संसद के शीतकालीन सत्र का आज 14वां दिन है. लोकसभा में संविधान पर चर्चा हुई और सत्ता पक्ष की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चर्चा की. उन्होंने कहा, कांग्रेस की तरह हमने कभी संविधान को राजनीतिक हित साधने का जरिया नहीं बनाया. हमने संविधान को जिया है. हमने संविधान की रक्षा के लिए कष्ट भी सहे. 2003 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब हमने 91वें संशोधन से मंत्रिपरिषद के आकार को सीमित कर दिया था. कांग्रेस ने सिर्फ संविधान संशोधन ही नहीं किया है, बल्कि धीरे-धीरे बदलने का प्रयास किया है.
उन्होंने कहा कि जब जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, तब 17 बार संशोधन किए गए. इंदिरा गांधी के समय पर 28 बार बदलाव किए गए. राजीव गांधी के समय 10 बार बदलाव किया गया. मनमोहन सिंह के समय 7 बार संशोधन किए गए. ये संशोधन गलत नीतियों को लागू करने के लिए किए गए. राजनाथ ने कहा कि आज संविधान की रक्षा की बात की जा रही है. लेकिन हमें ये समझने की जरूरत है कि किसने संविधान का अपमान किया है और किसने सम्मान किया है.
उन्होंने कहा कि 1976 में एक घटना घटी. जस्टिस एचआर खन्ना ने एक मामले में तब की कांग्रेस सरकार के खिलाफ डिसेंटिंग जजमेंट दिया था. जस्टिस खन्ना ये स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे कि किसी सरकार के द्वारा नागरिक से न्याय मांगने का हक छीन लिया गया. जस्टिस खन्ना को इसकी क्या कीमत चुकानी पड़ी, ये काले इतिहास में दर्ज है.
'ये संविधान पर हमला था...'
इसी तरह 1973 में भी सभी संवैधानिक मूल्यों को ताक पर रखकर तीन जजों को दरकिनार कर चौथे सीनियर जज को भारत का मुख्य न्यायाधीश बना दिया. इन तीनों का सिर्फ यही अपराध था कि वो सरकार के सामने नहीं झुके. उन्होंने कहा कि ये किसी व्यक्ति पर हमला नहीं था, बल्कि ये संविधान पर हमला था. मुझे हैरानी होती है कि आज वही पार्टी संविधान के संरक्षण की बात करती है. मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस ने अनेक मौकों पर संविधान का अपमान किया है. उन्होंने हमेशा एक कमिटेड ज्यूडिशियरी, कमिटेड ब्यूरोक्रेसी और कमिटेड इंस्टीट्यूशन बनाने का काम किया है. कांग्रेस के मुंह से संविधान के संरक्षण की बात शोभा नहीं देती
'BJP ने संविधान को माथे से लगाया है'
राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता संविधान की कॉपी जेब में रखकर घूमते हैं. उन्होंने बचपन से यही सीखा है. संविधान को जेब में रखकर घूमना ही सीखा है. लेकिन बीजेपी ने संविधान को माथे से लगाया है. हमने कभी भी किसी भी संस्था के साथ खिलवाड़ नहीं किया है. संविधान के मूल्य हमारे लिए कहने या दिखाने भर की बात नहीं है. संविधान के मूल्य संविधान के द्वारा दिखाया गया मार्ग, सिद्धांत हमारे मन, वचन और कर्म में दिखाए देंगे.
'लोगों का जीवन आसान किया है'
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने जो भी संवैधानिक संशोधन किए हैं, उन सभी का उद्देश्य सामाजिक कल्याण था. हमने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया ताकि भारत की अखंडता सुनिश्चित हो. हमने जीएसटी कानून बनाया. जीएसटी काउंसिल में राज्यों की सहमत से टैक्स दरें निर्धारित की जाती हैं. लोगों का जीवन आसान हुआ है.
