सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-NCR में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध का कोर्ट का आदेश लागू नहीं किया जा सका है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह सभी हितधारकों से मिलकर एक स्पष्ट नीति तैयार करे, ताकि प्रतिबंध प्रभावी रूप से लागू किया जा सके.
CJI ने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य में खनन पर प्रतिबंध था, लेकिन उससे अवैध खनन माफिया पैदा हो गए. इसलिए पटाखों के मामले में भी संतुलित दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखों के निर्माण की सशर्त अनुमति दे दी है, लेकिन यह आदेश है कि इन पटाखों को दिल्ली-NCR में नहीं बेचा जाएगा. दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों की बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई में फैसला करेगा. अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी.
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?
ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों से छोटे होते हैं और इन्हें बनाने में कम कच्चा माल लगता है. इन पटाखों में इस तरह की तकनीक अपनाई जाती है कि धमाके के बाद प्रदूषण कम से कम फैले. ये पटाखे पार्टिकुलेट मैटर (PM), सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को लगभग 30 से 35% तक कम करते हैं. इनमें बैरीअम नाइट्रेट जैसे सबसे खतरनाक प्रदूषकों का इस्तेमाल या तो बहुत कम किया जाता है या पूरी तरह से हटा दिया जाता है.
कैसे करें पहचान?
असली ग्रीन पटाखों की पहचान करना ज़रूरी है. इन पटाखों पर एक ग्रीन लोगो (Green Logo) और CSIR-NEERI (राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान) का एक क्यूआर कोड (QR Code) होता है. इस क्यूआर कोड को स्कैन करके सुनिश्चित कर सकते हैं कि पटाखा अधिकृत है या नहीं.