दुनिया को दहशत में डालने वाले ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर ब्रिटिश साइंटिस्ट ने बड़ा दावा कर दिया है. कहा गया है कि उनकी दवाई सोट्रोविमैब ओमिक्रॉन के हर म्यूटेशन के खिलाफ असरदार है और कारगर साबित हुई है. इस दवाई को ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके) ने यूएस पार्टनर वीर (वीआईआर) बायोटेक्नोलॉजी के साथ मिलकर विकसित किया है. अब इसी दवाई को ओमिक्रॉन वेरिेएंट के खिलाफ असरदार माना जा रहा है.
ओमिक्रॉन के खिलाफ कौन सी दवाई असरदार?
जारी बयान में कंपनी ने दावा कर दिया है कि ओमिक्रॉन के जो 37 म्यूटेशन हैं, उसके खिलाफ उनकी दवाई सोट्रोविमैब ने प्रभावी काम किया है. पिछले हफ्ते भी प्री क्लिनिकल टेस्ट के बाद कहा गया था कि सोट्रोविमैब दवाई ओमिक्रॉन के खिलाफ काम करती है. कंपनी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि ये दवाई हर उस वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी काम करती है जिसका जिक्र WHO द्वारा किया गया है.
कंपनी ने जानकारी दी है कि उनकी ये दवा एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है. ये मानव द्वारा पहले से बनाए गए प्राकृतिक एंटीबॉडी पर आधारित बताई गई है. ऐसे में इसकी कारगरता दूसरी दवाओं के मुकाबले ज्यादा मानी जा रही है. वैसे कंपनी के इस दावे ने पूरी दुनिया को उम्मीद की एक नई किरण जरूर दी है लेकिन अभी तक इस दवा के जो भी नतीजे सामने आए हैं, उन्हें किसी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित नहीं किया गया है. ऐसे में अभी इस दवा को लेकर औपचारिक ऐलान होना बाकी है.
रिसर्च में क्या सामने आया?
कंपनी इतना जरूर कह रही है कि सोट्रोविमैब दवाई के बाद हॉस्पिटलाइजेशन को काफी कम किया जा सकता है. शुरुआती टेस्ट के बाद कहा गया है कि हॉस्पिटलाइजेशन 79 प्रतिशत तक कम हो सकती है. वहीं इसी दवा की वजह से जो वायरस होता है वो ह्यूमन सेल में नहीं जा पाता है और इंसान की जान खतरे में नहीं पड़ती है.
अब अभी के लिए ओमिक्रॉन ने पूरी दुनिया में खतरे की घंटी बजा दी है. इस वेरिएंट को लेकर ना ज्यादा जानकारी सामने आई है और ना ही इसके खतरे को लेकर कुछ भी स्पष्टता से कहा जा सकता है. WHO भी आज इस खतरे के बीच एक अहम बैठक करने जा रहा है. बैठक में बूस्टर डोज को लेकर मंथन किया जाएगा और ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर भी चर्चा होगी.