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'पेंशन लो वोट दो' मामले में राजस्थान सरकार ने दर्ज करावाया मुकदमा, आजतक की खबर का असर

सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर बुजुर्गों के पेंशन स्कीम का दिवाला निकाल दिया है. दरअसल, 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग जिनकी सलाना आय 48000 रुपये से कम है या ढाई एकड़ से कम जमीन है, तो सरकार ऐसे बुजुर्गों को हर महीने 1150 रुपये पेंशन देती है. मगर राजस्थान के गांव-गांव में इस पेंशन स्कीम में बड़ा घोटाला चल रहा है.

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राजस्थान में बुजुर्ग पेंशन योजना में फर्जीवाड़े का राज्य सरकार ने लिया संज्ञान. (PTI Photo)
राजस्थान में बुजुर्ग पेंशन योजना में फर्जीवाड़े का राज्य सरकार ने लिया संज्ञान. (PTI Photo)

राजस्थान में 'पेंशन लो वोट दो' के मामले में सरकार ने मुकदमा दर्ज करावाया है. आजतक ने नागौर जिले में बुजुर्ग पेंशन योजना में अजीबोगरीब घोटाले का पर्दाफाश किया था, जिसमें गांव-गांव में 40 साल की उम्र में 60 का बनकर लोग पेंशन उठा रहे हैं. एक तरफ पंचायत में हजारों लोग फर्जी पेंशन उठा रहे हैं, तो दूसरी तरफ पेंशन के सहारे जीवन गुजारने वाले बुजुर्ग 6 महीने से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. अकेले नागौर जिले के 15 पंचायतों में 674 अपात्र लोगों ने पांच साल में बुजुर्ग पेंशन योजना के तहत करीब 4.5 करोड़ रुपये उठा लिए हैं.

सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर बुजुर्गों के पेंशन स्कीम का दिवाला निकाल दिया है. दरअसल, 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग जिनकी सलाना आय 48000 रुपये से कम है या ढाई एकड़ से कम जमीन है, तो सरकार ऐसे बुजुर्गों को हर महीने 1150 रुपये पेंशन देती है. मगर राजस्थान के गांव-गांव में इस पेंशन स्कीम में बड़ा घोटाला चल रहा है. 40 साल वाले 60 साल का बनकर पेंशन उठा रहे हैं. आजतक जब इन फर्जी पेंशनरों के घर पहुंचा तो सबने एक दूसरे को फोन कर दिया और मौके से भागने लगे. जो मिले उन्होने कहा कि सरकार दे रही तो हमें लेने में क्या. खुद गांव वाले कह रहे हैं कि नेताओं और अधिकारियों की मिली भगत से ये खेल चल रहा.

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नागौर के बलाया गांव के रेवंतराम पर ग्राम विकास अधिकारी की तरफ से मुकदमा दर्ज करवाया गया है. उन पर आरोप है कि उन्होंने अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके ई-मित्र पोर्टल पर दर्ज रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करके अपनी उम्र 60 साल करवा लिया और पेंशन का फर्जी लाभ ले रहे थे. आजतक ने दिखाया था कि रेवंतराम के आधार कार्ड में उनकी उम्र 10 सितंबर, 1975 थी, जिसे पेंशन के लिए बनने वाले जनाधार कार्ड में बदलकर 24 नवंबर, 1953 कर दिया गया. उनकी फोटो की जगह मैगजिन का कवर फोटो लगा दिया. 2013 में चुनाव से पहले वोट के लिए नेताओं ने 38 साल की उम्र में ओल्ड एज पेंशन चालू करा दिया. 

साल 2016 में इसे रद्द किया गया, तो 2018 में चुनाव से पहले फिर से चालू कर दिया. रेवंतराम की पेंशन चालू करने में फर्जावाड़ा ई-मित्र संचालक रामेश्वर लाल ने उनके साथ मिलीभगत में किया था. ई-मित्र संचालक पर आरोप है कि वहपेंशन में अपना हिस्सा तय रखता था. बलाया गांव के रामकिशोर को भी अबतक उठा गए पेंशन की पूरी रकम वापस जमा कराने के आदेश दिए गए हैं. आधार कार्ड के अनुसार 1 जनवरी, 1980 को जन्मे रामकिशोर ने भी जनाधार कार्ड में उम्र 1 जनवरी, 1962 करा लिया और पेंशन लेने लगा. भ्रष्टाचार की फाइल इतनी तेज चलती है कि 13 अगस्त, 2021 को रामकिशोर की पेंशन चालू हुई, मगर खाते में दो दिन पहले यानी 11 अगस्त, 2021 को ही पैसे डाल दिए गए. 

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रामकिशोर तो घर से नहीं निकला, मगर आजतक की टीम जब उसके घर दो बार पहुंची तो उसके ताऊ नाराज हो गए. उन्होंने गुस्से में कहा- हमने तो पेंशन मांगी नहीं, दे दिया तो किसको बुरा लगता है. हम अकेले थोड़े ही ले रहे हैं, पूरा गांव इस गोरखधंधे में लगा है. इसी तरह हरिराम काला और उनकी पत्नी शिवरी 2012 से पेंशन ले रहे हैं, जबकि पेंशन चालू होते समय उनकी उम्र 42 और 45 साल थी. हरिराम का कहना है कि गांव में सभी ले रहे थे, तो ​मेरे भाई ने मेरा और मेरी पत्नी का नाम भी लिखवा दिया. कमाल है कि इनके आवेदन में हस्ताक्षर तक नहीं है और 12 साल से पेंशन चल रहा. मामला प्रकाश में आने पर सरकार ने पति-पत्नि के नाम दो-दो लाख की रिकवरी निकाली है. 

नागौर कलेक्टर अरुण कुमार पुरोहित ने कहा कि जिले के सभी पंचायतों में समाज कल्याण विभाग की पेंशन योजनाओं के लाभार्थियों की जांच के आदेश दिए हैं. आजतक की रिपोर्ट में जिनका नाम आया था उन सबको रिकवरी के नोटिस दिए गए हैं. राजस्थान में ओल्ड एज पेंशन स्कीम के तहत 51 लाख 85 हजार 320 लोग राज्य सरकार के ई-मित्र पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं, जबकि इसमें से सात लाख से अधिक लोगों ने अबतक केवाईसी नहीं कराई है, फिर भी उनको पेंशन दिया जा रहा है.

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