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आज अगर चुनाव हों तो कितनी बदलेगी दिल्ली दरबार की तस्वीर, क्या नया सीन होगा राज्यों में? MoTN सर्वे के 10 बड़े Takeaway

नई सरकार के शुरुआती कार्यकाल के बाद जनता का मिजाज कितना बदला है और अगर आज आम चुनाव हों तो दिल्ली दरबार की तस्वीर कितनी बदलेगी? राज्यों में क्या नया सीन होगा?

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PM Narendra Modi Rahul gandhi
PM Narendra Modi Rahul gandhi

कुछ ही महीने हुए जब लोकसभा चुनाव में जीत के साथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 291 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाई. पीएम मोदी की अगुवाई वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल के तीन महीने होने को हैं. नई सरकार के शुरुआती कार्यकाल के बाद जनता का मिजाज कितना बदला है और अगर आज आम चुनाव हों तो दिल्ली दरबार की तस्वीर कितनी बदलेगी? राज्यों में क्या नया सीन होगा? ये जानने के लिए आजतक ने सी-वोटर के साथ मिलकर मूड ऑफ द नेशन सर्वे किया. इस सर्वे के 10 बड़े टेकअवे क्या हैं?

1- पीएम पद के लिए मोदी सबसे लोकप्रिय, लेकिन घटा ग्राफ

प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं. हालांकि, उनकी लोकप्रियता के ग्राफ में गिरावट भी आई है. लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी महीने में मूड ऑफ द नेशन सर्वे में 54 फीसदी से अधिक लोगों ने पीएम पद के लिए नरेंद्र मोदी को अपनी चॉइस बताया था. राहुल गांधी करीब 14 फीसदी लोगों की पसंद थे. इस बार नरेंद्र मोदी को पीएम के लिए बेहतर विकल्प बताने वालों की संख्या 50 फीसदी के भी नीचे आ गई है. 49 फीसदी लोगों ने पीएम के लिए नरेंद्र मोदी को बेहतर विकल्प बताया है तो वहीं 22 फीसदी लोग ऐसे हैं जो ये मानते हैं कि राहुल गांधी बेहतर पीएम साबित होंगे.

इसी सर्वे में जब ये पूछा गया कि देश का अब तक का सबसे अच्छा प्रधानमंत्री कौन रहा है, तो 52 फीसदी लोगों ने नरेंद्र मोदी का नाम लिया.

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नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर पड़े इस प्रभाव और राहुल गांधी के बढ़े ग्राफ के पीछे विपक्ष की सक्रियता को मुख्य फैक्टर बताया जा रहा है. कांग्रेस संसद से सोशल मीडिया तक सरकार की कमियों को उजागर करने पर फोकस किए हुए है. पेपर लीक, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे भी पीएम मोदी की लोकप्रियता पर असर डालते नजर आ रहे हैं. इसी सर्वे में 28 फीसदी लोगों ने पेपर लीक के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार माना है. 

2- पीएम मोदी के कामकाज से संतुष्टों की संख्या घटी

पीएम मोदी के प्रदर्शन को 34 फीसदी लोगों ने अच्छा बताया है. 15 फीसदी लोगों ने औसत, 10 फीसदी ने खराब और 13 फीसदी ने बहुत खराब बताया है. इसी साल फरवरी महीने में करीब 42 फीसदी लोगों ने पीएम मोदी के कामकाज को बहुत अच्छा और 18.7 फीसदी लोगों ने अच्छा बताया था. औसत बताने वालों की संख्या तब 11.7 फीसदी, खराब बताने वालों की 13.1 फीसदी और बहुत खराब बताने वालों की संख्या 10.5 फीसदी थी.

मूड ऑफ द नेशन के ताजा आंकड़े बताते हैं कि पीएम मोदी के प्रदर्शन को अच्छा बताने वालों की संख्या में गिरावट आई है. 10 फीसदी लोगों ने खराब और 13 फीसदी ने बहुत खराब यानि कुल 23 फीसदी लोगों ने पीएम के प्रदर्शन को खराब बताया है. यह नंबर लगभग उतना ही है जितना पिछले सर्वे में था. औसत बताने वालों की संख्या बढ़ी है.

