पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश ने करीब-करीब तबाही मचा रखी है. नागरिकों की रोजमर्रा की जिंदगी बेहाल नजर आ रही है. असम में रविवार को बाढ़ की स्थिति गंभीर रही क्योंकि 10 प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही थीं और 15 से ज़्यादा जिलों में 78 हजार लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. त्रिपुरा में भी रविवार को कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश हुई और 4 जून तक अलग-अलग इलाकों में बहुत भारी बारिश होने की उम्मीद है.
उत्तरी सिक्किम में रविवार शाम चट्टन भूस्खलन हुआ, जिससे आस-पास के आवासों को नुकसान पहुंचा. 3 शव बरामद किए गए हैं, जिनमें कुछ लड़ाके भी शामिल हैं. कई अन्य के लापता होने का संदेह है. मृतकों की पहचान करने की प्रक्रिया और सर्च ऑपरेशन जारी है.
सिक्किम के लाचुंग से 18 पर्यटक वाहनों के साथ पहला जत्था लोअर द्ज़ोंगू के फिदांग पहुंच गया है. जिला कलेक्टर मंगन अनंत जैन ने काफिले का नेतृत्व किया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यटकों को सुरक्षित वापस ले जाया जाए.

स्थानीय प्रशासन और पुलिस, सेना, बीआरओ, आईटीबीपी, वन विभाग, लाचुंग द्ज़ुमसा, टीएएएस, एसएचआरए, ड्राइवर्स एसोसिएशन और स्थानीय जनता की कलेक्टिव कोशिश से सोमवार सुबह लाचुंग से पर्यटकों को निकालने का काम शुरू हुआ.
लेटेस्ट अपडेट के मुताबिक, 284 वाहनों, 16 बाइकों के साथ 1678 पर्यटकों (पुरुष- 737, महिला- 561, बच्चे- 380) का काफिला थेंग चेक पोस्ट को पार कर फिदांग की ओर बढ़ चुका है. डीसी मंगन श्री अनंत जैन ने निकासी में शामिल सभी लोगों के प्रयासों की सराहना की. लाचेन तक सड़क संपर्क बहाल करने की कोशिश जारी है. सड़क तैयार होने के बाद, लाचेन में फंसे पर्यटकों को भी निकाला जाएगा.

एजेंसी के मुताबिक, एक अधिकारी ने बताया कि भारी बारिश के कारण राज्य के विभिन्न हिस्सों में भूस्खलन, मिट्टी धंसने, चट्टानें गिरने और जलभराव की घटनाओं के कारण मिजोरम में सोमवार को सभी स्कूल बंद रहे. स्कूल एजुकेशन डिपार्टमेंट की निदेशक एंजेला ज़ोथनपुई ने कहा कि सभी 11 जिला प्रशासनों ने छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एहतियाती उपाय के तौर पर सोमवार को स्कूल बंद करने का ऐलान किया है.
जिला प्रशासन द्वारा जारी अधिसूचनाओं में कहा गया है कि स्कूल बंद करने का निर्देश भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा जारी किए गए खतरनाक मौसम पूर्वानुमानों के बाद आया है, जिसमें राज्य के कई हिस्सों में आगे भारी बारिश और भूस्खलन, मिट्टी के बहाव और चट्टानों के गिरने सहित संभावित प्राकृतिक खतरों की भविष्यवाणी की गई है.
इससे पहले, 29 मई और 30 मई को दो दिनों के लिए पूरे राज्य में स्कूल बंद कर दिए गए थे. हालांकि, बारिश नहीं हुई, लेकिन राज्य की राजधानी आइजोल में सोमवार सुबह बादल छाए रहे. राज्य आपदा प्रबंधन और पुनर्वास विभाग के अधिकारियों ने कहा कि राज्य भर में अब तक भूस्खलन या भूस्खलन और बाढ़ की वजह से 60 घर ढह गए हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 69 अन्य को खाली कराया गया है. उन्होंने बताया कि रविवार तक राज्य के तमाम इलाकों में कुल 211 भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं और 83 स्थानों पर राजमार्ग अवरुद्ध हो गए हैं.

