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नमक बनाने वाली कंपनियों को बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत, आयोडीन की मात्रा कम होने के तर्क को किया स्वीकार

टाटा केमिकल्स लिमिटेड और कुछ अन्य नमक बनाने वाली कंपनियों ने उनपर लगाए गए दो लाख रुपये जुर्माने के फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील दायर की थी. यह जुर्माना फूड सेफ्टी अपीलेट ट्रिब्यूनल द्वारा लगाया गया था, जिसे अब हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है.

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बॉम्बे हाई कोर्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट

टाटा केमिकल्स लिमिटेड और अन्य पर आयोडिन युक्त नमक की खराब मैन्यूफैक्चरिंग और बिक्री के लिए 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. इसके लिए फूड सेफ्टी अपीलेट ट्रिब्यूनल ने एक आदेश जारी किया था, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने अब रद्द कर दिया है. टाटा केमिकल्स लिमिटेड और अन्य कंपनियों ने बुलढाना में ट्रिब्यूनल के 13 अक्टूबर 2016 के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी.

ट्रिब्यूनल ने 14 मई, 2013 को अमरावती स्थित फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा था. दरअसल, 28 फरवरी 2013 को फूड सिक्योरिटी ऑफिसर ने बुलढाणा के एक मार्केट से आयोडीन युक्त नमक के चार सैंपल इकट्ठा किए थे. जांच के लिए सैंपल को अमरावती स्थित डिस्ट्रिक्ट हेल्थ लैब भेजा गया था.

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लैब जांच में नमक में नहीं पाया गया था आयोडीन

सैंपल का बाकी हिस्सा बुलढाणा के अधिकारी को भेजा गया था. इसकी जांच के बाद पता चला कि नमक को आयोडीन युक्त नमक के रूप में गलत तरीके से ब्रांड किया गया था. टाटा नमक के सैंपल को बाद में गाजियाबाद के रेफरल फूड लैब भेजा गया, जहां जांच के बाद पता चला कि टाटा नमक में सोडियम क्लोराइड की मात्रा तय सीमा से कम है और इस हिसाब से सैंपल को खराब करार दिया गया था.

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नमक में कितनी होती है आयोडीन की मात्रा?

अब कंपनियों की तरफ से दायर अपील पर बहस के दौरान वकील एके सोमानी ने बताया कि आयोडीन युक्त नमक पर्यावरणीय फैक्टर्स, जैसे कि गर्मी, प्रकाश, नमी वगैरह की वजह से अपना आयोडीन खो सकता है. आमतौर पर आयोडीन युक्त नमक में आयोडीन की मात्रा 30 से 98 फीसदी तक होता है और नमी की वजह से इसमें कमी आ सकती है.

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कोर्ट में टाटा के वकील ने दिए तर्क

मसलन, वकील सोमानी का तर्क था कि डीएचएल द्वारा जारी आदेश और आरएफएल द्वारा की गई जांच से असल में यह साबित नहीं होता कि नमक में आयोडीन की मात्रा नहीं थी और गलत तरीके से उसकी ब्रांडिंग की गई थी. कोर्ट में जस्टिस अनिल पानसरे की बेंच ने इस तर्क को सही माना और दो लाख के जुर्माने के फैसले को रद्द कर दिया.

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