सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे पर 2 दिन यानी 26 जुलाई शाम 5 बजे तक रोक लगा दी है. SC के इस फैसले को मुस्लिम पक्ष के लिए कुछ राहत माना जा रहा है. मुस्लिम पक्ष इन दो दिन में जिला जज एके विश्वेश के उस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देगा, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे का आदेश दिया गया था.
दरअसल, जिला जज एके विश्वेश ने शुक्रवार को मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था. ASI को 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला अदालत को सौंपनी थी. इसी आदेश के बाद ASI की टीम सोमवार सुबह 7 बजे ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची थी. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगाते हुए मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने को कहा है.
ज्ञानवापी मस्जिद में ASI के सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, मुस्लिम पक्ष से हाईकोर्ट जाने के लिए कहा
कोर्ट में क्या क्या हुआ?
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति की तत्काल याचिका पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिया. सुनवाई के दौरान, ASI ने कोर्ट को बताया कि कम से कम एक हफ्ते तक उनकी ज्ञानवापी स्थल में खुदाई करने की कोई योजना नहीं है. हालांकि वाराणसी जिला कोर्ट ने मस्जिद को बिना नुकसान पहुंचाए खुदाई की अनुमति दी थी.
- इससे पहले ज्ञानवापी मस्जिद समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने बेंच से कहा, जिला कोर्ट ने आदेश शुक्रवार शाम को पारित किया था और अपील के लिए कोई समय मिलने से पहले सर्वेक्षण की कार्यवाही आज सुबह शुरू हो गई है, हालांकि अधिकारियों को यह बताया गया था कि इस मामले को आज सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जाएगा. अहमदी ने कहा कि ढांचे की खुदाई से अपूरणीय क्षति होगी.
- इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि जिला कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया गया. इस पर अहमदी ने कहा, यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश का उल्लंघन है, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद की वैज्ञानिक जांच को स्थगित करने का निर्देश दिया गया था.
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- अहमदी ने कोर्ट को बताया कि पोषणीयता को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में सर्वेक्षण की कार्यवाही की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इस पर हिंदू पक्ष की ओर से पेश वकील श्याम दीवान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का पिछला आदेश उस क्षेत्र के संदर्भ में पारित किया गया था जहां कथित शिवलिंग पाया गया था और नए आदेश में उस क्षेत्र को बाहर रखा गया है.
- भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि पिछला आदेश संरचना की कार्बन डेटिंग से संबंधित था, जिसे एक पक्ष "शिवलिंग" होने का दावा करता है और दूसरा पक्ष एक फव्वारा होने का दावा करता है. एसजी ने कहा कि पिछले आदेश के संबंध में चिंता संरचना को संभावित नुकसान को लेकर थी, जबकि नया आदेश किसी भी आक्रामक प्रक्रिया से संबंधित नहीं है.
- अहमदी ने इस दावे का खंडन किया और कहा कि एएसआई ने खुदाई शुरू कर दी है. उन्होंने कहा, आदेश में विशेष रूप से खुदाई शब्द का इस्तेमाल किया गया है. हालांकि, दीवान ने कहा कि आदेश में केवल ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) जैसी गैर-आक्रामक प्रक्रिया का जिक्र किया गया है.
- इस समय बेंच ने एसजी को ASI से जवाब मांगने के लिए कहा. सॉलिसिटर जनरल ने ASI से जानकारी लेने के बाद कोर्ट को बताया कि संरचना की एक ईंट भी नहीं हटाई जाएगी. सिर्फ प्रारंभिक सर्वेक्षण किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अभी सिर्फ माप, फोटोग्राफी जारी है. कम से कम एक हफ्ते तक एक भी ईंट को नहीं छुआ जाएगा.
- बेंच ने मुस्लिम पक्ष को जिला कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी. हालांकि, अहमदी ने आदेश पर रोक लगाने के लिए दलील दी. उन्होंने कहा, सरंचना को बिगाड़ने की जल्दबाजी क्या है? इस संरचना का इस्तेमाल 1500 के दशक से एक मस्जिद के रूप में किया जाता रहा है.
- अहमदी की दलील पर सीजेआई ने कहा, बेंच दो दिन तक यथास्थिति आदेश पारित करेगी. इस पर आपत्ति जताते हुए दीवान ने कहा, पहले से निर्धारित आदेश निष्पक्ष और संतुलित था, क्योंकि इसमें सभी पक्षों की चिंताओं को ध्यान में रखा गया था.