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'SIR पर चर्चा नहीं हुई तो संसद नहीं चलने देंगे', समाजवादी पार्टी की सरकार को चेतावनी

समाजवादी पार्टी ने चेतावनी दी है कि 1 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में यदि एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई तो वह सदन नहीं चलने देगी. सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि चुनाव आयोग सरकार से बड़ा नहीं है, इसलिए इस मुद्दे पर चर्चा से सरकार नहीं भाग सकती.

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सपा सांसद राम गोपाल यादव ने संसद के शीतकालीन सत्र में एसआईआर पर चर्चा की मांग की. (File Photo: PTI)
सपा सांसद राम गोपाल यादव ने संसद के शीतकालीन सत्र में एसआईआर पर चर्चा की मांग की. (File Photo: PTI)

समाजवादी पार्टी ने रविवार को कहा कि यदि शीतकालीन सत्र के दौरान मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर चर्चा नहीं हुई तो वह संसद नहीं चलने देगी. संसद के शीतकालीन सत्र से एक दिन पहले सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि सरकार एसआईआर पर चर्चा करने से नहीं कतरा सकती, क्योंकि यह चुनाव आयोग द्वारा किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, 'यदि एसआईआर पर चर्चा नहीं हुई तो हम सदन की कार्यवाही नहीं चलने देंगे.' रामगोपाल यादव ने कहा, 'समाजवादी पार्टी ने एसआईआर का मुद्दा इसलिए उठाया है क्योंकि बड़े पैमाने पर मैंने अनियमितताएं देखी हैं. पहले हम सुनते थे, लेकिन अब हम देख रहे हैं कि लोगों के वोट काटे जा रहे हैं. बिहार में भी गड़बड़ियां हुई हैं. हमने इस पर (SIR) चर्चा की मांग की है. सरकार चुनाव आयोग का हवाला देकर इससे बच नहीं सकती.'

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उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग नाम की संस्था सरकार ने ही स्थापित की है. सरकार आयोग से बड़ी है. राम गोपाल यादव ने कहा, 'जब गलत काम हो रहा हो तो चर्चा क्यों नहीं हो सकती? अगर प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) का नाम काट दिया जाए तो क्या चर्चा नहीं होगी? मैं कई जगहों पर गया हूं और अभी यात्रा कर ही रहा हूं. मैं 1967 से मतदाता हूं. इटावा जिले में हम सभी को श्रेणी सी में रखा गया है. पूरे जिले में सभी को श्रेणी सी में रखा गया है. हमारे जिले से संसद के दोनों सदनों के सात सांसद और तीन विधायक हैं और उनमें से हर एक को श्रेणी सी में रखा गया है.'

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भारत में संसद के हर सत्र से पहले सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की परंपरा बहुत पुरानी है.  यह पारंपरिक बैठक सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए बुलाई जाती. संसद के शीतकालीन सत्र में कई नए विधेयक पेश किए जाने की संभावना है, जो 1 दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा. इस सत्र में कुल 15 बैठकें होंगी, जिसे विपक्ष ने संक्षिप्त सत्र करार दिया है. आमतौर पर संसद के हर सत्र में 20 बैठकें होती हैं.

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