भीषण गर्मी में कोर्ट रूम में मामलों की सुनवाई भी नहीं हो पा रही है. दिल्ली में द्वारका स्थित कंज्यूमर डिस्प्यूट फोरम ने इस पर आपत्ति जाहिर की. पता चला कि कोर्ट में ना तो एसी लगा है और ना ही कूलर की व्यवस्था है और ऐसे में सुनवाई मुश्किल हो रही है. कोर्ट में एक मामले की सुनवाई चल रही थी, जिसे जज अगली सुनवाई तक के लिए टाल दिया.
द्वारका कंज्यूमर डिस्प्यूट फोरम के अध्यक्ष सुरेश कुमार गुप्ता, इसके सदस्य हरशली कौर और रमेश चंद यादव की बेंच ने कहा, "कोर्ट रूम में ना तो एसी है और ना ही कूलर है. तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है. कोर्ट रूम में बहुत ज्यादा तपिश है और इससे सुनवाई में दिक्कत हो रही है. और तो और, वॉशरूम जाने के लिए पानी की व्यवस्था भी नहीं है."
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देशभर में 4200 कोर्ट रूम की कमी
कोर्ट ने मामले की सुनवाई 21 नवंबर तक के लिए टाल दी. यह दर्शाता है कि देश में कोर्ट्स और ट्राब्यूनल्स किस तरह रिसोर्सेज के गंभीर अभाव में काम कर रहे हैं. पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट की रिसर्च एंड प्लानिंग विंग ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे 4200 जजों के लिए देशभर कोर्ट रूम और 6000 रेजिडेंशियल यूनिट्स की कमी है.
इन अदालतों में रिसोर्सेज की सबसे ज्यादा कमी
जम्मू-कश्मीर की अदालतों में 40 फीसदी से ज्यादा और त्रिपुरा की अदालतों में करीब 36 फीसदी की कमी है. रिपोर्ट में बिहारशरीफ जिला कोर्ट की घटना का भी हवाला दिया गया जिसमें अदालती कार्यवाही के दौरान एक दीवार गिर गई थी और एक महिला की मौत हो गई.
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रिपोर्ट में कहा गया, “एक अदालत की इमारत एक संरचना की उपस्थिति से परे फैली हुई है. इसमें अच्छी रोशनी, उचित वेंटिलेशन, पावर बैकअप, वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं, गवाह बॉक्स, अदालत के कर्मचारियों और वकीलों के लिए पर्याप्त फर्नीचर जैसी आवश्यक सुविधाओं की कमी शामिल है."