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नक्सल इलाकों में बड़े ऑपरेशन की तैयारी, 'सेटेलाइट ट्रैकर' से होंगे पिन प्वाइंट ऑपरेशन

नक्सल इलाकों में सुरक्षा एजेंसी अलग-अलग जगहों ऑपरेशन कर रही है. इन नक्सलियों पर इसरो के जरिए निगरानी रखी जा रही है.  दरअसल सेटेलाइट के जरिए लाइव इमेजेस सुरक्षाबलों को उनके कंट्रोल रूम तक मुहैया कराई जाती है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इसरो सुरक्षाबलों को नक्सलियों की सैटेलाइट के जरिए तस्वीरें भेज रहा है
  • सुरक्षाबलों के ऑपरेशन से नक्सली घटनाओं में 23 प्रतिशत की कमी आई है

नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बल के जवान लगातार अपनी पैठ मजबूत कर रहे हैं. यही वजह है कि अब सुरक्षबलों के जवानों ने नक्सलियों की मांद में घुसकर उनके खिलाफ बड़े ऑपरेशन का एक प्लान तैयार किया है. सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नक्सली इलाकों में जहां घने जंगल हैं वहां पर नक्सलियों के कमांडर को ढूंढना और उनके खिलाफ ऑपरेशन करना काफी कठिन होता है.

इसलिए अब सुरक्षा बल सेटेलाइट से ऑपरेट होने वाले सेटेलाइट ट्रैक्टर के जरिए पिन प्वाइंट ऑपरेशन करेंगे जिसमें अत्याधुनिक ड्रोन के साथ-साथ सेटेलाइट से मिलने वाली लाइव  तस्वीरों का इस्तेमाल होगा.

आपको बता दें कि दण्डकारण्य के इलाके में हिडमा जैसे खूंखार नक्सली अभी मौजूद हैं. हिडमा पीएलजीए-1 का सबसे बड़ा कमांडर है जो बीच बीच मे जंगली इलाकों से निकलकर चुपके से सुरक्षा बलों पर हमला करता है. पर अब उसकी खैर नहीं, सुरक्षा बलों ने उसको मारने और उसको ढूंढने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने की तैयारी कर ली है. यानी सैटलाइट तकनीक और ड्रोन के जरिए आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर हिडमा और PLGA1 के दूसरे खूंखार नक्सलियों का हिसाब किताब किया जाएगा.

सेटेलाइट ट्रैकर क्या है और कैसे काम करेगा?

नक्सल इलाकों में सुरक्षा एजेंसी अलग-अलग जगहों ऑपरेशन कर रही है. इन नक्सलियों पर इसरो के जरिए निगरानी रखी जा रही है. दरअसल सेटेलाइट के जरिए लाइव इमेजेस सुरक्षाबलों को उनके कंट्रोल रूम तक मुहैया कराई जाती है और उसके बाद सेटेलाइट ट्रैकर के जरिए सुरक्षाबलों को ऑपरेशन के लिए उन तस्वीरों को शेयर किया जाता है, जहां पर नक्सलियों की होने की मौजूदगी रहती है इसी के आधार पर नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन किए जाते हैं. साथ ही इस ट्रैकर का इस्तेमाल रास्ते के सटीक जानकारी के लिए भी किया जाता है.जिससे कि ऑपरेशन के बाद जवान जंगलों में भटके नहीं और उनको सही रास्ता मिल सके.

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नक्सली घटनाओं में 23 प्रतिशत की कमी

गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक जिस तरीके से CAPF नक्सली इलाकों में जंगलों के अंदर फोर्स की मौजूदगी बढ़ा रही है कई बड़े-बड़े ऑपरेशन करने में जुटी है. ऐसे में नक्सली घटनाओं में 23 प्रतिशत की कमी आई है. पिछले एक दशक में, हिंसा के आंकड़ों और इसके भौगोलिक फैलाव, दोनों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है.

वामपंथी उग्रवाद संबंधित हिंसा की घटनाएं 2009 में 2,258 के उच्चतम स्तर से 70% कम होकर वर्ष 2020 में 665 रह गई हैं. मौतों की संख्या में भी 82% की कमी आई है जो वर्ष 2010 में दर्ज 1,005 के उच्चतम आंकड़े से घटकर वर्ष 2020 में 183 रह गई हैं. माओवादियों के प्रभाव वाले ज़िलों की संख्या भी वर्ष 2010 में 96 से वर्ष 2020 में घटकर सिर्फ 53 ज़िलों तक सीमित रह गई है. माओवादियों को अब सिर्फ़ कुछ ही इलाक़ों में 25 ज़िलों तक सीमित कर दिया गया है जो कि देश के कुल वामपंथी उग्रवाद की 85% हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं.

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