सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (26 फरवरी) को जाति आधारित जनगणना (Caste Based Census) को लेकर सुनवाई हुई. पिछड़े वर्गों के लिए जाति-आधारित जनगणना की याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने केंद्र, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने केंद्र से इस मसले पर जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने जी मल्लेश यादव द्वारा दायर जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उनके वकील जीएस मणि ने कहा कि इसी तरह की याचिका पहले से ही सर्वोच्च अदालत में लंबित है. कहा गया कि 2021 की जनगणना के फॉर्म में धर्म, SC/ ST स्टेटस का कॉलम है, लेकिन OBC स्टेटस के बारे में कोई कॉलम नहीं है. याचिकाकर्ता के मुताबिक शिक्षा, रोजगार, चुनाव आदि में आरक्षण लागू करने में ओबीसी की जातिगत जनगणना की अहम भूमिका है.
गौरतलब है कि देश में जातिगत आधार पर जनगणना की मांग काफी समय से हो रही है. ऐसे में 2021 की जनगणना की प्रक्रिया के बीच जातिगत आधार पर जनगणना कराने की मांग जोर पकड़ रही है. सीएम नीतीश कुमार ने हाल ही बिहार विधानसभा में जाति आधारित जनगणना कराने के पक्ष में बयान दिया दिया था.
सपा मुखिया अखिलेश यादव समेत कई और नेता भी ऐसी ही मांग उठा चुके हैं. इससे पहले भी साल 2011 में जनगणना के दौरान देश में जाति आधारित जनगणना की मांग उठी थी.
बता दें कि भारत में जनगणना का काम इस साल (2021) होना है. इसकी शुरुआत पिछले साल ही होनी थी लेकिन कोरोना संकट के चलते इसे टाल दिया गया था. केंद्र अब इस प्रक्रिया को शुरू करना चाहता है.