मणिपुर में बढ़ते तनाव और अशांति के बीच सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाल लिया है. इलाके में शांति और अवैध एक्टिविटी पर रोक लगाने के लिए पुलिस और सुरक्षाबलों ने पहाड़ी, घाटी जिलों के सीमांत और संवेदनशील इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया है. सुरक्षाबलों ने इलाके में आने-जाने वाले लोगों पर नजर रखने के लिए 100 से ज्यादा नाके और चेकपोस्ट बनाए हैं.
सुरक्षाबलों ने अपने इस सर्च ऑपरेशन के तहत नेशनल हाईवे-2 (NH-2) पर आवश्यक चीजों से लदे 456 वाहनों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित की है. साथ ही संवेदनशील इलाके पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है और संवेदनशील रास्तो पर सुरक्षा काफिले को तैनात किया गया है.ताकि वाहनों की निर्बाध और सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित की जा सके.
सुरक्षाबलों ने स्थापित किए 107 नाके और चेकपोस्ट
सुरक्षाबलों ने हिंसाग्रस्त इलाकों में मोर्चाबंदी करते हुए इलाकों में 107 नाके और चेकपोस्ट स्थापित किए हैं, जिसमें पहाड़ी और घाटी इलाके दोनों शामिल हैं. इन चेकपोस्ट पर किसी भी प्रकार के उल्लंघन के लिए किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में नहीं लिया गया है, जिससे सुरक्षाबलों की मौजूदगी का इलाके में सकारात्मक असर नजर आ रहा है.
गृह मंत्री करेंगे बैठक
सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर के ताजा हालातों की समीक्षा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज दोपहर को दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. गृह मंत्री रविवार को महाराष्ट्र से अपने राजनीतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिल्ली पहुंचे थे, जिसके बाद उन्होंने को भी दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने शीर्ष अधिकारियों को पूर्वोत्तर राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिया. उनके निर्देशों के बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के महानिदेशक अनीश दयाल सिंह रविवार को राज्य के दौरे पर पहुंचे थे.
NPP ने वापस लिया समर्थन
मणिपुर में हिंसा और आगजनी की घटना के बीच कोनराड संंगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने रविवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर समर्थन वापस लेने का घोषणा की थी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार राज्य की मौजूदा स्थिति से निपटने में नाकाम रही हैं. इस लिए वह तत्काल प्रभाव से अपना समर्थन वापस ले रहे हैं.
उन्होंने अपने पत्र में कहा कि NPP राज्य की मौजूदा स्थिति और कानून-व्यवस्था पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करना चाहती है. पिछले कुछ दिनों में हमने राज्य की स्थिति को और खराब होते हुए देखा है, जिसमें कई निर्दोष लोगों की जान चली गई. और राज्य में लोग बड़ी पीड़ा से गुजर रहे हैं. हमने महसूस किया है कि सीएम बीरेन के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार राज्य में पैदा हुए संकट का समाधान करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल साबित हुई है. मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेशनल पीपुल्स पार्टी ने फैसला किया है कि वह मणिपुर में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से तत्काल प्रभाव से अपना समर्थन वापस ले रही है'.
उग्रवादियों कई MLA's के घर बोला धावा
बता दें कि 16 नवंबर को प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने इंफाल घाटी में कई विधायकों और मंत्रियों के आवासों पर धावा बोल दिया था. उग्र भीड़ ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के आवास पर भी हमला करने की कोशिश की. इस मामले में पुलिस ने संपत्तियों में कथित तोड़फोड़ और आगजनी के आरोप में 23 लोगों को गिरफ्तार किया है. साथ ही सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन ने इलाके में फेक न्यूज को रोकने के लिए इंटरनेट और मोबाइल डेटा सर्विस सस्पेंड कर दी गई है. और अगली सूचना तक कर्फ्यू लगाया दिया है.
जिरीबाम जिले में भी हुई थी हिंसा
इससे पहले 11 नवंबर को मणिपुर के जिरीबाम जिले में बोरोब्रेका पुलिस स्टेशन को हथियारबंद उग्रवादियों ने निशाना बनाया था. इस पुलिस स्टेशन में सीआरपीएफ ने अपना कैम्प बनाया है और पास में ही एक राहत शिविर चलता है. इसके बाद जवाबी कार्रवाई में सीआरपीएफ ने 11 कुकी उग्रवादियों को ढेर कर दिया था. सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ के बाद पीछे हटते समय उग्रवादियों ने बोरोब्रेका रिलीफ कैंप से 6 लोगों का अपहरण कर लिया था. गत 15 नवंबर मणिपुर-असम सीमा पर जिरी और बराक नदियों के संगम के पास एक महिला और दो बच्चों के शव पाए गए, जिनके बारे में संदेह है कि ये जिरीबाम जिले के छह लापता लोगों में से हैं. तीन शव मिलने के बाद इंफाल घाटी में मैतेई समुदाय ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया और सरकार को 24 घंटे के अंदर इस अपहरण और हत्याकांड में के लिए जिम्मेदार उग्रवादियों को पकड़ने का अल्टीमेटम दिया.