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PM सूर्य घर योजना का क्या है सच, जानिए पांच राज्यों का रियल्टी चेक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2024 में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना को लॉन्‍च किया था. इस योजना का उद्देश्य लोगों के घरों में सोलर प्लांट (सोलर पैनल) लगवाकर उन्हें बिजली बिल से पूरी तरह मुक्त करना था. लेकिन क्या इस योजना का धरातल पर कोई असर हुआ है, यह जानने के लिए आज तक ने 5 राज्यों में रियलटी चेक किया. पढ़ें, ये रिपोर्ट...

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश में पीएम सूर्य घर योजना के तहत लाखों लाभार्थियों को इससे फायदा मिल रहा है. राज्य में पीएम सूर्य घर योजना के तहत प्रदेश में 3 साल में कुल 25 लाख सोलर रूफटॉप लगाने का लक्ष्य है, जिसमें से अब तक पूरे प्रदेश में 43,000 लगाए जा चुके हैं. उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या को सोलर सिटी के रूप में भी विकसित कर रही है.

लखनऊ के जानकीपुरम में बैंक ऑफ इंडिया में काम करने वाले प्रकाश मिश्रा अपनी पत्नी के साथ रहते हैं. बेटा बाहर बीटेक करता है, तकरीबन 6 महीने पहले 4 किलोवाट का ऑन-ग्रिड सोलर रूफटॉप लगवाया था, जिसका एक दिन का प्रोडक्शन 18 से 24 यूनिट है, जबकि उनकी खपत 7 से 8 यूनिट है. इस सोलर रूफटॉप को लगवाने में 2,38,000 रुपये लगे थे, जिसमें 1,08,000 रुपये की सब्सिडी वापस आ गई थी. प्रकाश मिश्रा सोलर रूफटॉप लगाने के बाद काफी संतुष्ट दिखे.

सब्सिडी भी मिली और बिल भी हो गया कम

लखनऊ के टेक्निकल यूनिवर्सिटी के पास रहने वाले उदय प्रताप सिंह पेशे से सरकारी टीचर हैं. परिवार में पांच लोग हैं, जिनका 4.5 हजार से 5000 रुपये का बिल हर महीने आता था. उदय प्रताप ने चार किलोवाट का सोलर पैनल लगवाया था. इसमें 2,40,000 का खर्चा आया, जबकि 1,08,000 सब्सिडी के रूप में वापस आ गए.

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उदय प्रताप सोलर रूफटॉप से 23 से 24 यूनिट बिजली का प्रोडक्शन कर रहे हैं, जिसको बिजली विभाग को भेजा जाता है. उनकी खपत 20 यूनिट है. यानी उनकी 4 यूनिट बिजली रोजाना बच रही है. उदय प्रताप के मुताबिक पहले 4.5 हजार से लकर 5 हजार रुपये तक का बिल आता था, लेकिन अब मीटर चार्ज, इलेक्ट्रिक ड्यूटी चार्ज और एनर्जी चार्ज सब मिलाकर सिर्फ 1500 रुपये आता है, जिससे उनके परिवार को काफी राहत है.

अब नहीं आता टीचर का बिजली बिल, मिला फायदा

लखनऊ के कुर्सी रोड पर रहने वाले सुरेंद्र पेशे से टीचर हैं. घर में 4 लोग हैं. उन्होंने किसी की सलाह पर 3 किलोवाट का सोलर प्लांट लगवाया, जिसका खर्च 1,80,000 रुपए आया. इसमें 1,08,000 सब्सिडी वापस आ गई. सुरेंद्र के मुताबिक पहले 3 हजार से 4 हजार रुपये बिजली का बिल आता था, लेकिन अब बिल्कुल भी बिल नहीं आ रहा है.

