उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के एक फैसले पर विवाद शुरू हो गया है. आरोप है कि धनखड़ ने संसदीय समितियों में अपने निजी स्टाफ की नियुक्ति की है. ये सभी समितियां राज्यसभा के तहत आती हैं. इन समितियों में 8 कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है.
आरोप है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 20 संसदीय समितियों में अपने 8 कर्मचारियों को नियुक्त किया है. चार कर्मचारी उपराष्ट्रपति सचिवालय के अधीन, जबकि चार कर्मचारी राज्यसभा के सभापति के अधीन हैं. इन संसदीय समितियों की कार्यवाही गुप्त होती हैं. लेकिन उपराष्ट्रपति के निजी स्टाफ को संसदीय समितियों को हिस्सा बनाना एक तरह से इनके कामकाज में सीधे दखल के तौर पर देखा जा रहा है.
सामान्यत संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी संसदीय समितियों का काम देखता है और सीधे राज्य सभा के महासचिव को रिपोर्ट करता है. महासचिव संसदीय समितियों की कार्यवाही के बारे में राज्य सभा के सभापति और उपराष्ट्रपति को जानकारी देते हैं. संसदीय समिति के अध्यक्ष संसद के प्रति जवाबदेह हैं.
कहां किसकी तैनाती?
आरोप है कि उपराष्ट्रपति के ओएसडी राजेश एन नायक को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी, जनरल परपज कमेटी और गृह मंत्रालय से जुड़ी समिति के साथ जोड़ा गया. उपराष्ट्रपति के निजी सचिव सुजीत कुमार को राज्यसभा में सूचना और संचार तकनीक प्रबंधन की समिति, वाणिज्य समिति और विज्ञान और तकनीक, पर्यावरण वन एवं मौसम परिवर्तन मंत्रालय की समिति से जोड़ा गया.
सभापति के ओएसडी अखिल चौधरी को ऐथिक्स, पेपर्स लेड ऑन टेबल तथा उद्योग मंत्रालय की समिति से जोड़ा गया. उपराष्ट्रपति के एपीएस संजय वर्मा को गवर्नमेंट एश्योरेंस से जोड़ा गया. उपराष्ट्रपति के ओएसडी अभ्युदय सिंह शेखावत को हाउस कमेटी, पिटिशन कमेटी और स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय की समिति से जोड़ा गया. सभापति के ओएसडी कौस्तुभ सुधाकर भालेकर को रूल्स कमेटी और यातायात, पर्यटन तथा संस्कृति मंत्रालय की समिति से जोड़ा गया. सभापति की निजी सचिव अदिति चौधरी को सबआर्डिनेट लेजीस्लेशन कमेटी के साथ जोड़ा गया.