गैंगरेप की शिकार 34 वर्षीय महिला, जो गर्दन से नीचे पूरी तरह लकवाग्रस्त है और व्हीलचेयर पर जीवन बिता रही है, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से समुचित इलाज और पुनर्वास की गुहार लगाई है. यह याचिका वरिष्ठ वकील शोभा गुप्ता ने दाखिल की है. महिला के साथ क्रूरतापूर्वक सामूहिक बलात्कार किया गया. उसे शारीरिक यातनाएं दी गईं और लगभग सात महीने तक अवैध रूप से बंधक बनाकर रखा गया. पीड़िता ने न सिर्फ इलाज बल्कि सरकार से पुनर्वास और वित्तीय सहायता की भी मांग की है ताकि वह सम्मान के साथ जीवन जी सके.
वकील शोभा गुप्ता के अनुसार, पीड़िता पहले से आंशिक रूप से दिव्यांग थी और व्हीलचेयर का इस्तेमाल करती थी, लेकिन आरोपी की लगातार यौन हिंसा और अमानवीय बर्ताव ने उसकी हालत और बिगाड़ दी. अब उसकी गर्दन से नीचे की पूरी बॉडी काम नहीं करती. केवल उंगलियों में थोड़ी बहुत संवेदना बची है. गुप्ता ने कहा कि इस अमानवीय यौन हिंसा ने उसे स्थायी शारीरिक अक्षमता, गहरा भावनात्मक आघात और सामाजिक अकेलेपन में धकेल दिया है.
पीड़िता की हालत इतनी गंभीर हो गई कि उसे उसके नजदीकी और विस्तारित परिवार ने भी त्याग दिया. अब उसके पास न कोई देखभाल करने वाला है और न ही किसी तरह का पारिवारिक सहयोग. याचिका में मांग की गई है कि केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए कि पीड़िता को तत्काल इलाज, आर्थिक सहायता और पुनर्वास सेवाएं दी जाएं. गौरतलब है कि 23 मई को हाईकोर्ट ने एम्स में पीड़िता को भर्ती कराने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने यह भी कहा कि उसे तत्काल चिकित्सीय उपचार और देखभाल उपलब्ध कराई जाए.
याचिका के मुताबिक, पीड़िता को आरोपी ने सात महीने तक बंधक बनाकर रखा और अकल्पनीय क्रूरता और अमानवीयता के साथ यौन हिंसा की. आरोपी एक 52 वर्षीय कैब चालक है जो ऑनलाइन ऐप के जरिए पीड़िता के संपर्क में आया था. वह पंजाब के जालंधर का निवासी है और उसका आपराधिक रिकॉर्ड भी है.
फिलहाल आरोपी पंजाब की होशियारपुर जेल में बंद है. कई महीनों की मेडिकल लापरवाही, बंधक बनाए जाने और बार-बार बलात्कार की घटनाओं के बाद, 2023 में किसी तरह पीड़िता ने एक अर्जी दाखिल की. इसके बाद उसे वन स्टॉप सेंटर द्वारा बचाया गया. पीड़िता ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत होशियारपुर, पंजाब में एफआईआर दर्ज कराई. मुकदमे की सुनवाई के बाद, जनवरी 2025 में फास्ट ट्रैक कोर्ट, होशियारपुर ने आरोपी को दोषी ठहराया और उसे 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई.
हालांकि पीड़िता का कहना है कि जिस क्रूरता के साथ अपराध हुआ, उसके मुकाबले यह सजा बेहद कम है. उसे न सिर्फ शारीरिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ रही है, बल्कि अब भी उसे धमकियों का सामना करना पड़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका के माध्यम से उसने इंसाफ के साथ-साथ एक सम्मानजनक जीवन की भी मांग की है.