अदालत परिसरों में बढ़ती गोलीबारी की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के अदालत परिसरों की सुरक्षा के लिए विशेष स्थायी सुरक्षा यूनिट का प्रस्ताव दिया है.
न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यह भयावह है कि राष्ट्रीय राजधानी में अदालत परिसर में पिछले एक साल में गोलीबारी की कम से कम तीन बड़ी घटनाएं देखी गई हैं. एक ऐसे स्थान के रूप में अदालत की पवित्रता को बनाए रखना जहां न्याय किया जाता है और कानून के शासन को बरकरार रखा जाता है, यह महत्वपूर्ण है कि न्यायिक संस्थान सभी लोगों की भलाई की रक्षा के लिए व्यापक कदम उठाएं.
पीठ के आदेश में कहा गया है कि इस तरह की घटनाएं, वह भी अदालत परिसर में होना बेहद चिंताजनक हैं. यह न केवल न्यायाधीशों बल्कि वकीलों, अदालत के कर्मचारियों और आम जनता की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करती हैं.
पीठ ने राज्य उच्च न्यायालयों को अदालतों की सुरक्षा के लिए प्रधान गृह सचिवों, राज्यों के पुलिस महानिदेशकों और पुलिस आयुक्तों के सलाह से उचित सुरक्षा योजना तैयार करने को कहा है. पीठ ने अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश भी दिया.
पीठ ने कहा कि अगर यही हाल रहा तो वादियों पर इसका किस प्रकार प्रभाव पड़ेगा. पीठ ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मुकदमाकर्ता अपने लिए न्याय कैसे सुरक्षित कर सकते हैं, जब जिन्हें न्याय देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वे स्वयं असुरक्षित हैं? ये ऐसे प्रश्न हैं जो गोलीबारी से जुड़ी हाल की कुछ घटनाओं को देखते हुए हमें अंत तक परेशान करते हैं. दिल्ली की कई अदालतों में हाल ही में गोलीबारी की घटना देखी गई है.