केन्द्र सरकार ने भारी विरोध और गोपनीयता संबंधी चिंताओं के बाद बुधवार को मोबाइल निर्माता कंपनियों के लिए संचार साथी ऐप की प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. सरकार ने कहा कि ऐप साइबर सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और नागरिकों की सुरक्षा करता है. यूजर्स इसे कभी-भी अनइंस्टॉल कर सकते हैं.
इससे पहले लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद को सूचित किया कि सरकार जनता के सुझावों और फीडबैक के आधार पर प्लेटफॉर्म के नियमों में संशोधन (बदलाव) करने को तैयार है.
'संचार साथी ऐप से जासूसी संभव नहीं'
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस बात पर जोर देते हुए कहा, 'संचार साथी ऐप के माध्यम से जासूसी न तो संभव है, न ही कभी संभव होगी. हम नागरिकों के सुझावों और फीडबैक के आधार पर नियमों में संशोधन करने के लिए हमेशा तैयार हैं.'
उधर, सरकार ने इस ऐप को साइबर सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण टूल बताया था, जिसका उद्देश्य नागरिकों को खोए हुए फोन को ट्रैक करने और टेलीकॉम (दूरसंचार) धोखाधड़ी से बचाने में मदद करना है, लेकिन इस अनिवार्यता के ऐलान के बाद प्राइवेसी का उल्लंघन, संभावित निगरानी और संवैधानिक वैधता को लेकर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई थी.
सरकार का पक्ष है कि संचार साथी ऐप का निर्माण सभी नागरिकों को साइबर सुरक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया है. ये पूरी तरह सुरक्षित है और इसका एकमात्र मकसद साइबर अपराधियों से नागरिकों की रक्षा करना है.
'कभी-भी मोबाइल से हटा सकते हैं ऐप'
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि ये ऐप “जन भागीदारी” को बढ़ावा देता है, जिसमें नागरिक साइबर अपराधियों और उनकी गतिविधियों की सूचना दे सकते हैं. साथ ही स्वयं की सुरक्षा भी कर सकते हैं. ऐप में कोई अन्य कार्यक्षमता नहीं है और यूजर्स इसे कभी-भी अनइंस्टॉल (मोबाइल से हटा) कर सकते हैं.