मिजोरम और गोवा के बाद त्रिपुरा को देश का तीसरा पूरी तरह से साक्षर राज्य घोषित किया गया. एक एजेंसी के मुताबिक राज्य की साक्षरता दर 95.6 प्रतिशत तक पहुंच गई. शिक्षा मंत्रालय ने UNESCO के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी राज्य को पूरी तरह से साक्षर घोषित करने के लिए 95 प्रतिशत का लक्ष्य रखा है.
हालांकि पूर्वोत्तर राज्य में TMP और बीजेपी के बीच अंदरूनी कलह देखने को मिली. जिसमें त्रिपुरा ट्राइबल एरिया ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (TTAADC) के आगामी चुनावों से पहले हमलों और जवाबी हमलों में दोनों पक्षों के कार्यकर्ता घायल हो गए.
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TMP प्रमुख और पूर्व शाही वंशज प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने टिपरासा समझौते को लागू करने और राज्य के आदिवासियों द्वारा बोली जाने वाली कोकबोरोक भाषा के लिए रोमन लिपि अपनाने पर अपनी पार्टी के रुख को दोहराया.
उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि अगर अगले साल अप्रैल में होने वाले TTAADC चुनावों तक टिपरासा समझौते के प्रावधानों को लागू नहीं किया गया, तो पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी. टिपरासा समझौता स्वदेशी लोगों के समग्र विकास के लिए 2024 में TMP द्वारा केंद्र और राज्य सरकार के साथ किए गए समझौते को संदर्भित करता है.
TMP ने क्षेत्र की क्षेत्रीय पार्टियों के लिए एक साझा मंच 'वन नॉर्थ ईस्ट' (ONE) का पहला सम्मेलन भी आयोजित किया. जिससे बीजेपी और भी नाराज हो गई. मुख्यमंत्री माणिक साहा ने TMP पर पलटवार करते हुए कहा कि "राजनीतिक ब्लैकमेलिंग" उनकी सरकार के खिलाफ काम नहीं करेगी.
इधर बांग्लादेश में अशांति और भारत विरोधी भावनाओं में वृद्धि के मद्देनजर पूरे पूर्वोत्तर राज्य में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी. त्रिपुरा ने 90 के दशक में खून-खराबा देखा था, जब विद्रोही समूह NLFT और ATTF बांग्लादेश को लॉन्चपैड के रूप में इस्तेमाल करके क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे. जिससे शांति और विकास बाधित हो रहा था.