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क्या सच में साथ-साथ है विपक्ष? जानें कैसे टीएमसी-कांग्रेस की लड़ाई ने बढ़ाया शिवसेना-एनसीपी का टेंशन

राज्यसभा के 12 सांसदों के निलंबन पर विपक्ष एकजुट तो नजर आ रहा है, लेकिन अब भी पूरी तरह से साथ-साथ नहीं आए हैं. तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस में बनती नहीं दिख रही है, जिसका नतीजा ये हो रहा है कि बाकी पार्टियों की टेंशन बढ़ गई है.

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सांसदों के निलंबन ने विपक्ष को एकजुट होने का मौका तो दिया है, पर कसक अब भी कहीं बाकी है. (फाइल फोटो-PTI)
सांसदों के निलंबन ने विपक्ष को एकजुट होने का मौका तो दिया है, पर कसक अब भी कहीं बाकी है. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • संसद के बाहर आमने-सामने हैं टीएमसी-कांग्रेस
  • दोनों की लड़ाई से एनसीपी-शिवसेना टेंशन में

शीतकालीन सत्र विपक्ष की एकजुटता के लिए अग्निपरीक्षा है. एक तरफ पांच राज्यों के चुनाव सर पर हैं. ऐसे में सभी दल अपने सियासी नफा -नुकसान को देखते हुए रणनीति बना रहे हैं. इस माहौल में विपक्ष की फेहरिस्त में शामिल डीएमके, शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस ,एनसीपी समेत लगभग दो दर्जन से अधिक पार्टियां कांग्रेस के साथ कितना तालमेल बिठाती हैं इस पर सत्ता पक्ष की भी नजर है. 

तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस की तू-तू मैं-मैं

दिलचस्प बात है कि संसद परिसर में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच एकता की मिनिमम गारंटी चल रही है मगर बाहर युद्ध छिड़ा हुआ है. आलम यह है कि अभिषेक बनर्जी गांधी प्रतिमा के पास भले ही निलंबित सांसदों के समर्थन में आए (जिसमें कांग्रेस सांसद भी शामिल हैं) पर उसी मंच से उन्होंने कांग्रेस को खूब खरी-खोटी सुनाई. यानी कि बात साफ है संसद के भीतर मुद्दों पर भले सहमति हो मगर संसद परिसर के बाहर दोनों पार्टियां आमने-सामने हैं. 

एनसीपी, शिवसेना की टेंशन

तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच मनमुटाव को लेकर बाकी दल भी परेशान है. इसी टेंशन के मद्देनजर शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राऊत ने राहुल गांधी से मुलाकात की. शिवसेना को लगता है कि अब पानी सर से ऊपर निकल गया है. विपक्ष की एकता को लेकर पशोपेश बढ़ता जा रहा है. अगर 2024 की लड़ाई से पहले दोनों दल के बीच यूं ही तू-तू मैं-मैं होती रही तो भाजपा के खिलाफ जंग जितना नामुमकिन है. यही वजह है कि एनसीपी ने भी मंगलवार को दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नॉन बीजेपी फ्रंट को एकजुट करने का प्रस्ताव पारित कर दिया.

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निलंबन ने किया एकजुट!

पिछले कुछ दिनों से लगातार विपक्ष की बैठक हो रही है. पहले ऐसा नहीं था. पिछले सत्रों में हफ्ते में इक्का-दुक्का बैठक में ही मामला सिमट जाता था. दरअसल सांसदों के निलंबन ने सभी पार्टियों को एकजुट कर दिया. हालांकि आम आदमी पार्टी और राजद जैसे दलों के कोई सांसद निलंबित नहीं हैं लेकिन नैतिक आधार पर वह पूरी तरह से समर्थन कर रहे हैं. आज सांसदों के धरने पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार नजर आए तो तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी भी सांसदों का हौसला अफजाई कर रहे थे. 

एनसीपी में भी एक्शन मोड में!

मुंबई में शरद पवार और ममता बनर्जी की मुलाकात से शुरू हुई सियासी सरगर्मी संसद तक पहुंच गई है. विपक्ष की बैठक में शरद पवार तो नजर नहीं आए पर सुप्रिया सुले मौजूद थी. इसी बीच मंगलवार को एनसीपी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी दिल्ली में रखी. दिलचस्प बात है कार्यकारिणी में  कांग्रेस के पूर्व नेता योगानंद शास्त्री और पीसी चाको ने भी हिस्सा लिया. जाहिर है कि एनसीपी भी एक्शन मोड में नजर आना चाहती है. एनसीपी ने ऐलान कर दिया कि मार्च तक संगठन के चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और उसके बाद जून में दिल्ली में सम्मेलन करके नई टीम का ऐलान होगा. संगठन के चुनाव का एजेंडा तय करके एनसीपी ने कहीं ना कहीं इशारे इशारे में कांग्रेस को भी संदेश दे दिया.

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