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पंजाब में बाढ़ से छिनी रोजगार की डोर, बिहार लौट रहे मजदूर अब हरियाणा-दिल्ली की ओर कर रहे रुख

पंजाब में आई बाढ़ से बिहार के हजारों प्रवासी मजदूरों का रोज़मर्रा जीवन संकट में है. परंपरागत रूप से धान की रोपाई-करने वाले मजदूर बाढ़ के कारण खेतों में काम नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उनकी कमाई और उम्मीदें टूट गई हैं. सुपौल, सहरसा, मधुबनी जैसे जिलों के मजदूर अब पंजाब के बजाय हरियाणा और दिल्ली की ओर पलायन कर रहे हैं.

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पंजाब की बाढ़ से टूटा बिहार के मज़दूरों का सहारा (File: ITG)
पंजाब की बाढ़ से टूटा बिहार के मज़दूरों का सहारा (File: ITG)

पंजाब की बाढ़ अब केवल किसानों का संकट नहीं रही, बल्कि इसने बिहार के हज़ारों प्रवासी मज़दूरों की रोजमर्रा की ज़िंदगी को गहरे संकट में डाल दिया है. हर साल बड़ी संख्या में मज़दूर पंजाब जाकर धान की रोपाई और कटाई से अपने परिवार का गुज़ारा करते थे, लेकिन इस बार बाढ़ ने उनके सपनों को डुबो दिया है.

सुपौल, सहरसा, मधुबनी जैसे जिलों के मजदूर अब पंजाब के बजाय हरियाणा और दिल्ली की ओर पलायन कर रहे हैं. संपर्क टूटने और बिजली न होने से फंसे मजदूरों की स्थिति और खराब हो गई है. बेरोजगारी और आर्थिक तंगी गांवों तक फैल रही है. यह प्राकृतिक आपदा बिहार के प्रवासी मजदूरों के लिए स्थायी रोजगार और सरकारी सहायता की जरूरत को बढ़ा रही है ताकि वे जीवन-यापन कर सकें.

सुपौल: उम्मीदों पर पानी

सुपौल के मज़दूर भुवन सादा ने बताया कि दर्जनों लोग परिवार समेत धान की रोपाई करने पंजाब गए थे. उनका कहना है, “कटाई के समय दोबारा लौटने की योजना थी, लेकिन बाढ़ ने खेत-खलिहानों को जलमग्न कर दिया. अब तो वहां कुछ बचा ही नहीं. पंजाब क्या काटने जाएंगे?”

महिला मज़दूर ममता देवी ने कहा कि हर साल फसल तैयार होने पर पंजाब में मंडियों और गोदामों में भी काम मिल जाता था. “लेकिन इस बार बाढ़ ने सब चौपट कर दिया. खेती भी नहीं बची और अब काम की उम्मीद भी नहीं रही.”

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भगवानपुर की दिखने देवी का कहना है कि पंजाब की खेती पर ही बिहार के मज़दूरों का जीवन टिका रहता है. “रोपाई से लेकर कटाई और गोदाम तक का काम बिहारी मज़दूर करते हैं, लेकिन इस बार बाढ़ ने हमारी उम्मीदें तोड़ दी हैं.”

किशुनदेव ऋषिदेव ने चिंता जताते हुए कहा, “हम गरीब मज़दूर हैं. बिहार में काम पहले से ही नहीं है. पंजाब की बाढ़ ने रोजगार का दरवाज़ा बंद कर दिया है. अब परिवार का गुज़ारा कैसे होगा, समझ में नहीं आता.”

सहरसा: पंजाब छोड़ मज़दूरों का नया ठिकाना हरियाणा

सहरसा जंक्शन पर मज़दूरों की भीड़ अब दिल्ली और हरियाणा जाने वाली ट्रेनों की ओर है. अरविंद कुमार, जो एक दशक से पंजाब जाकर धान की रोपाई करते रहे हैं, ने कहा, “इस बार भी धान लगाया था लेकिन बाढ़ के कारण काटने नहीं जा पा रहे. अब हरियाणा जा रहे हैं मजदूरी करने.”

महिषी के अर्जुन का कहना है कि पंजाब में उनके कई साथी बाढ़ में फंसे हुए हैं. बिजली न होने के कारण मोबाइल चार्ज नहीं कर पा रहे, जिससे संपर्क भी टूट गया है. अर्जुन ने मजबूरी में हरियाणा का रास्ता पकड़ लिया है.

अशोक राम और साहेब की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. दोनों ने धान बोकर लौटने की योजना बनाई थी, लेकिन बाढ़ ने खेत चौपट कर दिए. रोज़गार की तलाश में अब वे भी हरियाणा और दिल्ली की राह पकड़ रहे हैं.

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यह भी पढ़ें: बाढ़ से बेहाल पंजाब में बढ़ी नावों की डिमांड, 1.8 लाख तक पहुंची कीमतें, हजार रुपये में लाइफ जैकेट

मधुबनी: चिंता में डूबे परिवार

मधुबनी ज़िले के सैकड़ों मज़दूर पंजाब में बाढ़ के बीच फंसे हुए हैं. यहां उनके परिवारजन अपनों की सलामती की दुआ कर रहे हैं. पंजाब के खेत, जो अब तक उनके जीवन में मुस्कान लाते थे, आज बाढ़ में डूबे पड़े हैं.

दरभंगा: घर लौटे, काम ठप

दरभंगा के कई मज़दूर तीज और चौचंद पर्व मनाने गांव आए थे, लेकिन बाढ़ के कारण अब पंजाब से बुलाहट ही नहीं आ रही. न रोपनी हो रही है और न कटाई. गाँव लौटे ये मज़दूर फिलहाल बेरोज़गार बैठे हैं और काम की तलाश में भटक रहे हैं.

गांव में गहराता रोज़गार संकट

योगेंद्र दास बताते हैं, *“हर साल गाँव से सैकड़ों लोग पंजाब जाते हैं, लेकिन इस बार बाढ़ के कारण सब वापस आना पड़ा. अब गांव में ही काम ढूंढ रहे हैं.”

भोला यादव ने कहा, *“पंजाब और दिल्ली में हालत खराब है. घर लौटे हैं लेकिन यहाँ भी काम नहीं है. अब पेट कैसे चलेगा, यही चिंता है.”

संजीत कुमार कहते हैं कि पंजाब में मज़दूरी पांच से छह सौ रुपये रोज़ मिलती थी, लेकिन बिहार में मुश्किल से चार सौ रुपये और वह भी हर दिन नहीं.

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चुलहाय यादव, जो पंजाब में कंस्ट्रक्शन वर्क करते थे, का कहना है, “बाढ़ ने सारे काम ठप कर दिए. अब न पंजाब जा सकते हैं, न ही गांव में कोई काम है.”

इनपुट: रामचंद्र मेहता, धीरज कुमार सिंह 

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