'संविधान ने भारतीयता से परिचित कराया'
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान ने भारतीयता से परिचित कराया है. हमारे संविधान की मूल प्रति के भाग 3 में भगवान श्रीराम, मां सीताजी और लक्ष्मणजी की तस्वीर भी अंकित है. मूल प्रति के मुखपृष्ण पर अजंता गुफाओं की पेंटिंग की छाप दिखती है. साथ ही कमल की फूल भी है. ये दिखाता है कि सदियों की गुलामी से निकल कर आजाद राष्ट्र का उदय हो चुका है. उकेरी गई आकृतियां समृद्ध इतिहास और महान परंपरा को दिखाती हैं.
'जहां संविधान लागू नहीं था, वहां भी हमने कर दिखाया'
राजनाथ सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण में हमारी सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. हमने नारी शक्ति वंदन अधिनियम भी पास किया है. इससे राजनीतिक क्षेत्र की महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा. इसी सोच के तहत हमारी सरकार ने 2018 में राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है. आजाद भारत में ये पहली बार हुआ. हमने 2019 में संवैधानिक संशोधन किया, ताकि आर्थिक आधार पर आरक्षण मिले. समग्र और समावेशी विकास के सभी काम हमारे संवैधानिक मूल्यों और आदर्शों के जीवंत रूप हैं. हमने न सिर्फ संविधान के मूल्यों को केंद्र में रखकर काम किया है, बल्कि लागू भी किया है. इस देश में एक ऐसा राज्य भी था, जहां संविधान लागू नहीं होता था. संसद के कानून भी लागू नहीं होते थे. हमने वहां भी लागू करके दिखाया है. आज पूरा देश उस निर्णय का सकारात्मक परिणाम देख रहा है. हाल में चुनाव संपन्न हुए हैं. हिंसा की एक भी घटना नहीं हुई है.
'हमारा संविधान प्रगतिशील, समावेशी, परिवर्तनकारी है'
राजनाथ ने कहा कि हमारा संविधान प्रगतिशील, समावेशी, परिवर्तनकारी है. हमारे संविधान ने एक ऐसे समाज के निर्माण का ब्लूप्रिंट दिया है, जिसमें समरसता और समृद्धि हो. यहां देश के शीर्ष पद को प्राप्त करने के लिए जन्म की पहचान मायने न रखती हो. जहां एक गरीब परिवार में जन्मा व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सके. राष्ट्रपति बन सके. संविधान की मूल भावना को आजादी के बाद ही ताक पर रख दिया गया था. लेकिन हमारी सरकार ने इस सच्चे मन से स्वीकार किया है. हमारी सरकार संविधान की मूल भावना को केंद्र में रखकर आगे बढ़ रही है. हमने तीन नए आपराधिक कानूनों को पारित किया है. हमारी सरकार समाज के सभी वर्गों और विशेषकर कमजोर वर्गों के विकास को अपना लक्ष्य बनाया है. रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के हमारे लक्ष्य ने भारत को आगे लाकर खड़ा कर दिया है.
'हमारा संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं'
उन्होंने कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि एक पार्टी ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया को हाईजैक करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है. भारत के लोगों के द्वारा, भारत के लोगों के अनुरूप बनाया गया दस्तावेज है. पश्चिमी सभ्यता में नाइट वॉचमैन स्टेट का कॉन्सेप्ट है. इसका अर्थ है कि सरकार का दायित्व लोगों को सुरक्षा प्रदान करने तक ही सीमित रहे. हमारे देश में राजधर्म की बात कही गई है. हमारे यहां राजा भी राजधर्म से बंधा हुआ है. उसकी शक्तियां लोगों के कल्याण के लिए है. कमजोर वर्गों की रक्षा के लिए है. हमारा संविधान नागरिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. हमारा संविधान नागरिकों के समग्र विकास में रास्ते में आने वाली बाधाओं को हटाने का निर्देश देता है.