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एमपी: HC के जज पर यौन शोषण का आरोप लगाकर महिला जज ने दिया था इस्तीफा, सुप्रीम कोर्ट ने किया बहाल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, महिला जज को 2014 से अब तक का वेतन नहीं मिलेगा. लेकिन रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभ पर इसका असर नहीं होगा. महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट से बहाली की मांग की थी.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नहीं मिलेगा 2014 से अब तक का वेतन
  • हाई कोर्ट के जज पर लगाया था उत्पीड़न का आरोप

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज जस्टिस एस. के. गंगेले पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर इस्तीफा देने वाली महिला एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज को बहाल कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, महिला जज को 2014 से अब तक का वेतन नहीं मिलेगा. लेकिन रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभ पर इसका असर नहीं होगा. महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट से बहाली की मांग की थी. 

महिला जज के आरोपों की जांच के लिए साल 2015 में राज्यसभा ने एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. इसमें सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर. भानुमती, बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस मंजुला चेल्लूर और सीनियर एडवोकेट के. के. वेणुगोपाल को शामिल किया गया था. इस कमेटी ने महिला जज के तबादले को प्रशासनिक फैसले की बजाय दंडात्मक कार्रवाई बताया था. साथ ही कहा था कि यह कानून के मुताबिक नहीं हैं.

बता दें कि इससे पहले साल 2019 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि महिला जज की बहाली संभव नहीं है. सीनियर एडवोकेट जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी क्लाइंट (महिला जज) के ज्यूडिशियरी सर्विस में शानदार करियर के बारे में भी बताया. जयसिंह ने कहा कि उनकी क्लाइंट जिला विशाखा कमेटी में भी नियुक्त हो चुकी हैं. इसके साथ ही उनकी एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (ACR) भी शानदार रही है.  

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सीनियर एडवोकेट जयसिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश के जस्टिस गंगेले पर आरोप लगाने के चलते साल 2014 में उनकी क्लाइंट (महिला जज) का तबादला ग्वालियर से सीधी कर दिया गया था. हालांकि बेटी की 12वीं की परीक्षा के चलते महिला जज नई पोस्टिंग को नहीं स्वीकार कर पाई थीं इसलिए नहीं उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. उनकी ग्वालियर में तैनाती की अवधि बढ़ाने को लेकर भी संबंधित अथॉरिटी के पास अपील नहीं की गई.

 

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