चेन्नई में तमिल भगवान मुरुगन के लिए होने वाली कॉन्फ्रेंस को लेकर विवाद हो गया है. डीएमके ने इसे 'संघी कॉन्फ्रेंस' कहा तो वहीं बीजेपी ने इसे भक्तों के एकजुट होने का आह्वान बताया.
22 जून को होने जा रही मुरुगन कॉन्फ्रेंस को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मदुरै में कहा कि भक्तों को बड़ी संख्या में शामिल होकर एकता दिखानी चाहिए. लेकिन डीएमके के हिंदू धार्मिक और दान बोर्ड के मंत्री सेकर बाबू ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह पूरी तरह संघी और राजनीतिक कॉन्फ्रेंस है. हमने 27 देशों के मुरुगन भक्तों के साथ कॉन्फ्रेंस की थी जिसमें 7-8 लाख लोग आए. हमने भीड़ जुटाने, पैसे मांगने या 2000 बसें लगाने की योजना नहीं बनाई थी. लेकिन बीजेपी की इस कॉन्फ्रेंस का मकसद धर्म के नाम पर लोगों को बांटना है.
इसका जवाब देते हुए बीजेपी नेता तमिलिसाई सौंदर राजन ने कहा कि सेकर बाबू जैसे लोग हमारी भक्ति से भरी मुरुगन कॉन्फ्रेंस से डर रहे हैं. चाहे यह राजनीतिक हो या धार्मिक, हमारा मकसद सिर्फ लोगों का भला करना और भक्ति को बढ़ावा देना है. अगर आप मुरुगन में विश्वास नहीं करते तो आपने कॉन्फ्रेंस क्यों की? यह सिर्फ लोगों के मन में शंका पैदा कर रहा है.
अमित शाह ने मदुरै में पार्टी मीटिंग में डीएमके को तिरुपरंकुंद्रम पहाड़ी विवाद के लिए जिम्मेदार ठहराया जहां मुरुगन के छह 'पडई वीडु' (पवित्र स्थानों) में से एक पर सिकंदर दरगाह होने का मुद्दा उठा. उन्होंने कहा कि मदुरै का 3000 साल पुराना इतिहास है. डीएमके ने मुरुगन से जुड़ी तिरुपरंकुंद्रम पहाड़ी को सिकंदर हिल कहने की हिम्मत की. मैं तमिलनाडु के लोगों से अपील करता हूं कि मुरुगन भक्त कॉन्फ्रेंस में बड़ी संख्या में शामिल हों और भक्ति की शक्ति दिखाएं.