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पीएम मोदी के कामकाज से संतुष्ट लोगों की संख्या में आई कमी के पीछे भावनात्मक मुद्दों का कमजोर पड़ना, महंगाई-बेरोजगारी जैसे मुद्दों का प्रमुखता से उभरना एक प्रमुख वजह बताया जा रहा है. फरवरी महीने तक राम मंदिर का मुद्दा बड़ा था. चुनाव के बाद मोदी सरकार के फैसले लेने और फिर उन्हें बदलने का प्रभाव भी जनमत पर पड़ता नजर आ रहा है.

3- बीजेपी-कांग्रेस, बढ़ रहीं दोनों की सीटें

हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 240, कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली थी. एमओटीएन सर्वे के मुताबिक अगर आज चुनाव हुए तो     बीजेपी को 244 और कांग्रेस को 106 सीटें मिलने का अनुमान सर्वे में जताया गया है. बीजेपी की सीटें चार और कांग्रेस की सात बढ़ रही हैं.  अन्य पार्टियों को 193 सीटें मिल सकती हैं.

बीजेपी और कांग्रेस, दोनों दलों की सीटें बढ़ने को बढ़ते बाइपोलर कॉन्टेस्ट की धारणा से जोड़कर देखा जा रहा है. कांग्रेस पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के शुरुआती महीनों में निष्क्रिय विपक्ष का टैग हटाने के लिए प्रयास करती लग रही है. कांग्रेस को उसकी सक्रियता का लाभ बढ़ी सीटों के रूप में मिलता दिख रहा है. एक वजह लोकसभा चुनाव नतीजों से मिला बूस्ट भी है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल भी बढ़ा हुआ है. 

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4- वो दल जो किसी खेमे में नहीं हैं

ऐसी पार्टियां जो न तो एनडीए में हैं और ना ही इंडिया ब्लॉक में, दोनों में से किसी भी खेमे में नहीं हैं, ऐसी पार्टियों का ग्राफ गिरता दिख रहा है. हालिया लोकसभा चुनाव में गैर एनडीए, गैर इंडिया दलों और निर्दलीयों को 16 सीटों पर जीत मिली थी. मूड ऑफ द नेशन सर्वे के मुताबिक अगर आज चुनाव हुए तो अन्य को 11 सीटें मिल सकती हैं.

इसके पीछे राष्ट्रीय राजनीति को लेकर लोगों में राष्ट्रीय दलों की ओर बढ़ते झुकाव और बाइपोलर कॉन्टेस्ट की प्रवृत्ति को वजह बताया जा रहा है. लोकसभा चुनाव में भी इसका प्रभाव देखने को मिला था और अन्य ऐसी पार्टियों की सीटें घटकर 16 ही रह गईं जो किसी भी गठबंधन में शामिल हुए बगैर अकेले चुनाव मैदान में उतरीं.

5- राहुल गांधी की लोकप्रियता

राहुल गांधी की लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ा है. फरवरी 2024 में जहां करीब 14 फीसदी लोगों ने पीएम पद के लिए राहुल गांधी को अपनी पसंद बताया था. वहीं छह महीने बाद ताजा सर्वे में राहुल को पीएम के लिए अपनी पसंद बताने वालों की तादाद 22 फीसदी पहुंच गई है. विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी के काम को 50 फीसदी से अधिक लोगों ने अच्छा बताया है. 

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राहुल के बढ़े ग्राफ के पीछे उनकी यात्राओं के साथ ही लोकसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर उनका काम भी वजह बताया जा रहा है. राहुल गांधी जातिगत जनगणना से लेकर अग्निवीर और किसानों के लिए एमएसपी की लीगल गारंटी जैसे मुद्दों को लेकर लगातार मुखर नजर आए हैं. कभी ट्रक में यात्रा तो कभी कैब में सफर, कभी मोची की दुकान पर जूते सिलने तो कभी फर्नीचर की दुकान पर पहुंच स्टूल बनाना, राहुल गांधी की इमेज में इन सबकी वजह से भी बदलाव आया है.  

