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उमर अब्दुल्ला और उनकी पत्नी को सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता केंद्र में पेश होने के निर्देश, जानें- क्या है मामला

सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने सुझाव दिया कि दोनों पक्ष मध्यस्थता का प्रयास करें. उमर अब्दुल्ला का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और पायल अब्दुल्ला की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान दोनों ने मध्यस्थता प्रस्ताव पर सहमति जताई.

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उमर अब्दुल्ला और पायल अब्दुल्ला (Photo: India Today Archives)
उमर अब्दुल्ला और पायल अब्दुल्ला (Photo: India Today Archives)

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनसे अलग रह रही पत्नी पायल अब्दुल्ला को शीर्ष अदालत के मध्यस्थता केंद्र में पेश होने के लिए कहा, ताकि दोनों के बीच समझौता हो सके.

सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने सुझाव दिया कि दोनों पक्ष मध्यस्थता का प्रयास करें. उमर अब्दुल्ला का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और पायल अब्दुल्ला की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान दोनों ने मध्यस्थता प्रस्ताव पर सहमति जताई.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यह समझौता करने का प्रयास है, हालांकि यह समझा जाता है कि कुछ शादियों में सामंजस्य नहीं हो सकता है. इस मामले में अगली सुनवाई अब से 8 सप्ताह बाद निर्धारित की गई है. 

इस दौरान कपिल सिब्बल ने बेंच से कहा कि उमर अब्दुल्ला मध्यस्थता के लिए तैयार हैं, लेकिन इस शादी को सुलझाने के बजाय मामलों को सुलझाना होगा. उन्होंने कहा कि दंपति पिछले 15 साल से अलग रह रहा है. 

उमर अब्दुल्ला ने 12 दिसंबर 2023 के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है, जिसमें फैमिली कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा गया था, जिसमें उन्हें अपनी अलग रह रही पत्नी से तलाक देने से मना किया गया था. 

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बता दें कि उमर और पायल अब्दुल्ला की शादी सितंबर 1994 में हुई थी, लेकिन वे काफी समय से अलग रह रहे हैं. दंपति के दो बेटे हैं- जाहिर और जमीर. इससे पहले हाईकोर्ट ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता को अपने दो बेटों को 60 हजार रुपये प्रति माह के अलावा अपनी पत्नी को 1.5 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का भी निर्देश दिया था. उमर ने 2011 में पायल से अलग होने की घोषणा की, जिससे उनकी 17 साल पुरानी शादी खत्म हो गई.

उमर ने तलाक के लिए अर्जी दाखिल की, जिसमें दावा किया गया कि उसके साथ क्रूरता की गई. हालांकि फैमिली कोर्ट ने उसके आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था. बाद में हाईकोर्ट ने मामले की समीक्षा की और फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें निर्णय को पलटने का कोई कारण नहीं पाया गया. 

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