिड़ा विवाद

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि महात्मा गांधी ने वीर सावरकर को दया याचिका फाइल करने के लिए कहा था. इंडिया टुडे टीवी के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने इस मुद्दे पर लेखक डॉ विक्रम संपत और इतिहासकार प्रो एस इरफान हबीब से बात की.

क्या राजनाथ सिंह का दावा सच है?

विक्रम संपत ने कहा, यह कोई नया खुलासा नहीं है. सभी राजनीतिक बंदियों को ये याचिका दायर करने का अवसर दिया गया. सावरकर के साथ, बरिंद्र कुमार घोष और सचिंद्र नाथ सान्याल जैसे कई अन्य लोगों ने ये याचिकाएं दायर की थीं. इन्हें दया याचिका मत कहो. यह एक याचिका है जब आज आप जमानत अर्जी दाखिल करते हैं, तो आप सरकार से आपको रिहा करने की अपील करते हैं. 

प्रथम विश्व युद्ध के अंत में जब अन्य सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दिया गया और केवल दो सावरकर भाइयों को रिहा नहीं किया गया क्योंकि वे उन्हें डी श्रेणी के खतरनाक अपराधी मानते थे. इसके बाद सावरकर के छोटे भाई गांधी जी के पास जाते हैं. गांधी जी ने कहा था कि वे उन्हें याचिका फाइल करने के लिए कहें. मैं यह भी देखूंगा कि मैं अपनी ओर से क्या कर सकता हूं. अगर याचिका दायर करना बहुत असामान्य होता, तो गांधी जी ऐसा करने की सलाह कभी नहीं देते. 

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सवाल: महात्मा गांधी ने उनसे कभी अंग्रेजों से माफी मांगने के लिए नहीं कहा?

विक्रम संपत ने कहा, यह कोई खुलासा नहीं है. सावरकर ने खुद इस बारे में अपनी आत्मकथा और अपने भाई को लिखे पत्रों में लिखा था. मैंने अपनी पुस्तक 1 ​​में इसका उल्लेख किया है. आपने जो किया है उसके लिए माफी कहीं नहीं कहा जाता है. अंग्रेजों ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने किए पर कोई पछतावा नहीं दिखाया. वे उनके चरणों में गिर सकते थे. याचिका और दया याचिका में कोई अंतर नहीं है. मदन मोहन मालवीय द्वारा उनकी ओर से राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खान जैसे लोगों ने याचिका दायर की थी. क्या हम उन सभी को देशद्रोही कहते हैं? और प्रारूप बहुत समान था. 

सवाल: क्या आप मानते हैं कि सच्चाई कहीं बीच में है, जैसा कि अक्सर होता है?

इतिहासकार प्रो एस इरफान हबीब: हां, यह बीच में है. बहुत सी चीजें हैं जो छूट रही हैं. इसमें कोई शक नहीं कि वह याचिका दायर करने वाले पहले या आखिरी व्यक्ति नहीं थे. और कोई प्रारूप नहीं है. जब आप अपना पक्ष रखते हैं तो आप अलग-अलग बातें लिख सकते हैं. सावरकर ने जितनी भी 4-5 याचिकाएं लिखीं, वे बिल्कुल एक जैसी नहीं हैं. 

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सवाल : राजनाथ सिंह ने दावा किया कि गांधी जी ने सावरकर को याचिका दायर करने के लिए कहा था? 

राजनाथ सिंह का दावा पूरी तरह से अपमानजनक है. उन्हें अपने शब्दों का प्रयोग अधिक सावधानी से करना चाहिए था.  यह एक अलग मुद्दा है. मुद्दा यह है कि गांधी ने जो पत्र लिखा वह बहुत स्पष्ट रूप से लिखता है कि इन भाइयों ने सरकार को आश्वासन दिया है कि वे अपनी रिहाई के बाद भारत पर ब्रिटिश शासन का मुकाबला नहीं करने जा रहे हैं. यह गांधी उनकी व्याख्या कर रहे हैं. यदि आप उस पर विश्वास नहीं करते हैं, तो कोई बात नहीं. 
 

 

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