मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल में बंद तमिनलाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर राज्यपाल आरएन रवि निशाने पर हैं. तमिलनाडु सरकार से लेकर अन्य विपक्षी पार्टियां राज्यपाल पर तानाशाही करने का आरोप लगा रहे हैं. यूं तो राज्यपाल ने आदेश कुछ ही घंटे में वापस ले लिया, लेकिन उन पर अब भी निशाना साधा जा रहा है. सीबीआई और आईबी में सेवा दे चुके आरएन रवि को उत्तर पूर्व भारत में माओवादी हिंसा को नियंत्रित करने के लिए भी जाना जाता है.
आरएन रवि का जन्म 3 अप्रैल 1952 को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था. इनका पूरा नाम रविंद्र नारायण रवि है. 1974 में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वह 1976 में सरदार वल्लभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में शामिल हुए. यहां से आईपीएस अधिकारी बनने के बाद उन्होंने केरल और जम्मू-कश्मीर में विभिन्न पदों पर काम किया है. इस दौरान वह सीबीआई में भी रहे और उन्होंने यहां अपने कार्यकाल के दौरान संगठित अपराध के खिलाफ अपनी मजबूत पकड़ बनाई. इसके बाद वह इंटेलिजेंस ब्यूरो का भी हिस्सा बने. उन्हें उत्तर पूर्व भारत में माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में विद्रोह और हिंसा को नियंत्रित करने का श्रेय दिया गया था.
2014 में संयुक्त खुफिया समिति के अध्यक्ष बने
वह 2012 में रिटायर हुए. इसके बाद 2014 में उन्हें संयुक्त खुफिया समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया. उन्हें विभिन्न एजेंसियों को सिंक्रनाइज़ करने के लिए जाना जाता है. उनको आतंकवाद से लड़ने और आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ खुफिया जानकारी साझा करने में निभाई गई प्रमुख भूमिका के लिए भी जाना जाता है.
2019 में नगालैंड तो 2021 में तमिनाडु के राज्यपाल बने
आरएन रवि 2018 में भारत के उप राष्ट्रीय सचिव सलाहकार बने और 2019 में नगालैंड के राज्यपाल बने. 2019 से 2020 तक उन्हें मेघालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया. इसके बाद आरएन रवि को 18 सितंबर 2021 को तमिलनाडु का राज्यपाल नियुक्त किया गया.
पहले भी विवादों में रहे हैं आरएन रवि
बता दें कि नागा शांति वार्ता के दौरान वार्ताकार के रूप में आरएन रवि ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड से असहमति जताई थी. उन पर समझौते की रूपरेखा में हेरफेर करने का आरोप लगाया गया था. तब कोहिमा प्रेस क्लब के पत्रकारों ने रवि के विदाई कार्यक्रम का बहिष्कार करने का फैसला किया था. पत्रकारों का आरोप था कि बतौर नगालैंड राज्यपाल उन्होंने बातचीत करने के उनके अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया था.
वहीं तमिलनाडु में राज्यपाल बनने के बाद से आरएन रवि लगातार डीएमके सरकार पर हमलावर नजर आए हैं. वह समय समय पर सरकार की आलोचना करते दिखे हैं. इसके लिए उनकी खूब आलोचनाएं भी हुईं. एक दैनिक अखबार को दिए इंटरव्यू में राज्यपाल रवि ने यह कहकर एक और विवाद खड़ा कर दिया कि नाबालिगों पर प्रतिबंधित 'टू फिंगर' टेस्ट किया गया था, जबकि राज्य ने इसका खंडन किया था.
तमिलनाडु सरकार से रही है राजनीतिक खींचतान
तमिलनाडु के राज्यपाल पद पर उनकी नियुक्ति से पहले ही डीएमके की सहयोगी पार्टियां अपनी नाराजगी जाहिर कर चुकी हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केएस अलागिरी ने यहां तक कहा कि ऐसे आईपीएस अधिकारियों को केवल सीमावर्ती राज्यों में ही नियुक्त करना एक नियम है. तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके की ऑनलाइन जुए पर प्रतिबंध लगाने और ऑनलाइन गेम, एनईईटी को विनियमित करने सहित विधानसभा में पारित विधेयकों को मंजूरी नहीं देने को लेकर कई बार राज्यपाल रवि से खींचतान हो चुकी है.