PM Modi to initiate Vande Mataram debate in Lok Sabha today Vande Mataram Lok Sabha Debate: संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. सदन में बिलों पर चर्चाएं जारी हैं. इस बीच SIR, BLO की मौतों का मुद्दा, इंडिगो संकट और प्रदूषण का मुद्दा हावी रहा. पीएम मोदी ने संसद में वंदे मातरम् पर विशेष चर्चा की शुरुआत कर दी है. उन्होंने कहा कि आज हम इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं, जब संसद में इसकी चर्चा चल रही है.
वंदेमातरम् में हजारों वर्ष की सांस्कृतिक ऊर्जा भी थी, इसमें आजादी का जज्बा भी था और आजाद भारत का विजन भी था. अंग्रेज समझ चुके थे कि 1857 के बाद भारत में लंबे समय तक टिक पाना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है. जिस प्रकार के सपने लेकर वे आए थे, उन्हें यह साफ दिखने लगा कि जब तक भारत को बांटा नहीं जाएगा, लोगों को आपस में लड़ाया नहीं जाएगा, तब तक यहां राज करना कठिन है. तब अंग्रेज़ों ने ‘बांटो और राज करो’ का रास्ता चुना, और उन्होंने बंगाल को इसकी प्रयोगशाला बनाया.
पीएम मोदी ने वंदे मातरम् से जुड़ा किस्सा सुनाते हुए कहा- 20 मई 1906 को बारीसाल ( अब बांग्लादेश में है) में वंद मातरम् जुलूस निकाला, जिसमें 10 हजार से ज्यादा सड़कों पर उतरे थे. इसमें हिंदू और मुस्लिम समेत सभी धर्म और जातियों के लोगों ने वंदे मातरम् के झंडे हाथ में लेकर सड़कों पर मार्च किया था.
रंगपुर के एक स्कूल में जब बच्चों ने यह गीत गाया तो अंग्रेजी सरकार ने 200 छात्रों पर 5-5 रुपये का जुर्माना सिर्फ इसलिए लगा दिया कि उन्होंने वंदे मातरम् कहा था. इसके बाद ब्रिटिश हुक्मरानों ने कई स्कूलों में वंदे मातरम् गाने पर पाबंदी लगा दी थी.
पीएम मोदी ने कहा- जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष पूरे हुए थे, तब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था. जब इसके 100 वर्ष पूरे हुए, तब देश आपातकाल के अंधेरे में था. आज जब इसके 150 वर्ष हो रहे हैं, तो भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और तेजी से आगे बढ़ रहा है, प्रधानमंत्री ने कहा, “यह वह पवित्र वंदे मातरम् है जिसने स्वतंत्रता संग्राम को साहस और संकल्प का रास्ता दिखाया, आज इस सदन में उसका स्मरण करना हम सबके लिए महान सौभाग्य और गर्व का विषय है.
संसद में ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन को संबोधित करते हुए कहा:“जिस मंत्र ने, जिस जयघोष ने देश के आजादी के आंदोलन को ऊर्जा और प्रेरणा दी थी, त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया था, उस वंदे मातरम् का पुण्य स्मरण करना इस सदन में हम सबका बहुत बड़ा सौभाग्य है.”प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “हमारे लिए यह गर्व की बात है कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं और हम सभी इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं.”
उधर विपक्ष लगातार इंडिगो संकट का मुद्दा संसद में उठा रहा है और इंडिगो पर चर्चा के लिए मांग कर रहा है. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि लोग अपनी जरूरत के कामों पर नहीं जा पा रहे, कहां गया था कि हवाई चप्पल वाला भी चलेगा लेकिन क्या हालात बने हुए हैं. हम चाहेंगे कि सरकार इस मसले पर जवाब दें. लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि मंत्री इस विषय पर जवाब देंगे. आज या कल यह तय कर लिया जाएगा.
इंडिगो एयरलाइंस की उड़ानों में हो रही लगातार देरी और कैंसिलेशन के बीच बढ़ती टिकटों की कीमतों पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया है. उन्होंने कहा कि जहाँ विवाद करना हो, इनके लोग सबसे आगे रहते हैं. टिकट को लेकर जो मामला है, ये कोई सरकार के सामने पहली बार ये बात सामने नहीं आई है. महाकुंभ का उदाहरण देते हुए कहा, “महाकुंभ में जो सनातन का सबसे बड़ा मेला था, लोगों ने कितनी महंगी टिकट लेनी पड़ी थी.” उन्होंने व्यंग्य भरे लहजे में कहा, “इंडिगो से सरकार झुक गई है. सरकार दावा करती है कि अब हवाई चप्पल वाले भी फ्लाइट में बैठ सकते हैं, लेकिन इतनी महंगी टिकट में तो महंगे जूते पहनने वाले भी नहीं बैठ सकते हैं.”
