
चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत दौरे पर हैं और मंगलवार को उनकी यात्रा का दूसरा दिन है. आज उनकी मुलाकात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल से होगी. इसके बाद वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे. उनका यह दौरा खासतौर से सीमा विवाद पर होने वाली स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव्स (SR) डायलॉग की नई राउंड बैठक के लिए है. सीमा वार्ता में वांग और डोभाल दोनों ही अपॉइंटेड स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव हैं.
इससे पहले सोमवार को वांग यी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की. जयशंकर ने कहा था कि हमारे रिश्तों में किसी भी पॉजिटिव मोमेंटम की नींव तभी रखी जा सकती है जब सीमा क्षेत्रों में मिलकर शांति और स्थिरता बनाए रखी जाए. साथ ही यह भी जरूरी है कि डिएस्केलेशन प्रोसेस आगे बढ़े. बीते दिन की मुलाकात में, चीन ने भारत की तीन प्रमुख चिंताओं का समाधान करने का वादा किया है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री जयशंकर को भारत की फर्टिलाइजर्स, रेयर अर्थ और टनल बोरिंग मशीनों की जरूरतों को पूरा करने का आश्वासन दिया है.
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वांग यी की यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन जाने वाले हैं. वह वहां शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की वार्षिक समिट में शामिल होंगे. चीन के विदेश मंत्री का यह दौरा इस लिहाज से अहम माना जा रहा है क्योंकि यह दोनों देशों के रिश्ते सुधारने की कोशिश का हिस्सा है. जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत-चीन संबंधों में गहरा तनाव पैदा हो गया था.
वांग यी और अजित डोभाल के बीच क्या बात होगी?
मंगलवार को होने वाले SR डायलॉग में दोनों पक्ष न्यू कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग मेजर्स पर विचार करेंगे और LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर मौजूदा हालात की समीक्षा करेंगे. हालांकि, फ्रिक्शन पॉइंट्स से दोनों देशों की सेनाओं ने डिसएंगेजमेंट पूरा कर लिया है, लेकिन अब तक डिएस्केलेशन यानी फ्रंटलाइन फोर्सेज की वापसी नहीं हो पाई है.
पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों ने अभी भी लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं. यही वजह है कि सीमा पर हालात सामान्य करने के लिए स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव लेवल की बातचीत को बेहद अहम माना जा रहा है.

पीएम मोदी और शी जिनपिंग के मुलाकात के बाद हो रही पॉजिटिव बातचीत
पिछले साल दिसंबर में NSA अजित डोभाल चीन गए थे और वहां वांग यी के साथ SR वार्ता की थी. यह मुलाकात उस समय हुई थी जब रूस के कजान में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक के बाद दोनों देशों ने बातचीत को सक्रिय करने का फैसला किया था.
बीते कुछ महीनों में भारत और चीन के बीच रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए कई पहलें हुई हैं. इसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा का दोबारा शुरू होना और भारत द्वारा चीनी नागरिकों को फिर से टूरिस्ट वीजा जारी करना शामिल है. इन कोशिशों से यह संकेत मिलता है कि दोनों देश धीरे-धीरे आपसी रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं. चीन के विदेश मंत्री वांग यी और NSA डोभाल के बीच होने वाली मंगलवार की SR डायलॉग इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ाने की एक अहम कोशिश होगी.