
जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के सेरी बागना गांव में रविवार को अचानक बादल फटने से पूरे इलाके में बाढ़, भूस्खलन और मिट्टी धंसने की घटनाएं हुईं. इंडिया टुडे ने सैटेलाइट तस्वीरों का रिव्यू किया जिसमें चिनाब नदी के उफान और उसके टूटे हुए तटबंधों को देखा जा सकता है. इन तस्वीरों से पता चलता है कि इलाके में भारी तबाही हुई है और सामान्य जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है.
रामबन के 10 गांवों में तबाही
रामबन के मरोग, केला मोड़ और त्रिशूल मोड़ इलाके सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं. डिवीज़नल कमिश्नर रमेश कुमार के मुताबिक सेरी, बागना, पनोट और खारी समेत कम से कम 10 गांवों को नुकसान पहुंचा है. उधमपुर ज़िला सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ, जहां कई पेड़ उखड़ गए, जिससे ट्रैफिक की समस्या पैदा हो गई. इलाके में कई सड़कें ब्लॉक हो गईं और बड़े पैमाने पर बिजली गुल होने की ख़बरें हैं.

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से हासिल सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि चिनाब नदी का विस्तार 46 मीटर से बढ़कर करीब 109 मीटर हो गया है, जो कि इसके पहले बहने की चौड़ाई से लगभग दोगुना है.
सामान्य से 700 फीसदी ज्यादा बारिश
अब तक बारिश और ओलावृष्टि के कारण पांच लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 100 से ज्यादा लोगों को बचाया गया है. कोपरनिकस ब्राउज़र पर एक कस्टम फ्लड डिटेक्शन स्क्रिप्ट का इस्तेमाल करते हुए, जिसे स्थायी जल, अस्थायी जल, ड्राई लैंड और क्लाउड कवर को अलग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, हमने अस्थायी जल के प्रवाह का पता लगाया. इसमें रामबन के पास जल-जमाव वाले क्षेत्र सामान्य परिस्थितियों की तुलना में लगभग दोगुने बड़े दिखाई दिए.

ऊपर दी गई तस्वीर में अस्थायी जल- जिसमें बाढ़ वाले इलाके, कीचड़, गीली मिट्टी और गीले क्षेत्र शामिल हैं, को सियान रंग में दिखाया गया है. जमीन, जिसमें शुष्क भूभाग, वनस्पति और शहरी क्षेत्र हैं, हरे रंग में दिखाई देती है और बादलों को सफेद रंग में दिखाया गया है.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, 21 अप्रैल को रामबन में 25.5 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 723% ज्यादा थी. साथ ही 22 अप्रैल को 6.4 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 155% ज्यादा थी. ऊपरी जल क्षेत्रों में लगातार बारिश के बाद चिनाब नदी में भारी जलस्तर को देखते हुए एहतियात के तौर पर सलाल बांध के गेट खोल दिए गए हैं.
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रामबन में दो दिन पहले मची तबाही के बाद भारतीय सेना ने राहत अभियान शुरू किया. NH-44 पर फंसे यात्रियों को खाना, शेल्टर और मेडिकल हेल्प देने के लिए क्यूआरटी टीम की तैनाती की गई है. सेना की आठ टुकड़ियां स्टैंडबाय पर हैं और बचाव अभियान चलाया जा रहा है. शुरुआती आकलन के अनुसार, सड़कों से मलबा हटाने और यातायात बहाल करने में बुधवार तक का समय लग सकता है.