Parliament Winter Session: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को लोकसभा के शीतकालीन सत्र में संसद में पहुंच चुके हैं. वह आज वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के मौके पर विशेष बहस की चर्चा शुरू करने वाले हैं. वंदे मातरम् गीत भारत का राष्ट्रीय गीत है. इसे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने उपन्यास आनंद मठ में लिखा था. यह गीत आजादी के आंदोलन में क्रांतिकारियों के लिए सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला नारा था.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा- वंदे मातरम् सिर्फ़ एक गीत नहीं, बल्कि वह क्रांतिकारी आह्वान है जिसने अंग्रेजी हुकूमत, गुलामी और आक्रांताओं के खिलाफ संघर्ष में करोड़ों भारतीयों को एकजुट किया था.”साथ ही कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीखा प्रहार करते हुए शहजाद ने कहा, “देश देखना चाहेगा कि अगर राहुल गांधी इस चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं तो क्या वे सबसे पहले अपने परिवार द्वारा इस गीत के साथ किए गए अपराध के लिए देश से माफी मांगेंगे? पीएम नेहरू इस गीत के विरोधी थे. तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति को तरजीह देते हुए उन्होंने इसके खिलाफ अभियान चलाया और कहा कि इसमें सांप्रदायिक रंग है। कांग्रेस आज भी यही तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति करती है, जहाँ वे वोट के लिए राष्ट्रीय अस्मिता पर हमला करते हैं। पहले इन्होंने CWC की बैठक में वंदे मातरम को बाँटा, फिर देश को बाँटा, और अब जाति के नाम पर देश को बाँट रहे हैं.”
वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर लोकसभा में होने वाली विशेष चर्चा को लेकर भाजपा की राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने खुशी जताई है. उन्होंने कहा, “मैं इसमें हिस्सा ले रही हूं और मुझे इसकी बहुत प्रसन्नता है. यह सिर्फ़ एक गीत नहीं है; यह लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना जगाता है. यह गीत 150 साल पहले रचा गया था, स्वतंत्रता से पहले का है, इसलिए इस गीत ने सबको एकजुट किया था.”सुधा मूर्ति का यह बयान उस समय आया है जब वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर संसद में हो रही चर्चा को लेकर विपक्षी दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
वंदे मातरम के 150 वर्ष पर संसद में होने वाली चर्चा को लेकर कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने गहरी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा, “आज प्रधानमंत्री इस पर चर्चा करेंगे, लेकिन राज्यसभा सचिवालय का बुलेटिन पार्ट-2, क्रमांक 65855, राज्यसभा सदस्यों का हैंडबुक साफ-साफ कहता है कि संसद के अंदर वंदे मातरम गाना सदन की मर्यादा के खिलाफ है. क्या यह बड़ी विरोधाभास नहीं लगता?”सुखदेव भगत ने आगे कहा, “चर्चा होना तो ठीक है... लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जब राष्ट्रगान बजता है तो वहां खड़े होकर चलते फिरते दिखते हैं. वंदे मातरम से डरने की कोई बात नहीं, यह हमारा गर्व है, लेकिन जिस तरह इसके शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसे राजनीतिक रंग दे दिया गया है. यह उचित नहीं है.”उन्होंने अपील की कि “आज संसद में आरोप-प्रत्यारोप करने के बजाय हमारी कहानी, हमारे वीरता की चर्चा होनी चाहिए. ”कांग्रेस सांसद के इस बयान से कल होने वाली विशेष चर्चा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंक-झोंक की आशंका और बढ़ गई है.
‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पर संसद में होने वाली विशेष चर्चा को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय ने तीखा पलटवार किया है. उन्होंने कहा, “वंदे मातरम की चर्चा तो ठीक है, लेकिन साथ ही उन लोगों पर भी बहस होनी चाहिए जिन्होंने क्विट इंडिया मूवमेंट का विरोध करते हुए अंग्रेजों को चिट्ठियां लिखीं और उसे कुचलने की मांग की. जब देश के स्वतंत्रता सेनानी आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे, तब मुस्लिम लीग के साथ सरकार में बैठकर अंग्रेजों की चापलूसी करने वालों पर भी चर्चा होनी चाहिए. माफी मांगने वालों पर भी चर्चा होनी चाहिए. ”राजीव राय ने आगे कहा, “आज जो सत्ता में हैं, वही देश की जनभावनाओं को कुचल रहे हैं. ”समाजवादी पार्टी के इस बयान से ‘वंदे मातरम’ के 150वें वर्ष पर होने वाली संसदीय चर्चा में राजनीतिक रंग और गहरा हो गया है. इस विशेष चर्चा में अब दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस की पूरी संभावना है.
बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- 'उन्होंने सभी दलों से अपील की कि “बीते समय की गलतियों को पीछे छोड़कर, पक्षपात से ऊपर उठकर, कट्टरवादी विचारधारा और वोट की राजनीति से परे रहते हुए सभी दल मिलकर वंदे मातरम के 150वें वर्ष के इस उत्सव में अपनी सहमति व्यक्त करें और राष्ट्रीय विकास तथा राष्ट्रीय एकता की भावना को और मजबूत करें. ”इस विशेष चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को देश भर में बड़ी उत्सुकता से देखा जा रहा है.
लोकसभा में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी. इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ सांसद एवं राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि संसद में इस विषय पर चर्चा होगी और हमें प्रधानमंत्री का संबोधन भी सुनने को मिलेगा. देश उत्साह और उत्सुकता से उनके विचार सुनने को आतुर है. त्रिवेदी ने कहा, “21वीं सदी के प्रथम चतुर्थांश में आज देश का युवा वही ऊर्जा और प्रेरणा जरूर समझेगा जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मिली थी. उस समय संघर्ष राजनीतिक स्वतंत्रता का था, आज का संघर्ष सामाजिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता का है. ”