नए साल के पहले दिन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चीनी सेना के द्वारा झंडा फहराने की तस्वीर सामने आने के बाद देश में राजनीतिक हंगामा मच गया था. हालांकि इसके बाद भारतीय सेना ने भी जवाब देने के लिए वहां तिरंगा झंडा फहराया था.
अब उपलब्ध ओपन-सोर्स सैटेलाइट तस्वीरों और Google अर्थ के डेटा से मैपिंग और वीडियो के विश्लेषण से पता चलता है कि गलवान घाटी में संघर्ष स्थल (जहां दोनों सेना के बीच विवाद हुआ था) पर झंडा नहीं फहराया गया था.
विश्लेषण के अनुसार, झंडा फहराने का स्थान, पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 (पीपी 14) से 1.2 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर है. बता दें कि जून 2020 में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गलवान घाटी में ग्राउंड जीरो पर संघर्ष हुआ था. भारत और चीन के बीच की सीमाएं इस घाटी में तय नहीं हुई हैं. यही वजह है कि सीमाओं को लेकर भारत और चीन के अलग-अलग दावे हैं. हालांकि यह क्षेत्र लंबे समय से चीनी नियंत्रण में है.

चीनी स्रोत द्वारा जारी किए गए वीडियो में पीपी 14 के साथ आसानी से पहचाने जाने वाले विशिष्ट मोड़ की अनुपस्थिति इस बात का संकेत है कि झंडा फहराने का स्थान संघर्ष स्थल नहीं हो सकता. वीडियो में फ्रेम के साथ Google अर्थ में देखे जाने वाले भू-भाग के गुणों का मिलान करने से पता चलता है कि वीडियो में दिखाई देने वाली हिस्सा तेज धूप वाे इलाके के दक्षिण-पूर्व हिस्से से भी मेल खाती है.
इसके अतिरिक्त, चीनी पक्ष द्वारा निर्मित एक पुल को वीडियो में देखा जा सकता है जो उपलब्ध सेटेलाइट इमेज से भी मेल खाता है. जबकि चीनी सरकार ने वीडियो के बारे में कोई आधिकारिक दावा नहीं किया, चीन से संबंधित मीडिया प्रकाशनों और सोशल मीडिया हैंडल्स ने नए वीडियो को आक्रामक संदेश के साथ प्रसारित किया है.

इन वीडियो को जारी करने का मकसद ये बताना है कि चीन गलवान घाटी में एक कदम भी पीछे नहीं गया है. यहां तक कि दोनों पक्षों के बीच कई स्थानों पर गतिरोध और निर्माण कार्य जारी है.
भारत और चीन दोनों देश गलवान घाटी में संघर्ष स्थल से अलग होने पर सहमत हुए है, जिसके बाद दोनों देश की सेनाओं के बीच एक बफर जोन बनाया गया है.
बता दें कि चीनी सेना के झंडा फहराने की तस्वीर सामने आने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विपक्ष की ओर से इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगा. वहीं इस पूरी घटना को लेकर खुफिया विभाग के सूत्रों का मानना है कि इस तरह की चीजें अच्छी तरह से तैयार किए गए हाइब्रिड युद्ध का हिस्सा हो सकता है.
चीनी सोशल मीडिया हैंडल्स हाल के दिनों में एलएसी गतिरोध से संबंधित फुटेज पोस्ट करते रहते हैं. यह भी संदेह जताया जा रहा है कि एलएसी केंद्रित सूचना अभियान चीन के घरेलू दर्शकों के लिए भी हो सकते हैं.
वहीं इस पूरे अभियान को चीन के लद्दाख से सिक्किम तक कई मोर्चों पर एलएसी के साथ अपने बुनियादी ढांचे का विस्तार करने और आक्रामक साई-ऑप्स और प्रभाव बढ़ाने की कोशिश से भी जोड़ कर देखा जा रहा है.
बता दें चीनी सेना इस साल भी नियंत्रण रेखा के पास ऐसी हरकतें कर रही रही, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ सकता है.
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