लखनऊ के रहने वाले रवि प्रताप सिंह का सोलर बिजनेस है. वह 2016 से एल्कॉन सॉल्यूशन नाम से सोलर कंपनी चलाते हैं. रवि ने बीटेक करने के बाद बिजनेस करने के बारे में सोचा और लखनऊ में सोलर कंपनी का बिजनेस स्टार्ट किया. 2016 से इतनी ज्यादा डिमांड नहीं थी, लेकिन 2024 में प्रधानमंत्री मोदी के प्रचार-प्रसार करने पर इसमें तेजी से बूम आया. अब दिन भर में औसतन 25 सोलर प्लांट इंस्टॉलेशन कर रहे हैं. तकरीबन 30 लोगों को रोजगार दिया हुआ है. आज खुद के ऑफिस में बैठकर बड़े-बड़े सोलर प्लांट लगा रहे हैं. आज उन्हें अपना फैसला ठीक लगता है कि उन्होंने बीटेक करने के बाद सोलर कंपनी खोली और यह काम कर रहे हैं.

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घरों में सोलर प्लांट लगाने वाले लोकेंद्र विक्रम सिंह की भार्गवी इंटरप्राइजेज के नाम से फर्म है, जो सोलर बिजनेस में 15 से 16 प्लांट प्रति महीना इंस्टॉल कर रहे हैं. लोकेंद्र विक्रम सिंह ने सिविल सर्विसेज में सफल न होने के बाद सोलर का बिजनेस शुरू किया था.

ग्राहक के खाते में सीधे आती है सब्सिडी

लोकेंद्र विक्रम सिंह के मुताबिक कंज्यूमर को 5 साल के सर्विस स्पोर्ट के साथ-साथ पैनल के रख-रखाव और सफाई की जानकारी दी जाती है. पीएम सूर्य घर रजिस्ट्रेशन के लिए बिजली का बिल, कंज्यूमर का ईमेल, मोबाइल नंबर, कैंसिल चेक या पासबुक और आधार लिया जाता है, जिसके बाद सबसे पहले रजिस्ट्रेशन किया जाता है और फीजिबिलिटी चेक की जाती है. इसके बाद इंस्टॉलेशन किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को 4 से 7 दिन का समय लगता है. इसके बाद इंस्टॉलेशन रिपोर्ट जमा की जाती है. डिस्कॉम के द्वारा इंस्पेक्शन रिपोर्ट दी जाती है और नेट मीटर (सोलर मीटर) के लिए अप्लाई किया जाता है. नेट मीटर लगने के बाद सोलर सिस्टम ऑन हो जाता है इसके बाद सब्सिडी अप्लाई की जाती है और मात्र 15 दिनों में सब्सिडी कंज्यूमर के अकाउंट में सीधे आ जाती है.

गाजियाबाद: 2 लाख उपभोक्ताओं तक पहुंचने का लक्ष्य

गाजियाबाद के मुख्य विकास अधिकारी (CDO) अभिनव गोपाल ने बताया कि गाजियाबाद में बिजली प्रयोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिये मोदी सरकार सूर्य घर योजना की मुहिम चला रही है. यहां 2 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं तक सूर्य घर योजना पहुंचाएं जाने का प्रयास सरकार कर रही है. अभी तक 5000 से ज्यादा उपभोक्ताओं तक इसे पहुंचाया जा चुका है.

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सीडीओ ने आगे बताया कि गाजियाबाद में वह ग्रामीण और क्षेत्रीय आवासों में बैनर लगवाकर और प्रचार के जरिये लोगों तक सूर्य घर योजना की जानकारी पहुंचा रहे हैं. उन्हें इसमें सफलता भी मिल रही है. 10 औद्योगिक कनेक्शन हासिल किए जा चुके हैं. ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत लोगों तक यह मुहिम पहुंचाई जा रही है. जिसके माध्यम से अधिक से अधिक उपभोक्ता सूर्य घर योजना का लाभ उठा सकें. बिजली विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ एक बैठक में उन्होंने सुनिश्चित किया कि उपभोक्ताओं को कोई भी परेशानी न पहुंचे और भारत सरकार के 2 लाख कनेक्शन का लक्ष्य पूरा हो जाए.

छत का सबसे अच्छा इस्तेमाल है सोलर पैनल लगवाना

आगे सोलर पैनल लगवाने वाले उपभोक्ताओं से भी बात की गई. उपभोक्ताओं का मानना है कि यह उनके लिए काफी फायदेमंद योजना है. सोलर पैनल लगवाने के बाद उन्हें काफी पैसों की बचत होगी. इस योजना में सब्सिडी सरकार की तरफ से दी जा रही है. अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से उपभोक्ता सोलर पैनल लगवा रहे हैं. हमनें 2 किलोवाट से 12 किलोवाट तक के सोलर पैनल लगवाने वाले उपभोक्ताओं से बात की. 

उपभोक्ता केदार सिंह ने बताया उन्होंने 5 किलोवाट का सोलर पैनल सिस्टम लगवाया है. वो इसके इस्तेमाल से इतनी बिजली का पूरा इस्तेमाल कर पा रहे हैं. उन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया था, हालांकि यूपीनेडा के जरिए भी आवेदन किए जा सकते हैं. इसे अप्लाई करना कोई मुश्किल काम नहीं है. उन्होंने टाटा पावर का सोलर पैनल लगावाया है. इसके फायदे देखकर अब उनके पड़ोसी आशुतोष भारद्वाज भी इसे लगवाना चाहते हैं. उनका कहना है कि इस योजना से लोग अपने घरों की छत का बेस्ट यूज कर सकते हैं. इससे सूर्य के जरिए एनर्जी का बेस्ट यूटिलाइजेशन हो सकता है.

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अप्लाई करने पर 15 दिन में लग जाता है सिस्टम

इस योजना के दूसरे उपभोक्ता डॉ. ओपी अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने 7 किलोवाट का सोलर पैनल अपने घर की छत पर लगवाया है. अब उनका बिजली का बिल न के बराबर आ रहा है. प्रधानमंत्री की यह बहुत बढ़िया योजना है, इससे काफी लाभ उन्हें मिला है. अभी उनका बिजली बिल नहीं के बराबर आ रहा है. योजना के तहत अप्लाई करने के बाद सर्वे होता है और 15 दिन के अंदर सोलर पैनल लग जाता है.

एक और उपभोक्ता विवेक चंद्र ने बताया कि 12 किलोवाट का सोलर पैनल उन्होंने लगवाया है. अभी उनके यहां सोलर सिस्टम पूरी तरीके से चालू नहीं हुआ और वेंडर कुछ देर कर रहे हैं. हालांकि, सब्सिडी अच्छी मिली है.

MP के इंदौर में भी जोरशोर से शुरू हुई कवायद

केंद्र सरकार की पीएम सूर्य घर योजना के अंतर्गत इंदौर जिले में भी इसका क्रियान्वयन शुरू हो चुका है. सबसे पहले इंदौर जिले के ग्रामीण इलाकों में इस योजना के तहत अलग-अलग घरों में सूर्य ऊर्जा के संयंत्र लगाने का काम किया जाएगा. इसके साथ ही इसी योजना के अंतर्गत जिले के शहरी क्षेत्र में आने वाले सभी शासकीय भवनों में भी अनिवार्य रूप से यह सोलर पैनल लगाने का काम किया जाएगा. इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि योजना के तहत जो दिशा-निर्देश मिले हैं. उसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में संयंत्र लगाने और शहरी क्षेत्र के सभी शासकीय भवनों पर सौर ऊर्जा के संयंत्र लगाने की कवायद शुरू हो चुकी है.

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अपने घर में यह संयंत्र स्थापित करने वाले लोगों को भी यह संयंत्र काफी रास आ रहा है. जिसमें लोग वर्तमान के खर्चे के बजाय भविष्य की बचत की ओर ध्यान दे रहे हैं. इंदौर एक व्यापारी धनंजय पांडे का कहना है कि प्रधानमंत्री के आह्वान से प्रेरित होकर उनके द्वारा भी अपने घर और उद्योग पर यह सोलर पैनल लगाए थे. जिसे काफी फायदा मिला. उनका कहना है कि एक घर के लिए 3 किलो वॉट का सोलर संयंत्र 1 लाख 80 हजार का पड़ता है. जिसमें सरकार की तरफ से 78 हजार की सब्सिडी दी जाती है. जिसके बाद यह पूरा संयंत्र 1 लाख रुपए के खर्चे में स्थापित होता है. जिसकी भरपाई 4 से 5 सालों के बीच हो जाती है.

कंपनी इस पूरे सोलर पैनल की 25 साल की गारंटी देती है. इसका मतलब है कि 1 लाख के निवेश के बाद 5 सालों में आपका पूरा सोलर प्लांट फ्री हो जाता है और उसके बाद अगले 20 सालों तक आप मुफ्त बिजली का आनंद लेते हैं. उन्होंने कहा कि अगर आप 1 लाख की एफडी बैंक में करते हैं तो सालाना 6 से 7% तक का ब्याज मिलता है. जिसका मतलब है कि आप उस एक लाख के ऊपर साल का 6 से 7 हजार रुपए का मुनाफा कमाते हैं. लेकिन यह सौर्य ऊर्जा संयंत्र 1 लाख रुपए में लगाने के बाद आप सालाना 20 से 25 हजार तक बचाते हैं. इसलिए यह खर्च नहीं बल्कि इन्वेस्टमेंट है.

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राजस्थान के जयपुर में लोगों का बिजली बिल हो गया जीरो

पीएम सूर्यघर योजना के तहत घर की छत पर सोलर पैनल लगाकर मुफ्त बिजली का लाभ जयपुर के लोग भी उठा रहे हैं. जयपुर शहर में कई लोगों के वहां पहले बिजली बिल बहुत आता था, लेकिन अब बिल जीरो आता है. सोलर पैनल से सिर्फ एक बार सब्सिडी ही नहीं बल्कि हर माह इनकम भी शुरू हो गई. जिसे देख अब दूसरे लोग भी बढ़ते बिजली के बिल से छुटकारा पाने के लिए पीएम सूर्यघर योजना से जुड़ने के लिए अप्लाई कर चुके हैं. उनका मानना है कि बिल भरते-भरते परेशान हो गए, लेकिन फिर भी हर महीने बिल ज्यादा आता है, ऐसे में अब सोलर पैनल ही आखिरी उपाय है.

जयपुर में रामनगर के रहने वाले राजीव सैन ने बताया कि उन्होंने अक्टूबर 2023 को एक एजेंसी के जरिए इसके लिए अप्लाई किया था और अप्रैल 2024 में सोलर पैनल लगकर तैयार हो गया. हालांकि इसका प्रोसेस में जरूर 6 महीने लग गए, लेकिन उन्हें ज्यादा समस्या नहीं हुई. अब रोजाना इससे 50 यूनिट बनती है, जिसमें से 25 यूनिट वो खर्च कर देते हैं और बाकी 25 यूनिट वापस बेच देते है. इसके बदले में सरकार 1 यूनिट के लगभग 3 रुपए उन्हें देती है. पहले 8 हजार रुपए महीने का बिल आता था जो अब बिल्कुल जीरो हो गया है. वही 10 किलोवाट का सोलर पैनल लगाने में उनके 5. 25 लाख रुपए खर्च हुए, जिसमें 1.17 लाख रुपए की सब्सिडी वापस मिल गई.

वहीं, कटारिया कॉलोनी के निवासी रामबाबू शर्मा ने बताया कि 2022 में उन्होंने 10 किलोवाट सोलर पैनल के लिए आवेदन किया था, लेकिन शुरुआत में 8 किलोवट का ही सोलर पैनल लगा, जिसमें करीब 3.50 रुपए का खर्च आया. हालांकि इसको लगाने की पूरी प्रक्रिया एजेंसी के कर्मचारियों की है, जबकि उनके अप्लाई करने के बाद कही भी नहीं जाना पड़ा. यह लगने के बाद जहां उनका बिजली बिल 25 से 30 हजार रुपए का आता था वो 10 हजार रुपये तक आ गया.

