भारत में पिछले 14 सालों में गरीबों की संख्या बड़ी गिरावट आई है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 15 सालों में 41.5 करोड़ (415 मिलियन) लोग गरीबी के चंगुल से बाहर निकले हैं. संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 2005-06 से 2019-21 तक गरीबी उन्मूलन की दिशा में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है और यहां गरीबों की संख्या में 41.5 करोड़ की कमी हुई है.
यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम और ऑक्सफोर्ड पावर्टी एंड ह्युमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव की ओर से सोमवार को जारी बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index) में बताया गया है कि भारत में 415 मिलियन लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. UN ने भारत की इस कोशिश को 'ऐतिहासिक बदलाव' बताया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लिए 2020 के जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर, दुनिया भर में सबसे ज्यादा गरीब लोग (228.9 मिलियन यानी कि 22.8 करोड) हैं, इसके बाद नाइजीरिया (2020 में लगभग 96.7 मिलियन) हैं. रिपोर्ट के अनुसार विकास के बावजूद भारत की आबादी कोविड महामारी के प्रभाव और बढ़ते खाद्यान्न, ऊंची ईंधन कीमतों से जूझ रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पोषण और ऊर्जा की किल्लतों से जुड़ी समस्याओं पर काम करना सरकार की प्राथमिकता सूची में बरकरार रहना चाहिए.
23 करोड़ लोग अभी भी गरीबी के दायरे में
UN ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने गरीबी उन्मूलन में कामयाबी पाई है लेकिन अभी लगभग 23 करोड लोगों को गरीबी से बाहर निकलना चुनौतीपूर्ण टास्क बना हुआ है, क्योंकि 2019/21 में जब ये आंकड़े जुटाए गए थे तब से निश्चित रूप से गरीबों की संख्या बढ़ी होगी.
संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के कुछ इलाकों में राष्ट्रीय औसत से तेज दर से गरीबी में कमी आई है, लेकिन ये इलाके पहले अपने देश में सबसे निर्धन राज्यों में थे. रिपोर्ट के अनुसार बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं जहां गरीबी में तेजी से गिरावट आई है.
ऐसा है गरीबी उन्मूलन का डाटा
रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2005/06 से लेकर 2015/16 तक गरीबी से 275 मिलियन यानी कि 27.5 करोड़ लोग बाहर आए, जबकि 2015/16 से लेकर 2019/21 तक 140 मिलियन यानी कि 14 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए. रिपोर्ट कहता है कि भारत की प्रगति ये बताती है कि बड़े पैमाने पर भी गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य संभव है. बता दें कि देश में 2004 से लेकर 2014 तक कांग्रेस की अगुआई में यूपीए की सरकार थी. जबकि 2014 से अबतक नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी की सरकार है.
रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कोरोना का गरीबी पर क्या असर हुआ है इसका आकलन करना मुश्किल है क्योंकि 71 फीसदी डाटा 2019/21 से पहले ही ले लिया गया था. 2019-21 का आंकड़ा बताता है कि भारत की आबादी का 16.4 फीसदी गरीबी में रहती है. देश की जनसंख्या का 4.2 प्रतिशत लोग बेहद निर्धनता की हालत में रहते हैं.
शहरों के मुकाबले गांवों में ज्यादा गरीब
UN का आंकड़ा गावों और शहरों में विकास की खाई को भी दिखाता है. गांवों में रहने वाले 21.2 प्रतिशत लोग गरीब हैं, जबकि शहरों के लिए ये आंकड़ा 5.5 फीसदी है. भारत में 23 करोड़ गरीबों में 90 फीसदी गांवों में हैं. इस तरह से सरकार के सामने गरीबी उन्मूलन के लिए लक्ष्य स्पष्ट है.
भारत दक्षिण एशिया का एकमात्र देश ऐसा है जहां पुरुष प्रधान के मुकाबले महिला प्रधान घरों में गरीबी ज्यादा है. यहां महिला प्रधान घरों के 19.7 फीसदी लोग गरीबी में रहते हैं जबकि पुरुष प्रधान घरों के 15.9 प्रतिशत लोग निर्धनता में जीते हैं. भारत में 7 में से एक घर महिला प्रधान है. इस तरह से 3.9 करोड़ गरीब लोग वैसे घरों में रहते हैं जिनकी प्रधान महिला है.
2015-16 में जो 10 सूबे भारत के सबसे गरीब राज्यों में शामिल थे उनमें से 2019/21 में सिर्फ पश्चिम बंगाल ही इस सूची से बाहर निकल पाने में सफल हुआ है. बाकी 9 राज्य अभी भी सबसे निर्धन राज्यों में बने हुए हैं. ये राज्य हैं. बिहार, झारखंड, मेघालय, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान.