स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बाद अब गुजरात के अहमदाबाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी का भव्य साबरमति आश्रम बनवाएंगे. कल यानी 12 मार्च को पीएम मोदी आश्रम का भूमि पूजन करेंगे. 1,200 करोड़ रुपए के बजट वाली इस परियोजना का लक्ष्य भविष्य की पीढ़ियों के लिए महात्मा गांधी की शिक्षा को फिर से जीवित करना है.
मास्टरप्लान के तहत आश्रम के मौजूदा 5 एकड़ क्षेत्र को 55 एकड़ तक बढ़ाया जाएगा. इसे महात्मा गांधी ने 1917 में अहमदाबाद में साबरमती नदी के तट पर स्थापित किया था. यहां मौजूदा 36 बिल्डिगों का रेवोवेशन भी किया जाएगा. इस परियोजना में 20 पुरानी इमारतों का संरक्षण, 13 इमारतों की बहाली और 3 इमारतों का रिडवलपमेंट शामिल है.
कई गतिविधियां होंगी शामिल
मास्टरप्लान में नई इमारतें, एक ओरिएंटेशन सेंटर जैसी सुविधाएं, 'चरखा' कताई, हस्तनिर्मित कागज, कपास बुनाई और चमड़े के काम और सार्वजनिक उपयोगिताओं पर इंटरैक्टिव कार्यशालाएं शामिल हैं. इमारतों में महात्मा गांधी के जीवन के पहलुओं के साथ-साथ आश्रम की विरासत को प्रदर्शित करने के लिए इंटरैक्टिव प्रदर्शनियां और गतिविधियां होंगी.
इस आश्रम का भी होगा शुभारंभ
यह परियोजना एक व्याख्या केंद्र के निर्माण को भी सक्षम बनाएगी जो विभिन्न अपेक्षाओं वाले और कई भाषाओं में आगंतुकों का मार्गदर्शन कर सकता है, जिससे उनका अनुभव सांस्कृतिक और बौद्धिक रूप से अधिक उत्तेजक और समृद्ध हो जाएगा. इस अवसर पर प्रधानमंत्री पुनर्विकसित कोचरब आश्रम का भी उद्घाटन करेंगे. जो 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत आने के बाद महात्मा गांधी द्वारा स्थापित पहला आश्रम था और इसे एक स्मारक और पर्यटन स्थल के रूप में संरक्षित किया गया है.
क्या होगा नया?
मौजूदा आश्रम के रूप को बदले बिना आसपास के 55 एकड़ इलाके मे नए इमारत बनेगी, जो 1930 के इतिहास और माहौल को बताने का प्रयास करेगी. साबरमती आश्रम सुरक्षा और स्मारक ट्रस्ट के चैयरमेन कार्तिकेय साराभाई ने aajtak के साथ खास बातचीत मे कहा कि नरेंद्र भाई जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब से उन्होंने आश्रम के रि-डेवलपमेंट को लेकर विचार किया था और जब प्रधानमंत्री बने तब इस प्रोजेक्ट को कार्यान्वित किया.
साल 1930 के समय में आश्रम के आसपास के 50 एकड़ से ज्यादा इलाके में आजादी के साथ जुड़ी हुई घटनाएं और मुहिम का लोगों को पता चले इसके लिए काफी बदलाव की जरूरत थी. फिलहाल सिर्फ 5 एकड़ इलाके में हृदय कुंज और आश्रम की गतिविधि है. जो बढ़ते पर्यटकों को देखते हुए पर्याप्त नहीं है. वैसे में इस रीडिवेलपमेंट प्रोजेक्ट के बाद 5 एकड़ की जगह पर 55 एकड़ इलाके में आश्रम फैलेगा.
अभी यहां रह रहे हैं सभी परिवारों को दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जा चुका है और अब नई इमारते बनेगी जिसमें 1930 के समय की झलक, सादगी भी देखने को मिलेगी. जब भी कोई पर्यटक यहां आएगा तो वो दौर मे अपने आप को महसूस कर पाए एसा बदलाव होगा. गांधी आश्रम की मूल जगह मे जरा भी बदलाव नहीं किया जा रहा. मौजूदा इमारतों का उपयोग आवास प्रदर्शनियों और गतिविधियों के लिए किया जाएगा.
क्या होगा खास?
गांधीजी का जीवन
• भारत और विदेश में किया हुआ काम
• आंदोलन/यात्राएँ
• दैनिक दिनचर्या और महत्वपूर्ण घटनाएँ
• बच्चों और युवाओं के साथ जुड़ाव
आश्रम की कहानी
• 1930 से पहले आश्रम के प्रमुख सहयोगी और आगंतुक
• प्रमुख आश्रमवासी (1917-1951)
• महिला नेताओं की गैलरी
• चरखा एवं खादी उत्पादन
गांधीजी की विरासत
• सम्मान और पांडुलिपियां
• गांधीजी द्वारा स्थापित संस्थान की जानकारी
• गांधी सर्किट
• डाक विभाग के साथ आदान-प्रदान
• जर्नल और मुख्य-पाठ
नई इमारतों का उपयोग निम्नलिखित आवास के लिए किया जाएगा
प्रशासनिक सुविधाएं
• कार्यालय
• मीटिंग रूम
• अतिथि सुविधाएं
• प्रशिक्षण केंद्र
आगंतुक सुविधाएं
•अभिविन्यास एवं व्याख्या केंद्र
• कागज बनाने, चमड़ा बनाने, गांधीवादी इतिहास, व्याख्यान, सेमिनार आदि के लिए इंटरैक्टिव कार्यशालाएँ।
• अनुभव केंद्र
• यादगार वस्तुओं की दुकानें
• कैफेटेरिया
यूटिलिटी
• शौचालय सुविधाएं
• पीने के पानी की सुविधा
• सुरक्षा कक्ष
• पार्किंग