6- विपक्ष के रूप में कांग्रेस का काम

विपक्ष के रूप में कांग्रेस के काम को 18 फीसदी लोगों ने बहुत अच्छा, 26 फीसदी लोगों ने अच्छा बताया है. 20 फीसदी लोगों ने औसत और 14 फीसदी लोगों ने खराब बताया है. विपक्ष के तौर पर कांग्रेस की छवि बदल रही है. कैपिटल गेन टैक्स पर इंडेक्सेशन हटाए जाने का मुद्दा हो या वक्फ बिल, सरकार बीच का रास्ता निकालने के लिए विवश हुई तो उससे भी कांग्रेस की इमेज पर सकारात्मक असर पड़ा है. 

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7- सबसे बड़ी समस्या क्या

मूड ऑफ द नेशन सर्वे में 28 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ी समस्या बताया है. 19 फीसदी लोगों ने महंगाई, छह फीसदी लोगों ने गरीबी, छह फीसदी लोगों ने कृषि संकट और पांच फीसदी लोगों ने बिजली, पानी और सड़क को बड़ी समस्या बताया है. पिछले एमओटीएन में 26 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को बड़ी समस्या बताया था.

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बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों का प्रमुखता से सामने आना सत्ताधारी दलों के लिए मुश्किल का सबब बन सकता है. झारखंड और हरियाणा में करीब 44 फीसदी जनता ने बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा माना है जो राष्ट्रीय औसत 28 फीसदी से कहीं अधिक है. ये आंकड़े इन राज्यों की सत्ताधारी पार्टियों के लिए अच्छे संकेत नहीं कहे जा सकते. जानकार ये भी कह रहे हैं कि बेरोजगारी और महंगाई जैसी समस्याएं अगर मुद्दा बनती हैं तो आम चुनाव के लिए ये बीजेपी को मुश्किल में डाल सकती हैं.

8- सबसे बेहतर सीएम

सबसे बेहतर सीएम की रेस में फिर से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अव्वल आए हैं. मूड ऑफ द नेशन सर्वे में 43 फीसदी लोगों ने योगी आदित्यनाथ को देश का सबसे बेहतर सीएम बताया है. फरवरी महीने में 46.3 फीसदी लोगों ने देश का सबसे बेहतर मुख्यमंत्री बताया था. सीएम योगी के कामकाज से संतुष्ट लोगों की संख्या भी फरवरी के 51 फीसदी से घटकर 39 फीसदी हो गई है.

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9- हरियाणा में नए सीएम का दांव कितना कारगर

हरियाणा में लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने सीएम बदलने का दांव चला था. सूबे के 22 फीसदी लोगों ने सीएम नायब सैनी के प्रदर्शन को संतोषजनक बताया है. 19 फीसदी लोग कुछ हद तक संतुष्ट हैं. संतुष्ट और  कुछ हद तक संतुष्ट लोगों की संख्या जहां 41 फीसदी है, वहीं असंतुष्टों की तादाद भी 40 फीसदी है. सरकार का चेहरा बदल गया लेकिन यह दांव उतना कारगर नहीं लग रहा है, कम से कम इस सर्वे के मुताबिक. संतुष्ट और असंतुष्ट लोगों की संख्या करीब बराबर है. ऐसे में ये जो कुछ हद तक संतुष्ट वोटर हैं, इनका रुख निर्णायक साबित हो सकता है. 

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10- महाराष्ट्र में क्या है शिंदे की शिवसेना का हाल

MOTN सर्वे के अनुसार शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता बढ़ रही है. अगस्त 2024 में शिंदे के कामकाज से 35 फीसदी लोग संतुष्ट हैं, 31 फीसदी लोग कुछ हद तक संतुष्ट हैं और 28 फीसदी लोग असंतुष्ट हैं. 25 फीसदी लोगों ने सरकार के कामकाज पर संतोष जाहिर किया है. 34 फीसदी लोग कुछ हद तक संतुष्ट हैं और असंतुष्ट लोगों की संख्या भी 34 फीसदी है. यह डेटा बताता है कि सरकार के प्रदर्शन को लेकर जनता में मिली-जुली राय है.

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