राज्य बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कम से कम सात 33 केवी सब-स्टेशन क्षतिग्रस्त हो गए हैं और पूरे राज्य के एक तिहाई से ज्यादा इलाकों में बारिश के कारण बिजली आपूर्ति बाधित है. मरम्मत कार्य चल रहा है और अगर आगे बारिश नहीं हुई तो अगले दो-तीन दिनों में ऐसे क्षेत्रों में बिजली बहाल होने की उम्मीद है.
राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग ने यह भी कहा कि करीब 50 जगहों पर पानी की आपूर्ति बाधित हुई है और कोलासिब और हनहथियाल कस्बों और सेरछिप जिले के केतुम गांव को पानी देने वाली पानी की पंपिंग मशीनें पानी में डूब गई हैं. आईएमडी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 24 घंटों में सेरछिप जिले में सबसे ज्यादा 10.46 सेमी बारिश हुई, उसके बाद कोलासिब (9.83 सेमी) और आइजोल (9.74 सेमी) का स्थान रहा.
असम में बारिश के बाद बाढ़ जैसी स्थित है. अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को भी गंभीर बनी रही और राज्य के कई हिस्सों में जलस्तर बढ़ गया. गुवाहाटी स्थित भारतीय मौसम विभाग के क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (RMC) ने कहा, "असम की ज्यादातर जगहों पर मध्यम बारिश होने की संभावना है, जबकि कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश और कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी बारिश का अनुमान है."

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) की रविवार रात की रिपोर्ट में कहा गया है कि कछार और श्रीभूमि जिलों में दो और लोगों की जान चली गई और 15 जिलों में करीब चार लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं.

इस साल बाढ़ और भूस्खलन में जान गंवाने वाले लोगों की कुल संख्या बढ़कर 10 हो गई है. इसमें कहा गया है कि कछार सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां एक लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं, इसके बाद श्रीभूमि में 85,000 और नागांव में 62,000 लोग प्रभावित हुए हैं. प्रशासन 12 जिलों में 155 राहत शिविर और राहत वितरण केंद्र चला रहा है, जहां फिलहाल 10,272 विस्थापित लोगों की देखभाल की जा रही है.

अधिकारियों ने पिछले 24 घंटों के दौरान राज्य के बाढ़ पीड़ितों के बीच 1,090.08 क्विंटल चावल, 284.63 क्विंटल दाल, 952.76 क्विंटल नमक और 4,726.26 लीटर सरसों का तेल बांटा है.
राज्य भर के कई जिलों में बाढ़ के पानी से तटबंध, सड़कें, पुल और अन्य बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है. मौजूदा वक्त में ब्रह्मपुत्र डिब्रूगढ़ और निमाटीघाट में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. इसकी सहायक नदियां नुमालीगढ़ में धनसिरी और कामपुर में कोपिली खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. एएसडीएमए ने कहा कि बराक नदी बदरपुर घाट में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जबकि श्रीभूमि में इसकी सहायक नदी कुशियारा और मतिजुरी में कटाखल भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार शाम को आगाह किया कि राज्य और पड़ोसी इलाकों में लगातार भारी बारिश की वजह से निचले इलाकों और नदी तराई इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए स्थिति और खराब होने की संभावना है.
पिछले कुछ दिनों से राज्य के ज्यादातर हिस्सों में लगातार हो रही बारिश की वजह से सड़क, रेल और नौका सेवाएं प्रभावित हुई हैं.
मणिपुर में नदियों के उफान पर होने और तटबंधों के टूटने के कारण आई बाढ़ से 19 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं.

अधिकारियों ने बताया कि पिछले चार दिनों में लगातार मूसलाधार बारिश के बाद आई बाढ़ से 3,365 घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 19,811 लोग प्रभावित हुए हैं. अपने घरों और इलाकों से निकाले गए लोगों की मुश्किलों को कम करने के लिए 31 राहत शिविर खोले गए हैं, जिनमें से ज्यादातर इंफाल पूर्वी जिले में हैं.

पिछले चार दिनों में सूबे के कई इलाकों में 47 भूस्खलन की घटनाएं भी हुई हैं. अधिकारियों ने बताया कि खुरई, हेइंगंग और चेकोन इलाकों में उफनती नदी के तटबंधों को तोड़कर बहने के बाद राज्य की राजधानी इंफाल के कई इलाके और इंफाल पूर्वी जिले के कई हिस्से जलमग्न हो गए हैं.

इंफाल पूर्वी जिले में इरिल नदी का जलस्तर रविवार को खतरे के निशान को पार कर गया, लेकिन अभी तक तटबंधों को नहीं तोड़ा है. लगातार बारिश को देखते हुए राज्यपाल ने इंफाल पूर्वी और पश्चिमी जिलों तथा सेनापति जिले के सेनापति उपमंडल के स्कूलों में अगले आदेश तक गर्मी की छुट्टियां बढ़ाने का ऐलान किया है.
अधिकारियों ने बताया कि व्यूलैंड कॉलोनी के पास सेनापति नदी के उफान पर आने से सेनापति जिले के कई हिस्से प्रभावित हुए हैं.