घर में ही हो जाती है पूरी बिजली की खपत

शर्मा ने आगे बताया कि बिजली की ज्यादा खपत को देखते हुए बाकी 2 किलोवाट का सोलर पैनल भी उन्होंने हाल ही में लगवाया है. इसमें 1 लाख रुपए का खर्च आया. हालांकि सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को वो बेच नहीं पा रहे है, क्योंकि घर में ही उसकी खपत हो जाती है, लेकिन बिल में काफी राहत है. अब उनके करीब 3 हजार का बिल आ रहा है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही जीरो हो जाएगा. वहीं, इसे लगाने की प्रक्रिया को लेकर उन्होंने बताया कि इसका प्रोसेस बेहद सरल है. कोई ज्यादा परेशानी नहीं आती है. सोलर पैनल कंपनी वाले खुद आते हैं, और फॉर्म भरवाकर खुद ही अप्लाई कर देते है. हालांकि, साइन करने के लिए एक बार खुद को जाना पड़ता है, लेकिन उसके बाद किसी के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं.

नंदपुरी के महेन्द्र कुमार गर्ग का कहना है कि सोलर पैनल से बिजली की बचत के साथ-साथ बिजली प्रोडक्शन होती है, जिससे राज्य को भी फायदा हो रहा है. इसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने 2019 में वेंडर के जरिए 5 किलोवाट का सोलर पैनल लगवाया था, जिसमें करीब 2 लाख रुपए का खर्च आया. वहीं बदले में 67,000 हजार रुपए सब्सिडी के जरिए वापस मिल गए. अब रोजाना 20 यूनिट बिजली जनरेट हो रही है, जिससे बिजली का बिल भी अब बहुत कम आता है. यही नहीं इससे पॉल्यूशन भी नहीं होता और वो खुद सरकार को बिजली बेचते हैं, जिसके बदले में प्रति यूनिट 2.40 रुपए सरकार वापस देती है.

गुजरात में भी खूब हो रहा इस्तेमाल
बात करें गुजरात की तो साल 2016 से ही यहां लगातार सूर्य ऊर्जा का इस्तेमाल करके बिजली का उत्पाद करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है. गुजरात सरकार द्वारा इसके लिए सोलर रूफ योजना के तहत पहले 30,000 और बाद में 40,000 की सब्सिडी मिलती थी, इसमें अलग से 20,000 रुपए केंद्र सरकार की सब्सिडी के भी जोड़े जाते थे और अधिक से अधिक लोगों को सोलर पैनल अपने घरों और इंडस्ट्री में लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता रहा है.

अहमदाबाद में रहने वाले लाभार्थी प्रवीण कुंझाड़िया कहते हैं कि 8 किलोवॉट का सोलर पैनल साल 2021 में अपने घर पर लगवाया था. राज्य और केंद्र सरकार की सब्सिडी का लाभ मिला था. उसके बाद जो खर्च हुआ वो अब तक वसूल हो चुका है. प्रवीण कुंझाड़िया ने बताया कि हमारे घर में रोज 15 यूनिट बिजली की खपत होती है, लेकिन हमारी सोलर पैनल से रोजाना 35 यूनिट से अधिक बिजली पैदा होती है. जो यूनिट एक्सेस होता है उसके रुपए साल के अंत में हमें बिजली कंपनी की तरफ से मिलते हैं.

छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में यह योजना लोकप्रिय हो रही है. अब तक 1600 से अधिक घरों की छतों पर सौर पैनल लगाए जा चुके हैं. बिजली बिल के रूप में हर महीने हजारों का भुगतान करने के बाद अब लोगों को काफी बचत हो रही है. श्री अग्रवाल नामक व्यक्ति ने बताया कि मेरा महीने का बिल 8000 रुपए आता था और अब मैं केवल 200 का भुगतान करता हूं. मेरे पड़ोसियों ने भी इसे लगवा लिया है.

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