दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) के प्रोजेक्ट्स के लिए बजटीय आवंटन को लेकर दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के बीच एक नया विवाद खड़ा हो गया है. विवाद तब शुरू हुआ, जब दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लिए संशोधित बजट अनुमानों को मंजूरी दे दी, जिसमें कथित तौर पर DMRC को मांग से काफी कम फंड आवंटित किया गया था. बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर DMRC की महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए कम फंड देने का आरोप लगाया.
सीनियर बीजेपी नेता और विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को लिखे पत्र में इस मुद्दे को उठाया. गुप्ता ने DMRC की वित्तीय जरूरतों और स्वीकृत आवंटन के बीच असमानता पर जोर दिया. इन संशोधित अनुमानों के मुताबिक, DMRC को पूंजीगत मद के तहत सिर्फ 372.73 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो नवंबर 2024 में DMRC द्वारा मांगे गए 1072.73 करोड़ रुपये के ठीक उलट हैं.
किस तरह के लगे आरोप?
आरोप ये भी है कि दिल्ली मेट्रो से अन्य महत्वपूर्ण आवंटन में भी इसी तरह कम फंडिंग की गई है, जिसमें जापानी लोन देने वाली एजेंसी, JICA लोन के भुगतान में महत्वपूर्ण कमी, राज्य और केंद्रीय करों के साथ-साथ भूमि के लिए अधीनस्थ ऋण शामिल हैं.
आरोप यह है कि कथित फंडिंग गैप मौजूदा वक्त में विकास के तहत तीन प्रमुख मेट्रो कॉरिडोर के लिए खतरा पैदा करता है: एरोसिटी से तुगलकाबाद, आरके आश्रम से जनकपुर (पश्चिम), और मुकुंदपुर से मौजपुर.
हालांकि, केंद्र सरकार ने इन परियोजनाओं के लिए अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा कर लिया है, लेकिन दिल्ली सरकार की तरफ से कमी प्रगति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है, जिससे संभावित रूप से देरी और लागत में बढ़ोतरी हो सकती है. शहर की यातायात समस्याओं को कम करने, प्रदूषण को कंट्रोल करने और पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण दिल्ली मेट्रो को महत्वपूर्ण परिचालन असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है. यहां तक कि DMRC ने भी दिल्ली सरकार से अतिरिक्त आवंटन की गुजारिश की है.
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पिछले महीने DMRC ने दिल्ली सरकार से संपर्क करके अपने चरण-4 परियोजना के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करने को लेकर एक चिट्ठी लिखी. दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को संबोधित एक पत्र में, DMRC ने बजटीय आवंटन की तत्काल आवश्यकता के बारे में बताया और इस बात पर जोर दिया कि प्रोटेक्ट के वक्त पर पूरा होने को सुनिश्चित करने के लिए निर्बाध वित्तपोषण महत्वपूर्ण है.
दिल्ली मेट्रो का चरण-IV विस्तार तीन प्राथमिकता वाले गलियारों में फैला है, जो सामूहिक रूप से 61.679 किलोमीटर को कवर करता है. प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 24,948.65 करोड़ रुपये है. DMRC के पत्र में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए संशोधित बजट अनुमानों के अनुमोदन की जरूरत पर जोर दिया गया है, जिसमें न केवल फेज-IV लागतें शामिल हैं, बल्कि फेज-III खर्च को पूरा करने और परिचालन घाटे को कवर करने के लिए जरूरी अतिरिक्त धनराशि भी शामिल है.
DMRC ने दिल्ली सरकार से प्रोजेक्ट को वक्त पर पूरा करने और लागत में कमी लाने की अपील की. फेज-4 के आवंटन के अलावा, DMRC ने लोक निर्माण विभाग (PDW) से बकाया राशि जारी करने और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MOHU) को JICA ऋण भुगतान के निपटान के लिए भी अनुरोध किया है. डॉ. विकास कुमार ने अपने पत्राचार में जोर देकर कहा कि फंड आवंटन में देरी से प्रोजेक्ट में काफी देरी हो सकती है और लागत बढ़ सकती है, जिससे चल रहे मेट्रो विस्तार की दक्षता कम हो सकती है.
2024-25 के लिए विस्तृत संशोधित बजट अनुमानों में कई परियोजना घटकों को शामिल करते हुए वित्तीय जरूरतों को रेखांकित किया गया है. इन घटकों में इक्विटी योगदान, भूमि अधिग्रहण के लिए अधीनस्थ ऋण और केंद्रीय और राज्य करों के लिए भत्ते, साथ ही परिचालन घाटे की प्रतिपूर्ति शामिल हैं. अनुमानित पूंजी और राजस्व बजट जरूरत 2,322.47 करोड़ है. अतिरिक्त मांगों को शामिल करने के साथ, कुल मांग बढ़कर 7,201.87 करोड़ हो जाती है.