संसदीय समिति ने मंगलवार को भारतीय सेना के पूंजीगत बजट बढ़ाने की सिफारिश की. समित ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया कि चीन और पाकिस्तान जैसे दो बड़े 'दुश्मनों' से निपटने के लिए भारतीय सेना का कैपिटल बजट बढ़ाने की जरूरत है. संसदीय समिति ने मंगलवार को लोकसभा में यह रिपोर्ट पेश की. इसमें उसने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद को 'छद्म युद्ध' बताया है.
रिपोर्ट में कहा कि सेना के आधुनिकीकरण के लिए बजट हमेशा बढ़ते रहना चाहिए. समिति ने ये भी सुझाया कि कैपिटल बजट के तहत देनदारियों और नई स्कीम के लिए भी अलग से बजट होना चाहिए. संसदीय पैनल ने पाकिस्तान और चीन को लेकर कहा कि भारतीय सेना को दो "शत्रुतापूर्ण" पड़ोसियों की चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी निवारक क्षमता बढ़ाने की सुविधा के लिए पूंजीगत बजट को बढ़ाया जाना चाहिए.
रक्षा मंत्रालय को मिले 5.94 लाख करोड़
कैपिटल बजट वो होता है, जिसका इस्तेमाल रक्षा उपकरण और हथियारों की खरीद के लिए किया जाता है. 2023-24 में रक्षा मंत्रालय को 5.94 लाख करोड़ रुपये मिले हैं. इसमें से 2.70 लाख करोड़ रुपये सेना, नौसेना और वायुसेना पर खर्च होंगे.
आधुनिकीकारण का बजट बढ़ाया गया
सेना में हथियारों की खरीद और आधुनिकीकरण के लिए 1.62 लाख करोड़ रुपये रखे गए हैं, जबकि पिछली बार 1.52 लाख करोड़ रुपये रखे गए थे. इस फंड का इस्तेमाल लड़ाकू विमान, युद्धपोत और हथियारों की खरीद में होता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा पर हमारा खर्च हमारे पड़ोसियों के खर्च के अनुपात में होना चाहिए, इसलिए समिति ने सुझाव दिया कि आर्मी का कैपिटल बजट बढ़ना चाहिए ताकि कम से कम दो दुश्मनों से निपटा जा सके. इसमें पड़ोसियों का मतलब चीन और पाकिस्तान से है.
घट गया नौसेना का कैपिटल बजट
कमेटी ने बताया कि 2023-24 में नौसेना के लिए कैपिटल बजट अनुमानित 52,804 करोड़ रुपये रखा गया है, लेकिन 2022-23 में जो अनुमान लगाया गया था, उससे ये बजट तकरीबन 15 हजार करोड़ रुपये कम है. समिति ने सुझाया कि इससे लगता है कि नौसेना की जरूरतें कम हो गईं हैं, लेकिन ये उसके आधुनिकीकरण को प्रभावित कर सकता है. समिति ने सिफारिश की कि अगले साल से मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए बजट तैयार किया जाए.