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चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा- न्यायपालिका को संवेदनशील होने की जरूरत

पैन इंडिया लीगल अवेयरनेस एंड आउटरीच अभियान के समापन समारोह में देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा ने कहा कि देश की न्यायपालिका को संवेदनशील होना चाहिए और इस क्षेत्र में आने वाली कठिनाइयों से अवगत होना चाहिए.

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न्यायपालिका संवेदनशील होगी तो लोगों को आसानी से न्याय मिलेगा- सीजेआई
न्यायपालिका संवेदनशील होगी तो लोगों को आसानी से न्याय मिलेगा- सीजेआई
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पीड़ित-आरोपी के बारे में संज्ञान लेने की ज़रूरत
  • तकनीक का इस्तेमाल भी इसी नजरिए से करना चाहिए

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की तरफ से आयोजित पैन इंडिया लीगल अवेयरनेस एंड आउटरीच अभियान (Pan-India Legal Awareness & Outreach Campaign) का समापन समारोह रविवार को आयोजित हुआ. यहां देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमणा ने कहा कि देश की न्यायपालिका को संवेदनशील होना चाहिए और इस क्षेत्र में आने वाली कठिनाइयों से अवगत होना चाहिए.

कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा ने कहा कि न्यायपालिका समाज का हिस्सा है. वह आम लोगों से सीधे-सीधे जुड़ी हुई है. इसलिए उसे जनता के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है. ऐसा इसलिए, ताकि फरियादियों को सरलता, सहजता और सुगमता से न्याय मिल सके. 

चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यायपालिका को पीड़ित और आरोपी के बारे में संज्ञान लेने की ज़रूरत है. कानून को मानवीय रूप से संचालित करने की ज़रूरत है.

उन्होंने कहा कि तकनीक का इस्तेमाल भी इसी नजरिए से करना चाहिए. चीफ जस्टिस ने न्याय क्षेत्र में तकनीकी आवश्यकता, अविष्कार और नवाचार पर जोर दिया. 

उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में पारदर्शिता लाने के लिए डेटा प्रबंधन की आवश्यकता है. तकनीकी सुगमता से डेटा प्रबंधन होने से तत्काल मूल्यांकन भी होगा. उन्होंने कहा कि डेटा प्रबंधन के लिए हमें और अधिक अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की आवश्यकता है. अगर कुशलता से डेटा प्रबंधन होगा तो पारदर्शिता तो आएगी ही साथ ही न्याय वितरण प्रक्रिया भी सुव्यवस्थित होगी. 

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बता दें कि इस कार्यक्रम की शुरुआत में लॉ के छात्रों को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा था कि कानूनी पेशा लाभ बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि समाज की सेवा के लिए है. उन्होंने कहा था कि "छात्र, विधिक सहायता आंदोलन में सबसे आगे हैं. वे ज़मीनी वास्तविकताओं के साथ सामने आ रहे हैं, जिससे उन्हें सहानुभूति और आत्म-जागरूकता हासिल करने में मदद मिलती है.''

 

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